‘अपने हीरो आप खुद हो, हमेशा बड़े सपने देखो’: श्रीकांत बोल्ला स्टूडेंट्स से बोले- ‘श्रीकांत’ फिल्म नहीं, बल्कि वास्तविकता है, जिससे मेरी सोच लोगों तक पहुंची – Jaipur News h3>
पूर्णिमा इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी में इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स से रूबरू हुए।
मेरे पास भले ही साइट नहीं है, लेकिन 100 परसेंट विजन है, यह दिखता नहीं माइंड में होता है। दृष्टिबाधित होने से मुझे हर जगह चुनौतियां झेलनी पड़ी, लेकिन हर बाधा ने मुझे और बेहतर बनने में मदद की। यह कहना था बोलैंट इंडस्ट्रीज के संस्थापक व अध्यक्ष श्रीकांत
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श्रीकांत ने यहां उन्होंने जीवन की चुनौतियां साझा करते हुए बताया कि किस प्रकार उन्होंने इन पर जीत प्राप्त की।
स्टूडेंट अविका अगल व अक्षक गुप्ता के साथ इंटरेक्शन के दौरान श्रीकांत ने कहा कि मैंने साइंस पढ़ने के लिए अप्लाई किया तो लोगों ने बोला दृष्टिबाधित हो, आर्ट्स ले लो, लेकिन यह कोई और तय नहीं कर सकता था कि मेरे लिए क्या उपयुक्त है। इसके लिए आंध्र प्रदेश सरकार के खिलाफ 10 महीने केस लड़कर जिस रास्ते कोई नहीं गया वह रास्ता चुना।
फिर हायर एजुकेशन के लिए आईआईटी वालों ने रिजेक्ट किया तो दुनिया के बेस्ट इंस्टीट्यूट में पढ़ने की ठानी और रिजेक्ट करने वालों को बोला कि एक दिन आप ही मुझे आईआईटी में लेक्चर देने बुलाओगे। यह मेरे लिए टर्निंग पॉइंट था, क्योंकि तभी मैंने निश्चय किया कि मुझे वॉइसलेस कम्यूनिटी की आवाज बनना है।
श्रीकांत बोल्ला ने यहां पूर्णिमा पैंथर्स के इंडोर स्पोर्ट्स एरिना का उद्घाटन भी किया।
इसके बाद इंजीनियरिंग के लिए दुनिया के टॉप फाइव इंस्टीट्यूट में अप्लाई किया, जिनमें से मुझे एमआईटी, यूएसए मिला। इसमें चुना जाना मेरे लिए भारत और कम्युनिटी की जीत थी। यहीं से मेरे लिए सब कुछ चेंज हुआ, और मैंने अनुभवात्मक सीख की महत्ता समझी।
अपनी बायोपिक ‘श्रीकांत’ पर एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि यह फिल्म नहीं, बल्कि वास्तविकता है, जिससे मेरी सोच लोगों तक पहुंची। मेरे लिए जीवन का यह हैप्पीएस्ट मोमेंट था कि मैं भी लोगों को प्रेरित कर सकता हूं। इस मूवी की सबसे अच्छी सीख यह है कि डिसेबल्ड व्यक्ति भी आम लोगों की तरह सब कुछ कर सकता है। हमने हमारी कंपनी बोलैंट इंडस्ट्रीज में भी डिसेबल्ड लोगों को हायर किया और उन्होंने स्वयं को साबित भी किया।
अपनी बायोपिक ‘श्रीकांत’ पर एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि यह फिल्म नहीं, बल्कि वास्तविकता है, जिससे मेरी सोच लोगों तक पहुंची।
श्रीकांत बोल्ला ने स्टूडेंट्स को मोटिवेट करते हुए कहा कि सिंपैथी की चाह कभी ना रखें, क्योंकि यह आपको लेजी बनाती है। अपने आप के सबसे बड़े हीरो स्वयं आप ही हो, हमेशा बड़े सपने देखो, यह फ्री है, इस पर कोई जीएसटी नहीं लगता।