अब रिलीज के 8 हफ्ते बाद OTT पर आएंगी नई फिल्में, इस बदलाव से बॉलीवुड को होगा फायदा? h3>
आजकल फिल्में सिनेमाघरों में रिलीज के कुछ हफ्ते बाद ही OTT पर आ जाती हैं, जिसके कारण लोग अच्छी मूवी होने के बावजूद उसे थियेटर्स में देखने बजाय, उसके ओटीटी पर आने का इंतजार करते हैं। अब फिल्मवालों ने एक बड़ा फैसला किया है। उन्होंने फिल्मों के थियेटर्स में रिलीज होने के दो महीने बाद उन्हें ओटीटी पर रिलीज करने का फैसला किया है। इसका क्या असर होगा, आइये जानते हैं।
कोरोना की तीसरी वेव के बाद फरवरी में खुले सिनेमाघरों में दर्शकों की वापसी को लेकर हिंदी फिल्म इंडस्ट्री वालों को काफी उम्मीदें थीं, लेकिन उनकी उम्मीदों पर तब पानी फिर गया, जब दर्शक साउथ की हिंदी में डब हुई फिल्मों (South Movies) को देखने के लिए टूट पड़े, लेकिन उन्होंने बॉलीवुड की चुनिंदा फिल्मों को छोड़कर बाकी बड़े स्टार्स की फिल्मों को सिरे से नकार दिया। लगातार फ्लॉप हुई ‘बच्चन पांडे’, ‘रनवे 34’, ‘हीरोपंती 2’, ‘सम्राट पृथ्वीराज’ और ‘जुग जुग जियो’ के बाद इंडस्ट्रीवालों के माथे पर चिंता की लकीरें खिंच गई हैं।
1 अगस्त से होगा ये बदलाव
कई हिंदी फिल्में हुईं फ्लॉप
फिल्म इंडस्ट्री के जानकारों की अगर मानें तो बॉलीवुड फिल्मों (Bollywood Movies) की इस दुर्दशा पर जब फिल्मवालों ने चिंतन किया तो इसकी एक बड़ी वजह सामने निकलकर आई। वो वजह ये कि दर्शकों के सिनेमाघर नहीं आने का सबसे बड़ा कारण फिल्मों का थियेटर में रिलीज के महज तीन-चार हफ्तों में ओटीटी पर रिलीज हो जाना है। दरअसल, कोरोना से पहले कोई भी फिल्म थियेटर में रिलीज होने के कम से कम 8 हफ्ते बाद ओटीटी पर रिलीज होती थी, लेकिन कोरोना के बाद इसे कम करके तीन से चार हफ्ता कर दिया है। इसके बाद मल्टीप्लेक्स एसोसिएशन और प्रोड्यूसर्स ने मिलकर फैसला किया कि 1 अगस्त के बाद से सिनेमाघरों में रिलीज होने वाली सभी फिल्में कोरोना से पहले की तरह कम से कम आठ हफ्तों बाद ओटीटी पर रिलीज की जाएंगी।
सिनेमाघरों को दर्शकों की उम्मीद
इससे क्या बदलाव होगा? इस बारे में बात करने पर फिल्म ट्रेड एनालिस्ट कोमल नाहटा कहते हैं, ‘कोविड के बाद खुले सिनेमाघरों में बहुत कम हिंदी फिल्में ही अच्छा प्रदर्शन कर पाई हैं। इसकी वजह फिल्मों का बहुत जल्दी ओटीटी पर आ जाना माना जा रहा है, जिसकी वजह से दर्शक सिनेमाघर नहीं पहुंच रहे हैं। इसलिए मल्टीप्लेक्सवालों ने फिल्म निर्माताओं के साथ मिलकर ये फैसला लिया है कि अगले महीने से थियेटर्स में रिलीज होने वाली कोई भी फिल्म कम से कम आठ हफ्ते बाद ओटीटी पर आएगी।
प्रोड्यूसर्स को होगा नुकसान
सिनेमाघरों में बढ़ेगी ऑडियंस की संख्या!
