अफजाल बोले- हिम्मत है तो बर्क को गिरफ्तार करके दिखाओ: गाजीपुर में कहा- संभल सासंद जियाउर्रहमान ने क्या कोई रेप या मर्डर किया है – Ghazipur News h3>
कृपा कृष्ण ‘केके’ | गाजीपुरकुछ ही क्षण पहले
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गाजीपुर में अफजाल अंसारी ने सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क के समर्थन में योगी सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने कहा- सरकार जिस तरह से कार्रवाई कर रही है, उससे लगता है कि जियाउर्रहमान बर्क की गिरफ्तारी हो सकती है। मुझे लगता है कि गिरफ्तारी के लिए हर वक्त तैयार रहना चाहिए। कुछ लोग तानाशाही तरीके से व्यवस्था चलाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन जनता उन्हें नाकाम कर देगी।
बर्क बहुत साहसी हैं और उन्होंने कोई ऐसा पाप नहीं किया है। जिससे उन्हें डरना पड़े। अगर हिम्मत है, तो उन्हें गिरफ्तार करके दिखाओ। बताइए, जनता द्वारा चुने गए लाखों लोगों पर ये कौन सा आरोप है? कोई बताओ, हत्या का आरोप है या डकैती का?
अफजाल अंसारी ने कहा- कल लखनऊ की सड़कों पर पच्चीस-छब्बीस संगठन उतरे थे। क्या ये बलात्कारी हैं? क्या ये जनता को भड़काने वाले हैं? इन सबका मुकाबला किया गया है। जिस भाषा का इस्तेमाल किया गया है और जिस तरह से जनता को उकसाने की कोशिश की गई है, वह पूरी कानून व्यवस्था और सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती है। एक बड़े पाप को छुपाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। बर्क साहब से बात की जाए, लेकिन इसके अलावा कुछ नहीं है। कोर्ट से राहत मिल चुकी है।
मुर्शिदाबाद दंगे को लेकर बोले अफजाल अंसारी उन्होंने कहा- मैंने अभी तक यह खबर नहीं देखी है, लेकिन देश में जहां भी दंगे-झगड़े हो रहे हैं, कोई भी सभ्य समाज या व्यक्ति इसकी अपील नहीं करता। हम कह रहे हैं कि देश की जनता सशंकित है, उसे हमारी नीयत पर शक है। हम कुछ कहते हैं और कुछ करते हैं, इसलिए उद्देश्य पर भी शक हो रहा है।
क्या हम ये कह रहे हैं कि हमें अल्पसंख्यक और पिछड़े लोगों के प्रति बहुत दर्द है? कि हम उन्हें उनके अधिकार देना चाहते हैं, जबकि हम देश के बहुसंख्यक पिछड़े वर्ग के अधिकारों को छीन रहे हैं। हमने आरक्षण को खत्म कर दिया है, इसलिए लोगों को शक हो रहा है।
हमें अल्पसंख्यक महिलाओं की बहुत चिंता है, और उनके कल्याण के लिए ये निर्णय ले रहे हैं। लेकिन जब हमने अपने ही परिवार को उनके अधिकार नहीं लौटाए, तो लोग हमसे कैसे उम्मीद करें कि हम अल्पसंख्यक महिलाओं के दर्द को समझेंगे।
वक्फ बोर्ड को लेकर भी दिया बयान अफजाल अंसारी ने कहा- मैंने यह सवाल संसद में भी पूछा था। मुंबई की सबसे ऊंची इमारत, जिसे देश भर के लोग जानते हैं, ‘यतीमखाना’ नाम की जमीन पर बनी है। अब वह खतरे में है। अगर वक्फ बोर्ड के पास इसके अधिकार हैं, तो कल यह इमारत भी खतरे में पड़ सकती है।
वक्फ की संपत्ति किसी हाकिम के बाप की नहीं संसद में जो सवाल उठाए जाते हैं, वे यही दर्शाते हैं कि लोग पहले से ही इन मुद्दों को लेकर विचलित हैं। लोगों को चिंता है कि क्या हम वक्फ संपत्तियों की रक्षा करेंगे। अगर हां, तो आपने लाल किले को संरक्षण के नाम पर डालमिया को क्यों सौंपा। क्या यह नहीं दर्शाता कि लोग हमारे इरादों पर शक करें। वक्फ की संपत्ति किसी हाकिम के बाप की नहीं है। यह एक ट्रस्ट की संपत्ति है, जिसे किसी दानी ने समाज के हित के लिए दिया है।
वक्फ एक अमानत है—एक ऐसा ट्रस्ट, जिसमें 99 प्रतिशत लोग अब इस दुनिया में नहीं हैं। तो फिर उस ट्रस्ट का मालिक कोई और कैसे हो सकता है? अगर आप उसमें बेईमानी करते हैं, तो यह आपके ईमान पर सवाल उठाता है। पारदर्शिता होनी चाहिए। लेकिन यदि ईमानदारी के नाम पर कोई व्यक्ति उस अमानत को हथिया ले, तो यह गलत है।
बेकार पड़ी जमीनों को किया जाए उपयोग हम मदरसे, ईदगाह या किसी धार्मिक स्थल को नहीं छूएंगे, लेकिन वक्फ की जो जमीनें बेकार पड़ी हैं, उनका उपयोग किया जाएगा। हम उन्हें बेचकर मुस्लिम पिछड़े वर्ग और महिलाओं के कल्याण के लिए खर्च करेंगे।
लेकिन लोग संदेह में हैं। क्योंकि इस देश में दो ही चीजें बिकती हैं, एक वो ऊंची इमारत जो मुंबई में चमक रही है, और दूसरी, वह व्यवस्था जो उसे बेचने जा रही है। अब सवाल यह है कि वह बेचेगा कौन, और खरीदेगा कौन।
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कृपा कृष्ण ‘केके’ | गाजीपुरकुछ ही क्षण पहले
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गाजीपुर में अफजाल अंसारी ने सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क के समर्थन में योगी सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने कहा- सरकार जिस तरह से कार्रवाई कर रही है, उससे लगता है कि जियाउर्रहमान बर्क की गिरफ्तारी हो सकती है। मुझे लगता है कि गिरफ्तारी के लिए हर वक्त तैयार रहना चाहिए। कुछ लोग तानाशाही तरीके से व्यवस्था चलाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन जनता उन्हें नाकाम कर देगी।
बर्क बहुत साहसी हैं और उन्होंने कोई ऐसा पाप नहीं किया है। जिससे उन्हें डरना पड़े। अगर हिम्मत है, तो उन्हें गिरफ्तार करके दिखाओ। बताइए, जनता द्वारा चुने गए लाखों लोगों पर ये कौन सा आरोप है? कोई बताओ, हत्या का आरोप है या डकैती का?
