अब टीचर भर्ती पर BPSC से भिड़ा केके पाठक का शिक्षा विभाग, बोला- स्वायत्तता का मतलब अराजकता नहीं

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अब टीचर भर्ती पर BPSC से भिड़ा केके पाठक का शिक्षा विभाग, बोला- स्वायत्तता का मतलब अराजकता नहीं

अब टीचर भर्ती पर BPSC से भिड़ा केके पाठक का शिक्षा विभाग, बोला- स्वायत्तता का मतलब अराजकता नहीं

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बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) और  केके पाठक के शिक्षा विभाग के बीच तनातनी अब भी जारी है। इस पूरे विवाद में अब नया मोड़ आ गया है। माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने बीपीएससी के सचिव को पत्र का जवाब देते हुए कहा कि आयोग की स्वायत्तता  का मतलब अराजकता नहीं होता। और ये पूछा कि नियुक्ति से पहले प्रमाण पत्रों की जांच की कार्रवाई कब-कब हुईं यह बताया जाए। साथ ही माध्यमिक शिक्षा निदेशक कन्हैया प्रसाद श्रीवास्तव  ने कहा कि  शिक्षक नियुक्ति का प्रशासनिक विभाग शिक्षा विभाग है, ऐसे में कोई भी निर्णय लेने के पहले प्रशासनिक विभाग से आवश्यक चर्चा करनी चाहिए


इसके अलावा ऐसे किसी भी निर्णय से पहले विधि विभाग और सामान्य प्रशासन विभाग से परामर्श करना भी जरूरी है। शिक्षा निदेशक ने ये सवाल भी उठाया कि जब इस मामले में मुख्य सचिव ने सारी स्थिति स्पष्ट कर दी थी, तो फिर आयोग को पत्र लिखने का कोई आवश्यकता नहीं थी। शिक्षा विभाग ने बीपीएससी का मूल पत्र भी उन्हें वापस कर दिया है।  

इससे पहले माध्यमिक शिक्षा निदेशक कन्हैया प्रसाद श्रीवास्तव ने मंगलवार को बीपीएससी को पत्र लिखकर शिक्षक अभ्यर्थियों के प्रमाण पत्रों की जांच में शिक्षकों और शिक्षा विभाग के अधिकारियों की तैनाती पर आपत्ति जताई थी। इसके जवाब में शुक्रवार को बीपीएससी के अध्यक्ष अतुल प्रसाद ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए ट्वीट किया। साथ ही आयोग के सचिव की ओर से जवाबी पत्र भेजा गया। आयोग के कार्य में हस्तक्षेप नहीं करने की हिदायत भी शिक्षा विभाग को दी गई है। 

शिक्षा विभाग को लिखे पत्र में आयोग के सचिव रवि भूषण ने कहा है शिक्षक अभ्यर्थियों के प्रमाणपत्रों की जांच पूर्व से चली आ रही व्यवस्था के तहत की जा रही है। यह दो स्तरों पर होती है। पहले बीपीसएसी अपने स्तर से करती है। फिर अधियाची विभाग सफल अभ्यर्थियों के नियोजन के समय कराता है। बिना अपने स्तर से सत्यापन के आयोग न कोई अनुशंसा भेज सकता है ना ही डोसियर। सत्यापन कार्य में राज्य सरकार सहयोग करती रही है। इसके लिए किस विभाग के किस पदाधिकारी और कर्मी की प्रतिनियुक्ति की जाय, यह राज्य सरकार का विषय है। इसमें कोई भी आपत्ति या अनुरोध सरकार से किया जाना चाहिए। वहीं इस मामले में मुख्य सचिव ने सभी डीएम को पत्र भेजकर शिक्षा विभाग के अफसरों, शिक्षकों को सत्यापन कार्य से अलग करने को कहा था। 

इस मामले पर बीपीएससी के चेयरमैन अतुल प्रसाद ने ट्वीट भी किया था, लिखा था कि सरकार अपने अधिकारियों को प्रतिनियुक्त करती है और बाद में उन्हें बदल देती है। इससे हमें कोई चिंता नहीं होती है। बिना नाम लिए विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक को निशाने पर लेते हुए आगे लिखा है, ‘लेकिन ऐसे तत्व जो टीआरई-डीवी (शिक्षक भर्ती परीक्षा-प्रमाणपत्र सत्यापन) रद्द कराने की कोशिश कर रहे हैं, उन्हें और ज्यादा कोशिश करनी चाहिए। स्पष्ट किया कि सत्यापन जारी रहेगा।

शिक्षा विभाग और बीपीएससी के बीच चल रही इस रार के बीच राज्य सरकार बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा चयनित शिक्षकों की नियुक्ति के तुरंत बाद उन्हें प्रशिक्षण देगी। राज्य शिक्षा शोध एवं प्रशिक्षण परिषद के द्वारा प्रशिक्षण मॉड्यूल तैयार किया जा रहा है, जिसे एक सप्ताह में अंतिम रूप दे दिया जाएगा। सभी शिक्षकों को कम-से-कम दो से तीन सप्ताह का प्रशिक्षण दिया जाएगा। राज्य सरकार के 66 शिक्षक प्रशिक्षण केंद्र हैं, जहां पर इन्हें प्रशिक्षण दिया जाएगा। वहीं चार सितंबर से शिक्षक नियुक्ति के लिए माध्यमिक और उच्च माध्यमिक के अभ्यर्थियों के प्रमाण-पत्रों की जांच की जा रही है। सत्यापन का कार्य 12 सितंबर तक लगातार चलेगा।


 

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