हालांकि इससे प्रोड्यूसर्स को कुछ नुकसान होगा, क्योंकि अब उन्हें ओटीटीवालों से कम रकम मिलेगी। लेकिन उनका मानना है कि इसकी पूर्ति उन्हें सिनेमाघरों में होने वाली ज्यादा कमाई से होगी।’ बकौल कोमल, ‘इस बदलाव को इंडस्ट्रीवाले एक नई उम्मीद की तरह देख रहे हैं, क्योंकि महज तीन-चार हफ्ते बाद अगर कोई फिल्म ओटीटी पर आती, तो सिर्फ पहले हफ्ते में फिल्म देखने वाले लोग ही सिनेमा में देखते हैं। बाकी लोग उसके ओटीटी पर आने का इंतजार करते हैं। इसलिए फिल्म इंडस्ट्रीवालों का मानना है कि इस फैसले से सिनेमा में फिल्म देखने वाले दर्शकों की संख्या बढ़ेगी। लेकिन इतना तय है कि अब ओटीटीवाले फिल्मों को खरीदते वक्त और भी नियम और शर्तें लागू कर सकते हैं। मसलन वे फिल्म की कीमत में शर्त जोड़ सकते हैं कि अगर उसने 100 करोड़ कमाए, तो इतनी रकम मिलेगी और नहीं कमाए तो इतनी।’
फिल्मों के बढ़ेंगे दर्शक
वहीं, प्रोड्यूसर और फिल्म बिजनेस एनालिस्ट गिरीश जौहर भी इसे फिल्मों के लिए अच्छा फैसला बताते हैं। गिरीश ने बताया, ‘फिल्मों को महज 4 हफ्ते बाद ओटीटी पर रिलीज करने का फैसला तब लिया गया था, जब थिएटर्स पूरी कपैसिटी में नहीं खुल रहे थे, तब ओटीटीवाले निर्माता को फिल्में जल्दी रिलीज करने के लिए अच्छा पैसा दे रहे थे। लेकिन अब लोगों को ओटीटी की आदत हो गई है और फिल्में ओटीटी पर 4 हफ्ते में रिलीज हो रही हैं तो सिनेमाघरों पर भी इसका असर देखने को मिल रहा है।’
साउथ वाले पहले ही कर चुके हैं ये बदलाव
साउथ वाले पहले ही कर चुके हैं बदलाव
वो आगे कहते हैं, ‘अब दर्शक ओटीटी पर ही फिल्में देखना पसंद कर रहे हैं और सिनेमाघरों तक कम जा रहे हैं। इस ट्रेंड को देखते हुए साउथ वालों ने फिल्मों के ओटीटी पर रिलीज का समय पहले ही बढ़ा दिया था, अब हिंदी फिल्म इंडस्ट्री ने भी ऐसा ही करने का फैसला कर लिया है। बेशक फिल्मों को सिनेमा में रिलीज से पहले ओटीटी पर रिलीज करने से ओटीटीवालों का काफी पैसा बर्बाद हुआ है।’
अब आमिर-अक्षय की मूवी के लिए करना होगा वेट
उनका कहना है, ‘इसलिए अब उनका कहना है कि हम पहले फिल्म की बॉक्स ऑफिस पर परफॉर्मेंस देखेंगे और फिर फिल्म को ओटीटी के लिए लेंगे। इसलिए फैसला लिया गया है कि अब फिल्में सिनेमा में रिलीज के आठ हफ्ते बाद ही ओटीटी पर आएंगी। यह बदलाव एक अगस्त से लागू होगा। इस तरह ‘लाल सिंह चड्ढा’ और ‘रक्षा बंधन’ अब सिनेमा में रिलीज के 8 हफ्ते बाद ही ओटीटी पर आएंगी। हालांकि यह भी देखना होगा कि उनकी पहले क्या डील हुई है।’
1 अगस्त से होगा ये बदलाव
कई हिंदी फिल्में हुईं फ्लॉप
फिल्म इंडस्ट्री के जानकारों की अगर मानें तो बॉलीवुड फिल्मों (Bollywood Movies) की इस दुर्दशा पर जब फिल्मवालों ने चिंतन किया तो इसकी एक बड़ी वजह सामने निकलकर आई। वो वजह ये कि दर्शकों के सिनेमाघर नहीं आने का सबसे बड़ा कारण फिल्मों का थियेटर में रिलीज के महज तीन-चार हफ्तों में ओटीटी पर रिलीज हो जाना है। दरअसल, कोरोना से पहले कोई भी फिल्म थियेटर में रिलीज होने के कम से कम 8 हफ्ते बाद ओटीटी पर रिलीज होती थी, लेकिन कोरोना के बाद इसे कम करके तीन से चार हफ्ता कर दिया है। इसके बाद मल्टीप्लेक्स एसोसिएशन और प्रोड्यूसर्स ने मिलकर फैसला किया कि 1 अगस्त के बाद से सिनेमाघरों में रिलीज होने वाली सभी फिल्में कोरोना से पहले की तरह कम से कम आठ हफ्तों बाद ओटीटी पर रिलीज की जाएंगी।
सिनेमाघरों को दर्शकों की उम्मीद
इससे क्या बदलाव होगा? इस बारे में बात करने पर फिल्म ट्रेड एनालिस्ट कोमल नाहटा कहते हैं, ‘कोविड के बाद खुले सिनेमाघरों में बहुत कम हिंदी फिल्में ही अच्छा प्रदर्शन कर पाई हैं। इसकी वजह फिल्मों का बहुत जल्दी ओटीटी पर आ जाना माना जा रहा है, जिसकी वजह से दर्शक सिनेमाघर नहीं पहुंच रहे हैं। इसलिए मल्टीप्लेक्सवालों ने फिल्म निर्माताओं के साथ मिलकर ये फैसला लिया है कि अगले महीने से थियेटर्स में रिलीज होने वाली कोई भी फिल्म कम से कम आठ हफ्ते बाद ओटीटी पर आएगी।
प्रोड्यूसर्स को होगा नुकसान
सिनेमाघरों में बढ़ेगी ऑडियंस की संख्या!
