अदालत के आदेश पर पुलिस FIR तो कर लेती है, पर जांच नहीं करती… रोहिणी कोर्ट ने क्यों कहा ऐसा? h3>
दिल्ली की एक अदालत ने पुलिस के व्यवहार पर नाराजगी जताते हुए कहा है कि पुलिस कोर्ट के आदेश पर FIR तो दर्ज कर लेती है, लेकिन जांच नहीं करती। अदालत ने कहा है कि पुलिस का ऐसा रवैया लगभग हर मामले में देखने को मिलता है।
जज ने जताई नाराजगी
पुलिस के इस रवैये पर अपनी निराशा व्यक्त करते हुए मेट्रोपॉलिटन मैजिस्ट्रेट अजय नरवाल ने कहा, इस अदालत ने लगभग हर उस मामले में यह देखा है कि जिनमें भी अदालत के आदेश पर एफआईआर दर्ज की जाती है, उनमें आईओ पता नहीं कोई कार्रवाई क्यों नहीं करते। अदालत ने कहा कि आईओ की तरफ से समय पर कार्रवाई न होने से इसका खामियाजा वादियों को भुगतना पड़ता है। साथ में केस से जुड़े अहम सबूत भी नष्ट हो जाते हैं।
अदालत ने दिए कार्रवाई करने के निर्देश
इन शब्दों के साथ अदालत ने संबंधित थाने के एसएचओ को निर्देश दिया कि वह मौजूदा मामले में रिपोर्ट दायर कर उसकी स्थिति, आईओ का नाम और केस में अब तक की कार्रवाई के बारे में बताएं। संबंधित थाना प्रभारी को यह सुनिश्चित करने का भी निर्देश मिला कि आईओ 29 अगस्त को अगली सुनवाई पर केस डायरी के साथ अदालत के सामने मौजूद रहें।
क्या है पूरा मामला?
शिकायतकर्ता अमृता रंजन की ओर से एडवोकेट प्रशांत मनचंदा ने सीआरपीसी की धारा 156(3) के तहत अर्जी दायर कर अदालत से मामले में पुलिस जांच की निगरानी का अनुरोध किया। महिला ने रमित मेहता नाम के एक व्यक्ति पर उनके साथ 16 लाख से अधिक की ठगी का आरोप लगाया। पर जब पुलिस ने उनके आरोप को गंभीरता से नहीं लिया तो वह अदालत पहुंचीं। 6 जून 2019 को अदालत ने एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू करने का पुलिस को आदेश दिया। शिकायतकर्ता के मुताबिक, उनके पास धोखाधड़ी के ठोस साक्ष्य हैं, बावजूद इसके पुलिस ने इस मामले में अपनी जांच एक इंच तक आगे नहीं बढ़ाई है। अर्जी के जवाब में आईओ अमित ने जो कहा, उससे अदालत को जांच से जुड़े शिकायतकर्ता के दावे सही लगे। आईओ ने कहा था कि आरोपी के खिलाफ जल्द ही कानूनी कार्रवाई शुरू की जाएगी।
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