अखिलेश के वोकल समर्थकों पर कैसे भारी पड़े भाजपा के चुप्पा वोटर; इनसाइड स्टोरी

178
अखिलेश के वोकल समर्थकों पर कैसे भारी पड़े भाजपा के चुप्पा वोटर; इनसाइड स्टोरी

अखिलेश के वोकल समर्थकों पर कैसे भारी पड़े भाजपा के चुप्पा वोटर; इनसाइड स्टोरी

UP Election Result: पश्चिम यूपी में किसान आंदोलन के चलते जाट बिरादरी की भाजपा से नाराजगी की बातें कही जा रही थीं। जाटों से लेकर मुस्लिमों तक में भाजपा के खिलाफ गुस्सा था और कई गांवों में उसके नेताओं का तीखा विरोध भी देखने को मिला। इसके अलावा पूर्वी उत्तर प्रदेश में भी स्वामी प्रसाद मौर्य, दारा सिंह चौहान जैसे ओबीसी नेताओं के भाजपा के अलग होने के बाद से जातीय आधार पर समीकरण बनाने की कोशिश की गई थी। यही नहीं सपा के साथ ओपी राजभर के समर्थक काफी वोकल नजर आ रहे थे। एक तरफ पश्चिम यूपी में आरएलडी के समर्थक भाजपा का तीखा विरोध कर रहे थे तो वहीं राजभर ने ईस्ट यूपी में तो ‘खदेड़ा होबे’ का ही नारा दे दिया था।

अखिलेश यादव हारे नहीं, हराया गया है; ममता बनर्जी ने उठाया EVM पर सवाल

सपा और उसके सहयोगी दलों के समर्थकों इतने वोकल थे कि माना जा रहा था कि भाजपा को बड़ा नुकसान होगा। लेकिन चुनावी नतीजे इसके एकदम उलट रहे और बहुमत से काफी ज्यादा सीटें जीत गई और वोट प्रतिशत में तो 2017 के आंकड़े को भी पार कर लिया। आखिर इसकी क्या वजह थी? राजनीतिक जानकारों का मानना है कि इसकी वजह शांत ढंग से पोलराइजेशन होना है। दरअसल पश्चिम यूपी में जाट मुस्लिम एकता की बातें जिस जोर-शोर से हुईं, उसका जितना फायदा सपा और रालोद को मिला, उससे भी अधिक लाभ भाजपा को हुआ। 

भगवंत मान ने केजरीवाल के पैर छुए, 16 मार्च को लेंगे CM पद की शपथ

ध्रुवीकरण के खिलाफ चुपचाप हुआ काउंटर पोलराइजेशन

उस प्रचार का असर था कि जहां जाट और मुस्लिम आबादी नहीं थी, उन इलाकों में भाजपा के पक्ष में अन्य जातियों की भारी गोलबंदी दिखी। गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, आगरा, मथुरा जैसे जिलों के परिणाम इसकी बानगी है। यही नहीं जाट बिरादरी का भी एक हिस्सा भाजपा के पाले में कानून व्यवस्था के मुद्दे पर आया है। भाजपा के पक्ष में पोलराइज हुए वोटर्स उतने मुखर नहीं थे, लेकिन अंदरखाने वोट दिया। इसके अलावा पूर्वी उत्तर प्रदेश की बात करें तो परिणाम बताते हैं कि भले ही स्वामी प्रसाद मौर्य, दारा सिंह चौहान जैसे नेताओं को पार्टी में लेकर और राजभर से गठबंधन कर सपा को इस बात का भरोसा था कि उसे जातीय गोलबंदी का फायदा मिलेगा।

80:20 पर घमासान और भगवा लहर, UP में कितने मुस्लिम उम्मीदवारों जीते?

पीएम की छवि, कल्याणकारी योजनाओं का दिख रहा है असर

लेकिन नतीजे आए तो ऐसा नहीं दिखा। दरअसल गैर-जाटव दलित वोटों का बड़ा हिस्सा और गैर-यादव ओबीसी मतों का भी एक हिस्सा भाजपा के पक्ष में पहले की तरह ही जाता दिखा है। इसमें बड़ा योगदान पीएम आवास योजना, मुफ्त राशन समेत तमाम कल्याणकारी योजनाओं को माना जा रहा है। यह मतदाता वर्ग उतना वोकल भले ही नहीं था, लेकिन बूथों पर जाकर भाजपा के ही पक्ष में वोट देकर आया। एक और पहलू पीएम नरेंद्र मोदी की छवि अब भी पहले की तरह बनी होना है और उनकी योजनाओं का असर दिख रहा है।  

साथ थे जयंत, राजभर और मौर्य, फिर क्यों नहीं दिखा अखिलेश का शौर्य, समझें समीकरण

महिला सुरक्षा के मुद्दे ने की किसान आंदोलन, बेरोजगारी की काट

योगी सरकार के दौर में बीते 5 सालों में यूपी में बुलडोजर सुशासन की नई अवधारणा के प्रतीक के तौर पर सामने आया है। पश्चिम से लेकर पूर्वी यूपी तक में किसान आंदोलन से लेकर बेरोजगारी तक के मुद्दों को विपक्ष ने जोर-शोर से उठाया, लेकिन भाजपा लगातार सपा की सरकार के दौरान रहे कुशासन की याद दिलाती रही। महिला सुरक्षा से जुड़े विज्ञापनों से लैस प्रचार में भाजपा ने बढ़त बनाई और जमीन पर भी इसका असर दिखा।



Source link