‘अफगान सेना को हथियार दे रहा भारत’, तालिबान बोला- हमसे बातचीत से पहले निष्पक्षता साबित करो

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‘अफगान सेना को हथियार दे रहा भारत’, तालिबान बोला- हमसे बातचीत से पहले निष्पक्षता साबित करो


‘अफगान सेना को हथियार दे रहा भारत’, तालिबान बोला- हमसे बातचीत से पहले निष्पक्षता साबित करो

काबुल
अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी के बाद देश के अधिकतर हिस्सों पर कब्जा कर चुके तालिबान का रवैया भारत को लेकर काफी आक्रामक दिख रहा है। तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने दावा किया है कि भारत अफगान सेना को हथियार दे रहा है। इतना ही नहीं, तालिबान ने बातचीत की पहल से पहले भारत को अपनी निष्पक्षता साबित करने के लिए भी कहा है।

‘भारत को साबित करनी होगी निष्पक्षता’
फॉरेन पॉलिसी मैगजीन से बातचीत में सुहैल शाहीन ने कहा कि अगर भारत तालिबान के साथ बात करना चाहता है तो उसे पहले अपनी निष्पक्षता साबित करनी होगी। सुहैल हाल में ही रूस में आयोजित शांति वार्ता को खत्म करते कतर की राजधानी दोहा स्थित तालिबान के राजनीतिक मुख्यालय लौटे हैं। इस दौरान तालिबान ने रूस की चिंताओं पर अपनी सफाई दी। तालिबान ने रूस से वादा किया है कि वह पूर्व सोवियत देश तजाकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज़्बेकिस्तान की सीमाओं पर शांति बनाए रखेगा।

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‘विदेशियों की बनाई सरकार का पक्ष ले रहा भारत’
तालिबान के प्रवक्ता ने कहा कि भारत विदेशियों द्वारा स्थापित अफगान सरकार का पक्ष ले रहा था। वे हमारे साथ नहीं हैं। अगर वे अफगानों पर थोपी गई सरकार का समर्थन करने की अपनी नीति पर कायम रहते हैं, तो शायद उन्हें चिंतित होना चाहिए। वह एक है गलत नीति जो उनकी रक्षा नहीं करेगी। भारत शुरू से ही अफगानिस्तान में किसी भी सैन्य संगठन या मिलिशिया का समर्थन करने में चौकन्ना रहा है। नॉर्दन अलायंस को दी गई रक्षा मदद से भी भारत को बड़ी सीख मिली है।

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अफगान सरकार को हथियार देने का लगाया आरोप
शाहीन ने आरोप लगाया कि भारत अफगान सरकार को हथियार दे रहा है, जिससे समूह परेशान है।

हमें अपने कमांडरों से रिपोर्ट मिली है कि भारत दूसरे पक्ष को हथियार मुहैया करा रहा है। यह कैसे संभव है कि वे तालिबान से बात करना चाहते हैं लेकिन व्यावहारिक रूप से वे काबुल को हथियार, ड्रोन, सब कुछ उपलब्ध करा रहे हैं? यह विरोधाभासी है।

सुहैल शाहीन

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रूस-चीन और ईरान के साथ तालिबान ने स्वीकारा संबंध
उन्होंने कहा कि हमारे रूस, ईरान और चीन के साथ एक या दो नहीं बल्कि कई वर्षों से राजनीतिक संबंध हैं। हमने कई बार उनसे मुलाकात की है और उन्हें आश्वासन दिया है कि हम अफगानी क्षेत्र को इन देशों के खिलाफ इस्तेमाल होने नहीं देंगे। चीन तो पाकिस्तान के सहारे कई साल से तालिबान के साथ गुपचुप बातचीत कर रहा है। जबकि, तालिबान का रूस के साथ संबंध बहुत पुराना है।

Members of Taliban political office attend a news conference in Moscow.

तालिबान के राजनीतिक विंग के नेता



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