अमित शाह को ताकते रहे ये दिग्गज, लेकिन नहीं हुई नजरें इनायत, किन भाजपा नेताओं के अरमानों पर फिरा पानी, पढि़ए… | Amit Shah’s effect | Patrika News

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अमित शाह को ताकते रहे ये दिग्गज, लेकिन नहीं हुई नजरें इनायत, किन भाजपा नेताओं के अरमानों पर फिरा पानी, पढि़ए… | Amit Shah’s effect | Patrika News

अमित शाह को ताकते रहे ये दिग्गज, लेकिन नहीं हुई नजरें इनायत, किन भाजपा नेताओं के अरमानों पर फिरा पानी, पढि़ए… | Amit Shah’s effect | Patrika News

– अमित शाह का दौरा इफेक्ट: दिग्गजों के रंग भी पड़े फीके, अधिकतर को तवोज्जो नहीं
– शाह के संकेत के सियासी इफेक्ट डालेंगे सूबे की सियासत में दूर तक असर
– शाह ने सीएम-अध्यक्ष का सियासी वजन बढ़ाया
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[email protected]भोपाल। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के भोपाल दौरे के दौरान कद बढ़ाने के दिग्गज नेताओं के मंसूबों पर पानी फिर गया है। शाह के दौरे में केंद्रीय मंत्रियों सहित कई नेता जुटे। शाह की नजरे-इनायत का इंतजार करने वाले प्रदेश की सियासत के राष्ट्रीय चेहरे इस दौरे के बहाने प्रदेश में अपना प्रभाव बढ़ाना चाहते थे, लेकिन शाह ने सार्वजनिक कार्यक्रमों से लेकर बैठकों तक में अधिकतर चेहरों को कोई तवोज्जो नहीं दी। शाह के इन सियासी संकेतों का इफेक्ट आने वाले दिनों में नजर आएगा। इनमें कुछ चेहरे विभिन्न पदों पर अपनी अप्रत्यक्ष दावेदारी के लिए कद बढ़ाने की मंशा रखते थे, तो कुछ केवल शाह की नजरों में अपने नंबर बढ़ाकर अपने पद व सियासत को मजबूत करने की कोशिश में थे। लेकिन, शाह ने सीएम शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के अलावा अधिकतर को कोई विशेष तवोज्जो नहीं दी। पढि़ए, इस पर विशेष रिपोर्ट…
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ये अनदेखे जैसे रहे-
प्रहलाद पटेल- केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल पिछले कुछ अर्से से प्रदेश की सियासत में खासे सक्रिय है। खास तौर पर दमोह उपचुनाव के समय से उनकी सक्रियता बढ़ी है। पूर्व मंत्री जयंत मलैया के लिए भी प्रहलाद ने ही मुश्किल खड़ी की। इसके अलावा प्रहलाद का नाम भावी नेतृत्व की दौड़ में भी खूब उछला, लेकिन पेगासस लीक कांड में नाम आने के बाद से प्रहलाद का सियासी ग्राफ रूक गया है। अब प्रहलाद इस दौरे से एनर्जी चाह रहे थे, लेकिन शाह ने कहीं पर भी उन्हें कोई तवोज्जो नहीं दी। प्रहलाद केवल सब जगह मौजूद रहकर ही रस्मअदायगी भर रहे।
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एल मुरूगन- मध्यप्रदेश के कोटे से राज्यसभा सांसद बनकर केंद्रीय मंत्री बनने वाले मुरूगन प्रदेश की सियासत से दूर ही है। केवल बड़ी बैठकों के समय मुरूगन नजर आते हैं, लेकिन शाह के सामने नंबर बढ़ाने और प्रदेश के कोटे से होने के कारण मुरूगन इस दौरे में नजर आए। मुरूगन सभी जगहों पर उपस्थित रहे, लेकिन उनसे कोई खास बातचीत नहीं हो सकी। प्रदेश की सियासत की समझ न होने और बाहरी होने के कारण वे महज सभी जगह उपस्थित ही रहे।
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फग्गन सिंह कुलस्ते- केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते प्रदेश की सियासत का एक चर्चित चेहरा है। भाजपा के दलित वोटबैंक के गणित के कारण फग्गन की उपस्थिति जरूरी थी। इस कारण फग्गन सभी जगहों पर मौजूद रहे। खास तौर पर वनवासी सम्मेलन में भी फग्गन की उपस्थिति विशेष तौर पर रही, लेकिन वे अधिक तवोज्जो नहीं पा सके। संगठन में भी बैठक के दौरान फग्गन को विशेष तवोज्जो नहीं मिली।
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इन्हें भरपूर तवोज्जो-
शिवराज सिंह चौहान- सीएम शिवराज सिंह चौहान को शाह ने पूरी तवोज्जो दी। वनवासी सम्मेलन के दौरान मध्यप्रदेश के विकास और शिवराज की जमकर तारीफ की। इससे शिवराज को सियासी लाभ होगा।
वीडी शर्मा- प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा की संगठन की बैठकों के दौरान शाह ने भरपूर तारीफ की। संगठन को सर्वोपरि बताकर उनके कद में इजाफा किया। इससे सूबे की सियासत में वीडी का कद मजबूत होगा।
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इन्हें आंशिक तवोज्जो-
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को शाह ने दौरे के दौरान आंशिक तवोज्जो जरुर दी। सिंधिया पूरे समय महत्वपूर्ण मौकों पर मौजूद रहे। शिवराज व वीडी के अलावा सिंधिया ही ऐसे नेता रहे, जिन्हें शाह ने कुछ तवोज्जो दी।
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ये आए ही नहीं-
नरेंद्र सिंह तोमर- केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर शाह के कार्यक्रम में नहीं आए। तोमर को पीएम नरेंद्र मोदी की टीम का माना जाता है। प्रदेश की बड़ी सियासी बैठकों में तोमर रहते हैं, लेकिन इस बार वे मौजूद नहीं रहे। बाकी भाजपा राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय शाह के कार्यक्रम में देर से पहुंचे। संगठन की बैठक में वे मौजूद रहे।
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युवाओं का दबदबा बढ़ेगा-
शाह के दौरे के सियासी इफेक्ट के तहत आने वाले दिनों में युवा राजनीतिज्ञों का दबदबा और बढ़ेगा। शाह अपनी बैठक में इसके संकेत भी दे गए हैं। अध्यक्ष की उम्र कम होने के बावजूद उनका महत्व मानने के संकेद देने के बाद अब पार्टी में पीढ़ी परिवर्तन की लाइन अभी और बढ़ेगी। इसका असर संगठनात्मक कामकाज से लेकर आने वाले विधानसभा चुनाव के टिकटों तक पडऩे की उम्मीद है। वजह ये कि पार्टी में अनेक नेता ऐसे हैं जो ज्यादा उम्र के कारण सियासी हाशिये पर जा सकते हैं। बीते कुछ अर्से में संगठन से लेकर सत्ता तक इसका असर देखा भी जा चुका है।
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