अंपायर की वजह से हारी, वरना फाइनल खेलती, पेनल्टी विवाद पर सिंधु ने तोड़ी चुप्पी | PV sindhu got angry at umpire for giving penalty in championship | Patrika News h3>
सिंधू पहला गेम जीतने के बाद दूसरे गेम में जब 14-11 से आगे थी तो उन पर सर्विस करते हुए बहुत अधिक समय लेने के लिये एक अंक की ‘पेनल्टी’ लगायी गयी। हैदराबाद की इस 26 वर्षीय खिलाड़ी की इसके बाद लय गड़बड़ा गयी और आखिर में वह 21-13, 19-21, 16-21 से हार गयी। इस तरह से उन्हें कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा जो इस महाद्वीपीय चैंपियनशिप में उनका दूसरा पदक है।
सिंधू ने शनिवार को मैच के बाद कहा, ‘‘अंपायर ने मुझसे कहा कि आप बहुत समय ले रही हो लेकिन विपक्षी खिलाड़ी उस समय तैयार नहीं थी। लेकिन अंपायर ने अचानक उसे अंक दे दिया और यह वास्तव में अनुचित था। मुझे लगता है कि यह मेरी हार का एक कारण था।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मेरा कहने का मतलब है मुझे ऐसा लगता है क्योंकि उस समय स्कोर 14-11 था और वह 15-11 हो सकता था लेकिन इसके बजाय यह 14-12 हो गया। इसके बाद उसने लगातार अंक बनाये। मुझे लगता है कि यह बहुत अनुचित था। हो सकता था कि मैं मैच जीत जाती और फाइनल में खेलती।’’
सिंधू ने कहा, ‘‘मैंने मुख्य रेफरी से बात की, वह आये और उन्होंने कहा कि फैसला पहले ही हो चुका है। मुख्य रेफरी के रूप में आपको कम से कम यह सुनिश्चित करने की ज़रूरत है कि गलती क्या थी। उन्हें रीप्ले देखकर इसको लेकर फैसला करना चाहिए था।’’
सिंधु के पिता पीवी रमना ने कहा कि सिंधु इस फैसले से बेहद निराश है। रमन्ना ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘उसे इस बार स्वर्ण जीतने का भरोसा था और इसलिए वह बहुत निराश है। जब उसने मुझसे बात की तो वह रो रही थी लेकिन मैंने उससे कहा कि जो हो गया उसे भूल जाओ।’’
सिंधू को मुख्य रेफरी के साथ चर्चा करते हुए भी देखा गया। रमन्ना ने कहा, ‘‘अंपायर ने जो किया वह सही नहीं था, अगर वह देरी कर रही थी तो पहले उसे पीला कार्ड दिखाकर चेतावनी दी जानी चाहिए थी। कम से कम एक अंक से दंडित किये जाने पर उसे लाल कार्ड दिखाते, लेकिन ऐसा कुछ नहीं किया गया।’’
कयास लगाये जा रहे थे कि सिंधू कांस्य पदक स्वीकार नहीं करेगी क्योंकि उन्होंने पदक समारोह में हिस्सा नहीं लिया था लेकिन इस खिलाड़ी ने पदक के साथ तस्वीर ट्वीट करके इन अटकलबाजियों पर विराम लगा दिया। सिंधू ने ट्वीट किया, ‘‘पीड़ादायक अभियान के आखिर में पदक हमेशा विशेष होता है। यह इससे बेहतर हो सकता था। अब निगाह अगली प्रतियोगिता पर है।’’
रमन्ना ने स्पष्ट किया कि पदक वितरण समारोह में उपस्थित नहीं हो पाने के लिये अधिकारियों से अनुमति ली गयी थी। उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा कुछ नहीं है कि वह पदक स्वीकार नहीं करती। उसे स्वदेश के लिये उड़ान पकड़नी थी इसलिए उसने अधिकारियों से अनुमति ली थी।’’
सिंधू पहला गेम जीतने के बाद दूसरे गेम में जब 14-11 से आगे थी तो उन पर सर्विस करते हुए बहुत अधिक समय लेने के लिये एक अंक की ‘पेनल्टी’ लगायी गयी। हैदराबाद की इस 26 वर्षीय खिलाड़ी की इसके बाद लय गड़बड़ा गयी और आखिर में वह 21-13, 19-21, 16-21 से हार गयी। इस तरह से उन्हें कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा जो इस महाद्वीपीय चैंपियनशिप में उनका दूसरा पदक है।
सिंधू ने शनिवार को मैच के बाद कहा, ‘‘अंपायर ने मुझसे कहा कि आप बहुत समय ले रही हो लेकिन विपक्षी खिलाड़ी उस समय तैयार नहीं थी। लेकिन अंपायर ने अचानक उसे अंक दे दिया और यह वास्तव में अनुचित था। मुझे लगता है कि यह मेरी हार का एक कारण था।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मेरा कहने का मतलब है मुझे ऐसा लगता है क्योंकि उस समय स्कोर 14-11 था और वह 15-11 हो सकता था लेकिन इसके बजाय यह 14-12 हो गया। इसके बाद उसने लगातार अंक बनाये। मुझे लगता है कि यह बहुत अनुचित था। हो सकता था कि मैं मैच जीत जाती और फाइनल में खेलती।’’
सिंधू ने कहा, ‘‘मैंने मुख्य रेफरी से बात की, वह आये और उन्होंने कहा कि फैसला पहले ही हो चुका है। मुख्य रेफरी के रूप में आपको कम से कम यह सुनिश्चित करने की ज़रूरत है कि गलती क्या थी। उन्हें रीप्ले देखकर इसको लेकर फैसला करना चाहिए था।’’
सिंधु के पिता पीवी रमना ने कहा कि सिंधु इस फैसले से बेहद निराश है। रमन्ना ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘उसे इस बार स्वर्ण जीतने का भरोसा था और इसलिए वह बहुत निराश है। जब उसने मुझसे बात की तो वह रो रही थी लेकिन मैंने उससे कहा कि जो हो गया उसे भूल जाओ।’’
कयास लगाये जा रहे थे कि सिंधू कांस्य पदक स्वीकार नहीं करेगी क्योंकि उन्होंने पदक समारोह में हिस्सा नहीं लिया था लेकिन इस खिलाड़ी ने पदक के साथ तस्वीर ट्वीट करके इन अटकलबाजियों पर विराम लगा दिया। सिंधू ने ट्वीट किया, ‘‘पीड़ादायक अभियान के आखिर में पदक हमेशा विशेष होता है। यह इससे बेहतर हो सकता था। अब निगाह अगली प्रतियोगिता पर है।’’
रमन्ना ने स्पष्ट किया कि पदक वितरण समारोह में उपस्थित नहीं हो पाने के लिये अधिकारियों से अनुमति ली गयी थी। उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा कुछ नहीं है कि वह पदक स्वीकार नहीं करती। उसे स्वदेश के लिये उड़ान पकड़नी थी इसलिए उसने अधिकारियों से अनुमति ली थी।’’