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Newswrap हिन्दुस्तान, बिहारशरीफSat, 28 Sep 2024 03:29 PM
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अवसाद एक अस्वस्थ मानसिक अवस्था, समझें शरीर की भाषा को लापरवाही से बढ़ सकती है बीमारी, तनाव न लें किसी बातों का पावापुरी मेडिकल कॉलेज में ‘डिप्रेशन पर सेमिनार में बोले शिक्षाविद फोटो : पावापुरी कॉलेज : पावापुरी मेडिकल कॉलेज में ‘डिप्रेशन विषय पर आयोजित सेमिनार में शामिल प्राचार्य डॉ. सर्विल कुमारी व अन्य। पावापुरी, निज संवाददाता। मेडिकल कॉलेज में ‘डिप्रेशन : कारण, लक्षण और उपचार विषय पर सेमिनार में वक्ताओं ने कई सुझाव व इससे बचने के उपाय बताए। इसके लिए समाज में जागरूकता फैलाने की बात कही। सेमिनार में कई विशेषज्ञ डॉक्टर और काउंसलर ने अवसाद के बारे में बताया। मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. स्वाति सिन्हा ने कहा कि अवसाद एक अस्वस्थ मानसिक अवस्था है। हम अपने शरीर की भाषा को समझें। हमारा शरीर बीमार होने से पहले कई तरह के संकेत देता है। इस तरह की बीमारियों में लापरवाही से यह और बढ़ सकती है। किसी बात का तनाव न लें। मानसिक बीमारी धीरे धीरे व्यक्ति के जीवन को प्रभावित करती है। निरंतर उदासी, रुचि की कमी, थकान और नींद में बदलाव जैसे लक्षण अवसाद के पहले संकेत हैं। डॉ. उषा कुमारी ने इससे बचने के लिए सकारात्मक सोच और नियमित जीवनशैली को महत्वपूर्ण बताया। तनाव को कम करने के लिए योग, ध्यान और अभ्यास को दिनचर्या में शामिल करने की सलाह दी। प्राचार्य डॉ. सर्विल कुमारी व मनोचिकित्सक डॉ अनंत कुमार वर्मा ने कहा कि अवसाद के लक्षण दिखते ही विशेषज्ञ से सलाह लें। खुद से इसका उपचार या इसे नजरअंदाज करना स्थिति को और गंभीर बना सकती है। नियमित व्यायाम, पौष्टिक आहार और पर्याप्त नींद मानसिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है। सकारात्मक माहौल में रहना कठिनाइयों का सामना करना आसान बना देता है। आवश्यकता पड़ने पर मदद मांगने में भी हिचक नहीं होनी चाहिए। लोगों ने अवसाद के प्रति जनमानस को जागरूक करने का संकल्प लिया। सेमीनार में डॉ. सुनील कुमार, डॉ. विकास कुमार, डॉ. श्रीमोहन मिश्रा, डॉ. अरविंद कुमार, डॉ. राजेश नारायण व अन्य ने अपने विचार व्यक्त किए। अवसाद के रोगियों के लक्षण : बेचैनी, घबराहट या उत्तेजित महसूस करना। थकान व ऊर्जाहिन महसूस करना। सो नहीं पाते हैं या बहुत अधिक सोते हैं। सुबह जल्दी उठ जाते हैं ओर रात में जागे रहते हैं। सिरदर्द या पेट खराब होने की भी परेशानी हो सकती है। व्यस्क सेक्स में रुचि खो देते हैं। स्वयं को बेकार या अत्यधिक दोषी महसूस करना, सोचने या ध्यान केंद्रित करने में परेशानी, भूलने की बीमारी, छोटे निर्णय लेने में विलंब या कठिनाई। निराशाजनक दृष्टिकोण, चिंता में रहना, चिड़चिड़ापन, भूख व वजन में अचानक से परिवर्तन, अनियंत्रित भावनाएं, छोटी छोटी बातों पर गुस्सा आने जैसी परेशानी भी ऐसे रोगियों में लक्षित होती है। अवसाद से बचाव के उपाय : अकेले रहने से बचें। मन लगने वाले कामों में खुद को व्यस्त रखें। परिवार के साथ पूरा समय बिताएं। स्वयं की देखभाल करें। किसी बात को लेकन अनावश्यक व अत्यधिक तनाव न लें। खुशनुमा माहौल ऐसे लोगों के लिए काफी लाभकारी है।