अफजाल अंसारी ने कहा- कल लखनऊ की सड़कों पर पच्चीस-छब्बीस संगठन उतरे थे। क्या ये बलात्कारी हैं? क्या ये जनता को भड़काने वाले हैं? इन सबका मुकाबला किया गया है। जिस भाषा का इस्तेमाल किया गया है और जिस तरह से जनता को उकसाने की कोशिश की गई है, वह पूरी कानून व्यवस्था और सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती है। एक बड़े पाप को छुपाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। बर्क साहब से बात की जाए, लेकिन इसके अलावा कुछ नहीं है। कोर्ट से राहत मिल चुकी है।
मुर्शिदाबाद दंगे को लेकर बोले अफजाल अंसारी उन्होंने कहा- मैंने अभी तक यह खबर नहीं देखी है, लेकिन देश में जहां भी दंगे-झगड़े हो रहे हैं, कोई भी सभ्य समाज या व्यक्ति इसकी अपील नहीं करता। हम कह रहे हैं कि देश की जनता सशंकित है, उसे हमारी नीयत पर शक है। हम कुछ कहते हैं और कुछ करते हैं, इसलिए उद्देश्य पर भी शक हो रहा है।
क्या हम ये कह रहे हैं कि हमें अल्पसंख्यक और पिछड़े लोगों के प्रति बहुत दर्द है? कि हम उन्हें उनके अधिकार देना चाहते हैं, जबकि हम देश के बहुसंख्यक पिछड़े वर्ग के अधिकारों को छीन रहे हैं। हमने आरक्षण को खत्म कर दिया है, इसलिए लोगों को शक हो रहा है।
हमें अल्पसंख्यक महिलाओं की बहुत चिंता है, और उनके कल्याण के लिए ये निर्णय ले रहे हैं। लेकिन जब हमने अपने ही परिवार को उनके अधिकार नहीं लौटाए, तो लोग हमसे कैसे उम्मीद करें कि हम अल्पसंख्यक महिलाओं के दर्द को समझेंगे।
वक्फ बोर्ड को लेकर भी दिया बयान अफजाल अंसारी ने कहा- मैंने यह सवाल संसद में भी पूछा था। मुंबई की सबसे ऊंची इमारत, जिसे देश भर के लोग जानते हैं, ‘यतीमखाना’ नाम की जमीन पर बनी है। अब वह खतरे में है। अगर वक्फ बोर्ड के पास इसके अधिकार हैं, तो कल यह इमारत भी खतरे में पड़ सकती है।
वक्फ की संपत्ति किसी हाकिम के बाप की नहीं संसद में जो सवाल उठाए जाते हैं, वे यही दर्शाते हैं कि लोग पहले से ही इन मुद्दों को लेकर विचलित हैं। लोगों को चिंता है कि क्या हम वक्फ संपत्तियों की रक्षा करेंगे। अगर हां, तो आपने लाल किले को संरक्षण के नाम पर डालमिया को क्यों सौंपा। क्या यह नहीं दर्शाता कि लोग हमारे इरादों पर शक करें। वक्फ की संपत्ति किसी हाकिम के बाप की नहीं है। यह एक ट्रस्ट की संपत्ति है, जिसे किसी दानी ने समाज के हित के लिए दिया है।
वक्फ एक अमानत है—एक ऐसा ट्रस्ट, जिसमें 99 प्रतिशत लोग अब इस दुनिया में नहीं हैं। तो फिर उस ट्रस्ट का मालिक कोई और कैसे हो सकता है? अगर आप उसमें बेईमानी करते हैं, तो यह आपके ईमान पर सवाल उठाता है। पारदर्शिता होनी चाहिए। लेकिन यदि ईमानदारी के नाम पर कोई व्यक्ति उस अमानत को हथिया ले, तो यह गलत है।
बेकार पड़ी जमीनों को किया जाए उपयोग हम मदरसे, ईदगाह या किसी धार्मिक स्थल को नहीं छूएंगे, लेकिन वक्फ की जो जमीनें बेकार पड़ी हैं, उनका उपयोग किया जाएगा। हम उन्हें बेचकर मुस्लिम पिछड़े वर्ग और महिलाओं के कल्याण के लिए खर्च करेंगे।
लेकिन लोग संदेह में हैं। क्योंकि इस देश में दो ही चीजें बिकती हैं, एक वो ऊंची इमारत जो मुंबई में चमक रही है, और दूसरी, वह व्यवस्था जो उसे बेचने जा रही है। अब सवाल यह है कि वह बेचेगा कौन, और खरीदेगा कौन।