आंध्र प्रदेश CM बोले- अंग्रेजी केवल संवाद की भाषा: हिंदी सीखते हैं तो दिल्ली जैसी जगहों पर बेहतर तरीके से बातचीत कर सकते हैं h3>
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43 मिनट पहले
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नायडू ने कहा कि हमें दूसरी भाषाएं सीखते समय अपनी मातृभाषा को नहीं भूलना चाहिए।
आंध्र प्रदेश के CM मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने नेशनल एजुकेशन पॉलिसी (NEP) पर अपना पक्ष रखा। उन्होंने सोमवार को विधानसभा में NEP के ट्राई-लैंग्वेज फॉर्मूले का समर्थन किया।
उन्होंने कहा, ‘अंग्रेजी केवल संवाद की भाषा है। वैश्विक स्तर पर अपनी मातृभाषा में अध्ययन करने और सफल होने वालों की संख्या ज्यादा है।’
उन्होंने कहा- हमें दूसरी भाषाएं सीखते समय अपनी मातृभाषा को नहीं भूलना चाहिए। अगर हम दिल्ली जाएंगे तो हिंदी जानने से आसानी से बातचीत कर सकेंगे।
दरअसल, केंद्र और तमिलनाडु सरकार के बीच ट्राय लैंग्वेज जारी है। तमिलनाडु की स्टालिन सरकार का आरोप है कि केंद्र सरकार तमिलनाडु पर हिंदी थोपने की कोशिश कर रही है।
नायडू ने कहा-
हमारे लोग जापान और जर्मनी जैसे देशों में जा रहे हैं। जरूरत हो तो उन्हें पहले ही उन भाषाओं को सीख लेना चाहिए, ताकि उनके लिए उन देशों में खुद को बनाए रखना आसान हो जाए। रोजगार के लिए कई भाषाएं सीखना फायदेमंद है। इस मुद्दे पर बेवजह राजनीति करना सही नहीं है।

डीएमके सांसद की मांग- लोकल भाषा बोलने वाले रेलवे अधिकारियों की नियुक्ति करें
DMK सांसद मुरासोली एस ने सोमवार को लोकसभा में कहा- तमिलनाडु में खासकर राज्य के गांवों में रेलवे अधिकारियों से बातचीत करने में परेशानी होती है। इसलिए देश के सभी राज्यों के रेलवे स्टेशनों और टिकट काउंटरों पर उन राज्यों के लोकल लोगों (कर्मचारियों) को नियुक्त करना चाहिए, क्योंकि वे लोकल भाषा बोल सकते हैं।
पवन कल्याण ने कहा था – मैंने कभी भी हिंदी भाषा का विरोध नहीं किया
15 मार्च को आंध्र प्रदेश के डिप्टी CM और एक्टर पवन कल्याण ने कहा था कि तमिलनाडु के नेता हिंदी का विरोध करते हैं। दूसरी तरफ तमिल फिल्मों को हिंदी में डब कराकर पैसे कमाते हैं। ऐसा क्यों? ये पाखंड कर रहे हैं।
उन्होंने किसी का नाम लिए बिना कहा था कि एक तरफ वे हिंदी का विरोध करते हैं, लेकिन पैसे कमाने के लिए अपनी फिल्मों को हिंदी में डब कराते हैं। मुझे समझ में नहीं आता कि आखिर ऐसा क्यों। वे बॉलीवुड से पैसा तो चाहते हैं, लेकिन हिंदी को स्वीकार करने से इनकार करते हैं। ये कैसा तर्क है।
शाम होते-होते उन्होंने अपने बयान पर सफाई दी थी। X पोस्ट में पवन ने कहा था- मैंने केवल इसे अनिवार्य बनाने का विरोध किया। जब NEP 2020 खुद हिंदी को लागू नहीं करता है, तो इसके लागू होने के बारे में गलत बयानबाजी करना जनता को गुमराह करने के अलावा और कुछ नहीं है।
वहीं, पवन के बयान एक्टर प्रकाश राज ने कहा था- अपनी हिंदी भाषा हम पर मत थोपिए। यह किसी दूसरी भाषा से नफरत करने के बारे में नहीं है, यह हमारी मातृभाषा और हमारी सांस्कृतिक पहचान को आत्मसम्मान के साथ बचाने के बारे में है। कृपया कोई पवन कल्याण को ये समझाए। पूरी खबर पढ़ें…
जानिए क्या है NEP 2020?