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अवसाद एक अस्वस्थ मानसिक अवस्था, समझें शरीर की भाषा को लापरवाही से बढ़ सकती है बीमारी, तनाव न लें किसी बातों का पावापुरी मेडिकल कॉलेज में ‘डिप्रेशन पर सेमिनार में बोले शिक्षाविद फोटो : पावापुरी कॉलेज : पावापुरी मेडिकल कॉलेज में ‘डिप्रेशन विषय पर आयोजित सेमिनार में शामिल प्राचार्य डॉ. सर्विल कुमारी व अन्य। पावापुरी, निज संवाददाता। मेडिकल कॉलेज में ‘डिप्रेशन : कारण, लक्षण और उपचार विषय पर सेमिनार में वक्ताओं ने कई सुझाव व इससे बचने के उपाय बताए। इसके लिए समाज में जागरूकता फैलाने की बात कही। सेमिनार में कई विशेषज्ञ डॉक्टर और काउंसलर ने अवसाद के बारे में बताया। मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. स्वाति सिन्हा ने कहा कि अवसाद एक अस्वस्थ मानसिक अवस्था है। हम अपने शरीर की भाषा को समझें। हमारा शरीर बीमार होने से पहले कई तरह के संकेत देता है। इस तरह की बीमारियों में लापरवाही से यह और बढ़ सकती है। किसी बात का तनाव न लें। मानसिक बीमारी धीरे धीरे व्यक्ति के जीवन को प्रभावित करती है। निरंतर उदासी, रुचि की कमी, थकान और नींद में बदलाव जैसे लक्षण अवसाद के पहले संकेत हैं। डॉ. उषा कुमारी ने इससे बचने के लिए सकारात्मक सोच और नियमित जीवनशैली को महत्वपूर्ण बताया। तनाव को कम करने के लिए योग, ध्यान और अभ्यास को दिनचर्या में शामिल करने की सलाह दी। प्राचार्य डॉ. सर्विल कुमारी व मनोचिकित्सक डॉ अनंत कुमार वर्मा ने कहा कि अवसाद के लक्षण दिखते ही विशेषज्ञ से सलाह लें। खुद से इसका उपचार या इसे नजरअंदाज करना स्थिति को और गंभीर बना सकती है। नियमित व्यायाम, पौष्टिक आहार और पर्याप्त नींद मानसिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है। सकारात्मक माहौल में रहना कठिनाइयों का सामना करना आसान बना देता है। आवश्यकता पड़ने पर मदद मांगने में भी हिचक नहीं होनी चाहिए। लोगों ने अवसाद के प्रति जनमानस को जागरूक करने का संकल्प लिया। सेमीनार में डॉ. सुनील कुमार, डॉ. विकास कुमार, डॉ. श्रीमोहन मिश्रा, डॉ. अरविंद कुमार, डॉ. राजेश नारायण व अन्य ने अपने विचार व्यक्त किए। अवसाद के रोगियों के लक्षण : बेचैनी, घबराहट या उत्तेजित महसूस करना। थकान व ऊर्जाहिन महसूस करना। सो नहीं पाते हैं या बहुत अधिक सोते हैं। सुबह जल्दी उठ जाते हैं ओर रात में जागे रहते हैं। सिरदर्द या पेट खराब होने की भी परेशानी हो सकती है। व्यस्क सेक्स में रुचि खो देते हैं। स्वयं को बेकार या अत्यधिक दोषी महसूस करना, सोचने या ध्यान केंद्रित करने में परेशानी, भूलने की बीमारी, छोटे निर्णय लेने में विलंब या कठिनाई। निराशाजनक दृष्टिकोण, चिंता में रहना, चिड़चिड़ापन, भूख व वजन में अचानक से परिवर्तन, अनियंत्रित भावनाएं, छोटी छोटी बातों पर गुस्सा आने जैसी परेशानी भी ऐसे रोगियों में लक्षित होती है। अवसाद से बचाव के उपाय : अकेले रहने से बचें। मन लगने वाले कामों में खुद को व्यस्त रखें। परिवार के साथ पूरा समय बिताएं। स्वयं की देखभाल करें। किसी बात को लेकन अनावश्यक व अत्यधिक तनाव न लें। खुशनुमा माहौल ऐसे लोगों के लिए काफी लाभकारी है।