आंखों में आंसू ले दिल्ली-नोएडा से भी यूं ही जयुपर नहीं जा रहे गुर्जर, किरोड़ी सिंह बैंसला की यह कहानी उनका कद बताती है

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आंखों में आंसू ले दिल्ली-नोएडा से भी यूं ही जयुपर नहीं जा रहे गुर्जर, किरोड़ी सिंह बैंसला की यह कहानी उनका कद बताती है

आंखों में आंसू ले दिल्ली-नोएडा से भी यूं ही जयुपर नहीं जा रहे गुर्जर, किरोड़ी सिंह बैंसला की यह कहानी उनका कद बताती है

दौसा : राजस्थान में गुर्जर आंदोलन के प्रणेता कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला का निधन (Kirori Singh Bainsla Death)हो गया। गुर्जर समाज को आरक्षण दिलाने और उन्हें आगे बढ़ाने के लिए वो हमेशा संघर्षशील रहे। कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला का अकसर कहते थे कि मेरा सपना है कि मेरे समाज की बेटी कलेक्टर बने। यही वजह है कि शिक्षा की अलख जगाने के लिए लगातार कोशिश करते रहे। अकसर उनके भाषणों में बेटियों को शिक्षित करने का जिक्र होता था। बैंसला के निधन से गुर्जर समाज में शोक की लहर है। ग्रेटर नोएडा और दिल्ली से कई गुर्जर पंचायतों के नेता जयपुर रवाना हो रहे।

समाज को शिक्षित करने पर अकसर किया फोकस
अफसर बेटियों का सपना संजोने वाले कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला अब हमारे बीच नहीं रहे। कर्नल बैंसला किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं उन्होंने अपना पूरा जीवन संघर्ष में बिता दिया। पहले उन्होंने देश सेवा के लिए सैनिक के रूप में काम किया और उसके बाद समाज उत्थान के लिए उन्होंने सड़क पर संघर्ष किया। वे समाज में शिक्षा की अलख जगाने के लिए अकसर अपनी बातों को रखते थे, जिससे समाज की युवा पीढ़ी ज्यादा से ज्यादा शिक्षित हो सकें।

गुर्जर आंदोलन के प्रणेता कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला का निधन, इनके इशारे पर रुक जाता था पूरा राजस्थान
‘मेरा सपना है मेरे समाज की बेटी बने कलेक्टर’
कर्नल बैंसला का एक वाक्य आज सभी के जेहन में याद आ रहा कि ‘मेरा सपना है कि मेरे समाज की बेटी कलेक्टर बने।’ साल 2006 से 2008 तक जो भी आंदोलन हुए उसमें उन्होंने समाज में शिक्षित करने पर ज्यादा फोकस किया। आज उन्हीं की अलख का परिणाम है कि भारतीय प्रशासनिक सेवा हो या फिर राजस्थान प्रशासनिक सेवा हर जगह गुर्जर समाज के युवा बेटे-बेटियों की भागीदारी हुई।

करौली जिले मुंडिया गांव में हुआ था जन्म
कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला का जन्म राजस्थान के करौली जिले के मुंडिया गांव में हुआ था। गुर्जर समुदाय से आने वाले बैंसला ने अपने करियर की शुरुआत शिक्षक के तौर पर की थी। बाद में वो सेना में गए, किरोड़ी सिंह बैंसला सेना में कर्नल थे। रिटायरमेंट के बाद उन्होंने राजनीति में एंट्री की। बैंसला बीजेपी के टिकट पर टोंक- सवाई माधोपुर लोकसभा से सीट से चुनाव में उतरे हालांकि, उन्हें शिकस्त का सामना करना पड़ा।

गुर्जर आरक्षण आंदोलन का किया नेतृत्व, जिनके इशारे पर थम जाता था पूरा राजस्थान
बैंसला के नेतृत्व में गुर्जरों को आरक्षण के लिए राजस्थान में साल 2007 में बड़ा आंदोलन हुआ था। 2015 में भी कर्नल बैंसला के नेतृत्व में फिर गुर्जर आंदोलन हुआ, जिसके बाद तत्कालीन सीएम वसुंधरा राजे के साथ गुर्जर समाज की एक बैठक हुई थी। इसमें गुर्जरों को 5 फीसदी आरक्षण देने का फैसला लिया गया था। वे गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के प्रमुख भी थे। बैंसला के निधन से गुर्जर समाज में शोक की लहर दौड़ गई है। ग्रेटर नोएडा के कई गुर्जर पंचायतों के नेता जयपुर जा रहे हैं।



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