अखिलेश यादव को झटका दे क्यों BJP में जाने को तैयार हैं शिवपाल, जानें इनसाइड स्टोरी

280
अखिलेश यादव को झटका दे क्यों BJP में जाने को तैयार हैं शिवपाल, जानें इनसाइड स्टोरी

अखिलेश यादव को झटका दे क्यों BJP में जाने को तैयार हैं शिवपाल, जानें इनसाइड स्टोरी

मुलायम सिंह यादव के परिवार में एक बार फिर फूट पड़ गई है। कुछ दिन पहले छोटी बहू अपर्णा यादव ने परिवार की पार्टी छोड़कर भगवा चोला ओढ़ लिया तो अब छोटे भाई शिवपाल यादव भी उसी राह पर हैं। 2017 विधानसभा चुनाव से पहले अपनी अलग पार्टी बनाने वाले प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) प्रमुख शिवपाल सिंह यादव हाल में संपन्न हुए चुनाव में भतीजे अखिलेश यादव से मिली निराशा से इस कदर आहत हैं कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में जाने को तैयार हैं। आखिर 7 मार्च तक अखिलेश को मुख्यमंत्री बनाने की बात करने वाले शिवपाल इसी महीने के अंत तक विरोधी खेमे में जाने को क्यों तैयार हो गए हैं? आइए करते हैं पड़ताल।

शिवपाल की नारजगी की शुरुआत करीब 6 साल पहले उस समय हुई जब सपा की बागडोर मुलायम सिंह यादव के हाथ से निकलकर अखिलेश यादव के पास चली गई। मुलायम के सपा मुखिया रहते शिवपाल सपा में हमेशा नंबर दो की हैसियत में रहे। उनका सम्मान होता रहा। मगर, सपा की कमान अखिलेश के हाथ में आने के बाद सम्मान न मिलने की वजह से यह दूरियां बढ़ती गईं। शिवपाल का राजनीतिक घर ही पराया हो गया। उन्होंने प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) का गठन करके अपनी अलग जमीन तैयार करने की कोशिश की, लेकिन इसमें कोई खास सफलता नहीं मिल पाई। 

यह भी पढ़ें: अखिलेश का आरोप- सपा प्रत्‍याशियों को डराया-धमकाया जा रहा

गठबंधन में नहीं मिला सम्मान

राजनीतिक मजबूरियों के चलते विधानसभा चुनाव में शिवपाल यादव ने एक बार फिर अखिलेश का साथ मंजूर किया। बड़े भाई मुलायम सिंह यादव के कहने पर वह भतीजे के साथ गठबंधन को तैयार हो गए। लेकिन जिस तरह अखिलेश यादव ने उनकी पार्टी को एक भी सीट नहीं दी और उन्हें सपा के सिंबल पर ही लड़ने को मजबूर किया, उससे प्रसपा प्रमुख बेहद आहत हो गए। इस हालत में प्रसपा के कई बड़े नेता साथ छोड़कर दूसरे दलों में शामिल हो गए। चुनाव के दौरान ही शिवपाल यादव का दर्द कई बार जुबान पर आ गया था।

संबंधित खबरें

विधानमंडल दल की बैठक में नहीं बुलाए जाने से लगा झटका

सपा विधानमंडल दल की बैठक में नहीं बुलाए जाने पर भी शिवपाल ने अपमानित महसूस किया। उन्होंने मीडिया से खुलकर कहा कि वह दो दिन से इस बैठक के इंतजार में थे, सभी विधायकों को बुलाया गया, लेकिन उन्हें इसकी सूचना नहीं दी गई, जबकि वह सपा के सिंबल पर ही विधायक बने हैं और चुनाव में सपा संगठन में ही सक्रियता से काम किया है।

बड़ी भूमिका देने से अखिलेश का इनकार

सूत्रों के मुताबिक, 24 मार्च को अखिलेश यादव और शिवपाल यादव की आखिरी बार मुलाकात हुई थी। सपा के सिंबल पर लड़कर विधायक बने शिवपाल यादव ने अब सपा संगठन में ही बड़ी भूमिका मांगी, लेकिन अखिलेश यादव ने उन्हें अपनी पार्टी प्रसपा का आधार बढ़ाने की सलाह दी।

बेटे का राजनीतिक भविष्य

माना जा रहा है कि शिवपाल अब उम्र के इस पढ़ाव पर चाहते हैं कि उनके पास भी एक सुरक्षित घर हो और बेटे का राजनीतिक भविष्य भी संरक्षित हो सके। इस बार भी शिवपाल अपने बेटे आदित्य यादव को चुनाव लड़वाना चाहते थे, लेकिन अखिलेश ने इससे इनकार कर दिया। शिवपाल की भाजपा से नजदीकियों के पीछे भी यही अहम वजह मानी जा रही है।



Source link