<p style="text-align: justify;"><strong>नई दिल्ली:</strong> भारत के विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर पांच दिनों के अमेरिकी दौरे पर न्यूयॉर्क पहुंच चुके हैं. उनकी मंगलवार को न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासचिव अंतोनियो गुतरेज़ से मुलाकात होगी. वहीं, वाशिंगटन में अमेरिकी विदेश मंत्री टोनी ब्लिंकन और बाइडन प्रशासन के आला अधिकारियों से मुलाकात होगी. जयशंकर के इस दौरे को वैक्सीन किल्लत का समाधान तलाशने की कोशिशों के मद्देनज़र बहुत अहम माना जा रहा है. </p>
<p style="text-align: justify;">जनवरी 2021 में सुरक्षा परिषद में भारत के अस्थाई सदस्यता संभालने के बाद यह पहला मौका है, जब महासचिव के साथ विदेश मंत्री जयशंकर की यह आमने-सामने की मुलाकात होगी. साथ ही अगस्त 2021 में भारत के सुरक्षा परिषद में रोटेशनल अध्यक्षता संभालने से पहले भी इस मुलाकात को महत्वपूर्ण माना जा रहा है.</p>
<p style="text-align: justify;">हालांकि विदेश मंत्री जयशंकर के अमेरिका दौरे का एक अहम एजेंडा वैक्सीन किल्लत दूर करने के उपाय करना है. इस कड़ी में जहां अमेरिकी विदेश मंत्री टोनी ब्लिंकन से लेकर बाइडन प्रशासन के आला अधिकारियों से उनकी मुलाकात होनी है. साथ ही कई प्रमुख फार्मा कंपनियों के विरष्ठ अधिकारियों के साथ भी उनकी बैठक प्रस्तावित है. इसके अलावा भारत-अमेरिका व्यापारिक चैंबर्स के मंच तले उन आला अमेरिकी कंपनियों के सीईओज़ के साथ भी होगी जो कोरोना संकट के दौरान भारत की सहायता कर रही हैं. </p>
<p style="text-align: justify;">गौरतलब है कि भारत की कोशिश अमेरिका की तरफ से घोषित 8 करोड़ वैक्सीन अनुदान में से एक बड़ा हिस्सा हासिल करने की है. इस वैक्सीन सहायता में अमेरिका 6 करोड़ एस्ट्राजेनेका (वही वैक्सीन जो भारत में कोविशील्ड के नाम से उपलब्ध है), टीके भी उपलब्ध कराएगा. अमेरिका में इन टीकों को इस्तेमाल की मंजूरी दी गई थी, लेकिन सरकार ने फायजर, मॉडर्ना और जॉन्सन एंड जॉन्सन वैक्सीन का ही इस्तेमाल किया. बीते दिनों राष्ट्रपति बाइडन ने एस्ट्राजेनेका के अलावा अमेरिकी भंडार में मौजूद अन्य कंपनियों के दो करोड़ वैक्सीन भी अन्य देशों के लिए उपलब्ध कराने की घोषणा की है. </p>
<p style="text-align: justify;">सूत्र बताते हैं कि फायजर और मॉडर्ना समेत अन्य अमेरिकी कंपनियों के साथ बातचीत में विदेश मंत्री जयशंकर की कोशिश टीकों की आपूर्ति को लेकर विदेशी कंपनियों की चिंताओं को दूर करने की होगी. गौरतलब है कि फायजर जैसी कंपनियां न केवल भारत में राज्य सरकारों से अलग अलग अुनबंध करने के बजाए केंद्र सरकार के साथ सौदा करने के हक में बताई जा रही हैं. साथ ही उनकी चिंताएं हर्जाने के खिलाफ आश्वासन हासिल करने की भी हैं.</p>
<p style="text-align: justify;">इस बीच भारत की कोशिश अमेरिका की तरफ से वैक्सीन उत्पादन बढ़ाने के लिए मिलने वाली मदद का दायरा बढ़ाने की भी होगी. इस कवायद में अमेरिकी विकास वित्त निगम की तरफ से भारत की वैक्सीन निर्माण क्षमताओं में निवेश से लेकर नए टीकों के उत्पादन के लिए कच्चे माल से लेकर तकनीक हस्तांतरण जैसे मुद्दे शामिल हैं. </p>
<p style="text-align: justify;"><strong><a href="https://www.abplive.com/news/india/free-vaccines-may-be-big-burden-for-poor-states-it-may-cost-30-percent-of-their-health-budget-1917854" target="_blank" rel="noopener">गरीब राज्यों पर फ्री वैक्सीन का बोझ: इन आठ राज्यों को खर्च करना पड़ सकता है स्वास्थ्य बजट का 30%</a> </strong></p>
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