हालांकि इससे प्रोड्यूसर्स को कुछ नुकसान होगा, क्योंकि अब उन्हें ओटीटीवालों से कम रकम मिलेगी। लेकिन उनका मानना है कि इसकी पूर्ति उन्हें सिनेमाघरों में होने वाली ज्यादा कमाई से होगी।’ बकौल कोमल, ‘इस बदलाव को इंडस्ट्रीवाले एक नई उम्मीद की तरह देख रहे हैं, क्योंकि महज तीन-चार हफ्ते बाद अगर कोई फिल्म ओटीटी पर आती, तो सिर्फ पहले हफ्ते में फिल्म देखने वाले लोग ही सिनेमा में देखते हैं। बाकी लोग उसके ओटीटी पर आने का इंतजार करते हैं। इसलिए फिल्म इंडस्ट्रीवालों का मानना है कि इस फैसले से सिनेमा में फिल्म देखने वाले दर्शकों की संख्या बढ़ेगी। लेकिन इतना तय है कि अब ओटीटीवाले फिल्मों को खरीदते वक्त और भी नियम और शर्तें लागू कर सकते हैं। मसलन वे फिल्म की कीमत में शर्त जोड़ सकते हैं कि अगर उसने 100 करोड़ कमाए, तो इतनी रकम मिलेगी और नहीं कमाए तो इतनी।’
फिल्मों के बढ़ेंगे दर्शक
वहीं, प्रोड्यूसर और फिल्म बिजनेस एनालिस्ट गिरीश जौहर भी इसे फिल्मों के लिए अच्छा फैसला बताते हैं। गिरीश ने बताया, ‘फिल्मों को महज 4 हफ्ते बाद ओटीटी पर रिलीज करने का फैसला तब लिया गया था, जब थिएटर्स पूरी कपैसिटी में नहीं खुल रहे थे, तब ओटीटीवाले निर्माता को फिल्में जल्दी रिलीज करने के लिए अच्छा पैसा दे रहे थे। लेकिन अब लोगों को ओटीटी की आदत हो गई है और फिल्में ओटीटी पर 4 हफ्ते में रिलीज हो रही हैं तो सिनेमाघरों पर भी इसका असर देखने को मिल रहा है।’
साउथ वाले पहले ही कर चुके हैं ये बदलाव
साउथ वाले पहले ही कर चुके हैं बदलाव
वो आगे कहते हैं, ‘अब दर्शक ओटीटी पर ही फिल्में देखना पसंद कर रहे हैं और सिनेमाघरों तक कम जा रहे हैं। इस ट्रेंड को देखते हुए साउथ वालों ने फिल्मों के ओटीटी पर रिलीज का समय पहले ही बढ़ा दिया था, अब हिंदी फिल्म इंडस्ट्री ने भी ऐसा ही करने का फैसला कर लिया है। बेशक फिल्मों को सिनेमा में रिलीज से पहले ओटीटी पर रिलीज करने से ओटीटीवालों का काफी पैसा बर्बाद हुआ है।’
अब आमिर-अक्षय की मूवी के लिए करना होगा वेट
उनका कहना है, ‘इसलिए अब उनका कहना है कि हम पहले फिल्म की बॉक्स ऑफिस पर परफॉर्मेंस देखेंगे और फिर फिल्म को ओटीटी के लिए लेंगे। इसलिए फैसला लिया गया है कि अब फिल्में सिनेमा में रिलीज के आठ हफ्ते बाद ही ओटीटी पर आएंगी। यह बदलाव एक अगस्त से लागू होगा। इस तरह ‘लाल सिंह चड्ढा’ और ‘रक्षा बंधन’ अब सिनेमा में रिलीज के 8 हफ्ते बाद ही ओटीटी पर आएंगी। हालांकि यह भी देखना होगा कि उनकी पहले क्या डील हुई है।’