NEP 2020 के तहत, स्टूडेंट्स को तीन भाषाएं सीखनी होंगी, लेकिन किसी भाषा को अनिवार्य नहीं किया गया है। राज्यों और स्कूलों को यह तय करने की आजादी है कि वे कौन-सी तीन भाषाएं पढ़ाना चाहते हैं। किसी भी भाषा की अनिवार्यता का प्रावधान नहीं है।
प्राइमरी क्लासेस (क्लास 1 से 5 तक) में पढ़ाई मातृभाषा या स्थानीय भाषा में करने की सिफारिश की गई है। वहीं, मिडिल क्लासेस (क्लास 6 से 10 तक) में तीन भाषाओं की पढ़ाई करना अनिवार्य है। गैर-हिंदी भाषी राज्य में अंग्रेजी या एक आधुनिक भारतीय भाषा होगी। सेकेंड्री सेक्शन यानी 11वीं और 12वीं में स्कूल चाहे तो विदेशी भाषा भी विकल्प के तौर पर दे सकेंगे।
जानिए कैसे शुरू हुआ ट्राय तमिलनाडु-केंद्र के बीच लैंग्वेज वॉर…
संसद के बजट सत्र के पहले दिन से DMK सांसदों ने नई शिक्षा नीति का विरोध किया था। प्रदर्शन करते हुए सांसद केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के करीब पहुंचे थे और जमकर नारेबाजी की थी।
15 फरवरी: धर्मेंद्र प्रधान ने वाराणसी के एक कार्यक्रम में तमिलनाडु सरकार पर राजनीतिक हितों को साधने का आरोप लगाया।
18 फरवरी: उदयनिधि बोले- केंद्र लैंग्वेज वॉर शुरू न करें चेन्नई में DMK की रैली में डिप्टी CM उदयनिधि स्टालिन ने कहा- धर्मेंद्र प्रधान ने खुलेआम धमकी दी है कि फंड तभी जारी किया जाएगा, जब हम ट्राई लैंग्वेज फॉर्मूला स्वीकार करेंगे, लेकिन हम आपसे भीख नहीं मांग रहे हैं। जो राज्य हिंदी को स्वीकार करते हैं, वे अपनी मातृभाषा खो देते हैं। केंद्र लैंग्वेज वॉर शुरू न करे।
23 फरवरी: शिक्षा मंत्री ने स्टालिन को लेटर लिखा ट्राई लैंग्वेज विवाद पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन को लेटर लिखा। उन्होंने नेशनल एजुकेशन पॉलिसी (NEP) के विरोध की आलोचना की। उन्होंने लिखा, ‘किसी भी भाषा को थोपने का सवाल नहीं है, लेकिन विदेशी भाषाओं पर अत्यधिक निर्भरता खुद की भाषा को सीमित करती है। NEP इसे ही ठीक करने का प्रयास कर रही है।’
25 फरवरी: स्टालिन बोले- हम लैंग्वेज वॉर के लिए तैयार हैं स्टालिन ने कहा- केंद्र हमारे ऊपर हिंदी न थोपे। अगर जरूरत पड़ी तो राज्य एक और लैंग्वेज वॉर के लिए तैयार है।
गैर-हिंदी भाषी राज्यों में हिंदी दूसरी भाषा 5वीं और जहां संभव हो 8वीं तक की क्लासेस की पढ़ाई मातृभाषा, स्थानीय या क्षेत्रीय भाषा में करने पर जोर है। वहीं, गैर-हिंदी भाषी राज्यों में हिंदी दूसरी भाषा के रूप में पढ़ाई जा सकती है। साथ ही, हिंदी भाषी राज्यों में दूसरी भाषा के रूप में कोई अन्य भारतीय भाषा (जैसे- तमिल, बंगाली, तेलुगु आदि) हो सकती है।
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ट्राई-लैंग्वेज विवाद से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें…
तमिलनाडु CM बोले- हिंदी ने 25 भाषाओं को खत्म किया:यूपी-बिहार कभी हिंदी क्षेत्र नहीं थे; हिंदी मुखौटा और संस्कृत छुपा हुआ चेहरा
तमिलनाडु के CM एमके स्टालिन ने कहा था कि जबरन हिंदी थोपने से 100 सालों में 25 नॉर्थ इंडियन भाषाएं खत्म हो गई। एक अखंड हिंदी पहचान की कोशिश प्राचीन भाषाओं को खत्म कर रही है। उत्तर प्रदेश और बिहार कभी भी हिंदी क्षेत्र नहीं थे। अब उनकी असली भाषाएं अतीत की निशानी बन गई है। पूरी खबर पढ़ें…
