अब शोभा ओझा ने कांग्रेस पार्टी से किया किनारा, लोकसभा चुनाव में नहीं करेंगी काम, जानिए वजह | Congresss Shobha Ojha withdraws from Lok Sabha elections 2024 | News 4 Social

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अब शोभा ओझा ने कांग्रेस पार्टी से किया किनारा, लोकसभा चुनाव में नहीं करेंगी काम, जानिए वजह | Congresss Shobha Ojha withdraws from Lok Sabha elections 2024 | News 4 Social

अब शोभा ओझा ने कांग्रेस पार्टी से किया किनारा, लोकसभा चुनाव में नहीं करेंगी काम, जानिए वजह | Congresss Shobha Ojha withdraws from Lok Sabha elections 2024 | News 4 Social

जीतू पटवारी को क्या लिखा पत्र में

शोभा ओझा ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी को पत्र लिखकर पार्टी का काम करने में अक्षमता जाहिर की है। हालांकि अंदर ही अंदर माना जा रहा था कि शोभा की पटरी जीतू पटवारी से नहीं बैठ पा रही थी। इसके अलावा पार्टी के कार्यकर्ताओं की टिप्पणी से आहत होकर भी शोभा ओझा ने यह फैसला लिया है। शोभा के ही साथ पूर्व विधायक सत्यनारायण पटेल भी इंदौर लोकसभा सीट के लिए प्रभारी बनाए गए थे। उन्होंने भी उत्तर प्रदेश में अपनी व्यस्तता का हवाला देते हुए समय न देने की बात कही थी।

ओझा का यह मैसेज सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। शोभा के वायरल मैसेज में कहा गया है कि दिल्ली में रहने वाली उनकी बहन की तबीयत बेहद खराब है। वे उनकी मदद में लगी हैं। ऐसे में वे कुछ सप्ताह तक पार्टी के कामों में वक्त नहीं दे सकती हैं।

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टिप्पणी भी एक वजह

यह दबी जुबां में कहा जा रहा है कि इंदौर के कार्यकर्ताओं और पूर्व पदाधिकारियों की टिप्पणी को आहत होकर शोभा ने ऐसा फैसला लिया है। दरअसल, शोभा को प्रभारी बनाए जाने के बाद से कांग्रेस के पदाधिकारी रहे अनूप शुक्ला ने सोशल मीडिया पर आलोचना की थी। उन्होंने वाट्सअप ग्रुपों में यहां तक लिख दिया था कि पार्टी ने उन्हें विधायक से लेकर महापौर तक का चुनाव लड़ाया, लेकिन एक भी चुनाव नहीं जीत सकीं। चुनाव के बाद वे कार्यकर्ताओं के बीच भी नहीं रहती हैं। दिल्ली में प्रभाव के दम पर पद लेकर आ जाती हैं।

वानखेड़े पर आया भार

सत्यनारायण पटेल और शोभा ओझा के अलग होने के बाद अब पूरा भार आगर मालवा के पूर्व विधायक विपिन वानखेड़े के कंधों पर है। उन्हें हाल ही में इंदौर लोकसभा सीट का सह प्रभारी बनाया गया है। गौरतलब है कि इंदौर लोकसभा के कांग्रेस प्रत्याशी अक्षय बम के पुराने संबंध विपिन वानखेड़े से हैं। बताया जा रहा है कि बड़े नेताओं के रुख को भांपकर अक्षय बम के कहने पर ही वानखेड़े को इंदौर की जिम्मेदारी दी गई है।

भाजपा का गढ़ है इंदौर

इंदौर लोकसभा सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाती है। 1989 से यहां भाजपा का कब्जा है। पिछले चुनाव में 2019 में कांग्रेस के पंकज संघवी भाजपा के शंकर लालवानी से रिकार्ड 5.47 लाख वोटों से हार गए थे, अब भाजपा 8 लाख से अधिक वोटों से जीतने का टारगेट लेकर चल रही है। पिछले चुनाव में हारे पंकज संघवी भी अब भाजपा के साथ आ गए हैं। इसके अलावा कांग्रेस छोड़ भाजपा में जाने का सिलसिला लगातार चल रहा है।

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