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नायडू ने कहा कि हमें दूसरी भाषाएं सीखते समय अपनी मातृभाषा को नहीं भूलना चाहिए।
आंध्र प्रदेश के CM मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने नेशनल एजुकेशन पॉलिसी (NEP) पर अपना पक्ष रखा। उन्होंने सोमवार को विधानसभा में NEP के ट्राई-लैंग्वेज फॉर्मूले का समर्थन किया।
उन्होंने कहा, ‘अंग्रेजी केवल संवाद की भाषा है। वैश्विक स्तर पर अपनी मातृभाषा में अध्ययन करने और सफल होने वालों की संख्या ज्यादा है।’
उन्होंने कहा- हमें दूसरी भाषाएं सीखते समय अपनी मातृभाषा को नहीं भूलना चाहिए। अगर हम दिल्ली जाएंगे तो हिंदी जानने से आसानी से बातचीत कर सकेंगे।
दरअसल, केंद्र और तमिलनाडु सरकार के बीच ट्राय लैंग्वेज जारी है। तमिलनाडु की स्टालिन सरकार का आरोप है कि केंद्र सरकार तमिलनाडु पर हिंदी थोपने की कोशिश कर रही है।
नायडू ने कहा-
हमारे लोग जापान और जर्मनी जैसे देशों में जा रहे हैं। जरूरत हो तो उन्हें पहले ही उन भाषाओं को सीख लेना चाहिए, ताकि उनके लिए उन देशों में खुद को बनाए रखना आसान हो जाए। रोजगार के लिए कई भाषाएं सीखना फायदेमंद है। इस मुद्दे पर बेवजह राजनीति करना सही नहीं है।
डीएमके सांसद की मांग- लोकल भाषा बोलने वाले रेलवे अधिकारियों की नियुक्ति करें
DMK सांसद मुरासोली एस ने सोमवार को लोकसभा में कहा- तमिलनाडु में खासकर राज्य के गांवों में रेलवे अधिकारियों से बातचीत करने में परेशानी होती है। इसलिए देश के सभी राज्यों के रेलवे स्टेशनों और टिकट काउंटरों पर उन राज्यों के लोकल लोगों (कर्मचारियों) को नियुक्त करना चाहिए, क्योंकि वे लोकल भाषा बोल सकते हैं।
पवन कल्याण ने कहा था – मैंने कभी भी हिंदी भाषा का विरोध नहीं किया
15 मार्च को आंध्र प्रदेश के डिप्टी CM और एक्टर पवन कल्याण ने कहा था कि तमिलनाडु के नेता हिंदी का विरोध करते हैं। दूसरी तरफ तमिल फिल्मों को हिंदी में डब कराकर पैसे कमाते हैं। ऐसा क्यों? ये पाखंड कर रहे हैं।
उन्होंने किसी का नाम लिए बिना कहा था कि एक तरफ वे हिंदी का विरोध करते हैं, लेकिन पैसे कमाने के लिए अपनी फिल्मों को हिंदी में डब कराते हैं। मुझे समझ में नहीं आता कि आखिर ऐसा क्यों। वे बॉलीवुड से पैसा तो चाहते हैं, लेकिन हिंदी को स्वीकार करने से इनकार करते हैं। ये कैसा तर्क है।
शाम होते-होते उन्होंने अपने बयान पर सफाई दी थी। X पोस्ट में पवन ने कहा था- मैंने केवल इसे अनिवार्य बनाने का विरोध किया। जब NEP 2020 खुद हिंदी को लागू नहीं करता है, तो इसके लागू होने के बारे में गलत बयानबाजी करना जनता को गुमराह करने के अलावा और कुछ नहीं है।
वहीं, पवन के बयान एक्टर प्रकाश राज ने कहा था- अपनी हिंदी भाषा हम पर मत थोपिए। यह किसी दूसरी भाषा से नफरत करने के बारे में नहीं है, यह हमारी मातृभाषा और हमारी सांस्कृतिक पहचान को आत्मसम्मान के साथ बचाने के बारे में है। कृपया कोई पवन कल्याण को ये समझाए। पूरी खबर पढ़ें…
जानिए क्या है NEP 2020?
NEP 2020 के तहत, स्टूडेंट्स को तीन भाषाएं सीखनी होंगी, लेकिन किसी भाषा को अनिवार्य नहीं किया गया है। राज्यों और स्कूलों को यह तय करने की आजादी है कि वे कौन-सी तीन भाषाएं पढ़ाना चाहते हैं। किसी भी भाषा की अनिवार्यता का प्रावधान नहीं है।
प्राइमरी क्लासेस (क्लास 1 से 5 तक) में पढ़ाई मातृभाषा या स्थानीय भाषा में करने की सिफारिश की गई है। वहीं, मिडिल क्लासेस (क्लास 6 से 10 तक) में तीन भाषाओं की पढ़ाई करना अनिवार्य है। गैर-हिंदी भाषी राज्य में अंग्रेजी या एक आधुनिक भारतीय भाषा होगी। सेकेंड्री सेक्शन यानी 11वीं और 12वीं में स्कूल चाहे तो विदेशी भाषा भी विकल्प के तौर पर दे सकेंगे।
जानिए कैसे शुरू हुआ ट्राय तमिलनाडु-केंद्र के बीच लैंग्वेज वॉर…
संसद के बजट सत्र के पहले दिन से DMK सांसदों ने नई शिक्षा नीति का विरोध किया था। प्रदर्शन करते हुए सांसद केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के करीब पहुंचे थे और जमकर नारेबाजी की थी।
15 फरवरी: धर्मेंद्र प्रधान ने वाराणसी के एक कार्यक्रम में तमिलनाडु सरकार पर राजनीतिक हितों को साधने का आरोप लगाया।
18 फरवरी: उदयनिधि बोले- केंद्र लैंग्वेज वॉर शुरू न करें चेन्नई में DMK की रैली में डिप्टी CM उदयनिधि स्टालिन ने कहा- धर्मेंद्र प्रधान ने खुलेआम धमकी दी है कि फंड तभी जारी किया जाएगा, जब हम ट्राई लैंग्वेज फॉर्मूला स्वीकार करेंगे, लेकिन हम आपसे भीख नहीं मांग रहे हैं। जो राज्य हिंदी को स्वीकार करते हैं, वे अपनी मातृभाषा खो देते हैं। केंद्र लैंग्वेज वॉर शुरू न करे।
23 फरवरी: शिक्षा मंत्री ने स्टालिन को लेटर लिखा ट्राई लैंग्वेज विवाद पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन को लेटर लिखा। उन्होंने नेशनल एजुकेशन पॉलिसी (NEP) के विरोध की आलोचना की। उन्होंने लिखा, ‘किसी भी भाषा को थोपने का सवाल नहीं है, लेकिन विदेशी भाषाओं पर अत्यधिक निर्भरता खुद की भाषा को सीमित करती है। NEP इसे ही ठीक करने का प्रयास कर रही है।’
25 फरवरी: स्टालिन बोले- हम लैंग्वेज वॉर के लिए तैयार हैं स्टालिन ने कहा- केंद्र हमारे ऊपर हिंदी न थोपे। अगर जरूरत पड़ी तो राज्य एक और लैंग्वेज वॉर के लिए तैयार है।
गैर-हिंदी भाषी राज्यों में हिंदी दूसरी भाषा 5वीं और जहां संभव हो 8वीं तक की क्लासेस की पढ़ाई मातृभाषा, स्थानीय या क्षेत्रीय भाषा में करने पर जोर है। वहीं, गैर-हिंदी भाषी राज्यों में हिंदी दूसरी भाषा के रूप में पढ़ाई जा सकती है। साथ ही, हिंदी भाषी राज्यों में दूसरी भाषा के रूप में कोई अन्य भारतीय भाषा (जैसे- तमिल, बंगाली, तेलुगु आदि) हो सकती है।
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तमिलनाडु CM बोले- हिंदी ने 25 भाषाओं को खत्म किया:यूपी-बिहार कभी हिंदी क्षेत्र नहीं थे; हिंदी मुखौटा और संस्कृत छुपा हुआ चेहरा
तमिलनाडु के CM एमके स्टालिन ने कहा था कि जबरन हिंदी थोपने से 100 सालों में 25 नॉर्थ इंडियन भाषाएं खत्म हो गई। एक अखंड हिंदी पहचान की कोशिश प्राचीन भाषाओं को खत्म कर रही है। उत्तर प्रदेश और बिहार कभी भी हिंदी क्षेत्र नहीं थे। अब उनकी असली भाषाएं अतीत की निशानी बन गई है। पूरी खबर पढ़ें…