अंपायर्स से बहस, खिलाड़ियों को वापस बुलाना- ऋषभ पंत की इस हरकत के बाद क्यों चर्चा में आए धोनी h3>
मुंबई: राजस्थान रॉयल्स और दिल्ली कैपिटल्स के बीच शुक्रवार को खेले गए मुकाबले में काफी विवाद हुआ। कैपटिल्स के कप्तान मैच के आखिरी ओवर में नो-बॉल को लेकर हुए विवाद के बाद अपने खिलाड़ियों को मैदान से वापस बुलाने लगे। राजस्थान रॉयल्स के गेंदबाज ओबेड मेक्कॉय के ओवर की तीसरी गेंद पर रॉवमैन पॉवेल ने मिड-विकेट के ऊपर से सिक्स लगाया। यह गेंद फुल टॉस थी और बल्लेबाज का मानना था कि यह नो-बॉल थी। लेकिन अंपायर्स कुछ और सोच रहे थे। दिल्ली कैपिटल्स के सपॉर्ट स्टाफ की भी यही राय थी कि यह गेंद कमर से ऊपर है। वे चाहते थे कि तीसरा अंपायर इस पर कोई फैसला ले। लेकिन मैदानी अंपायर अपने फैसले को बदलने के लिए तैयार नहीं थे .
अंपायर्स नितिन मेनन और निखिल पटरवर्धन का मानना था कि अगर पॉवेल सीधे खड़े होते तो गेंद उनकी कमर से नीचे ही रहती। इस फैसले से दिल्ली कैपिटल्स का खेमा काफी नाराज था। यहां तक तो चीजें ठीक थीं लेकिन इसके बाद जो हुआ उसे क्रिकेट नहीं कहा जा सकता। ऋषभ पंत ने अपने खिलाड़ियों को मैदान से वापस आने का इशारा किया। हालांकि असिस्टेंट कोच शेन वॉटसन ने उन्हें समझाया। इसके बाद पंत ने बल्लेबाजी कोच प्रवीण आमरे को मैदान पर भेजा। खिलाड़ियों के साथ प्रवीण आमरे भी अंपायर्स के साथ बहस करने लगे।
इस फैसले को लोग महेंद्र सिंह धोनी के विवाद के साथ जोड़कर देख रहे हैं। साल 2019 में चेन्नई सुपर किंग्स के राजस्थान रॉयल्स के खिलाफ मुकाबले के दौरान धोनी डग आउट से उठकर मैदान पर आ गए थे। अंपायर उल्हास गांधे ने एक गेंद नो-बॉल दी थी लेकिन स्क्वेअर लेग अंपायर ब्रूस ऑक्सनफर्ड के साथ बातचीत करने के बाद उन्होंने अपना फैसला बदल दिया था। क्रीज पर मौजूद रविंद्र जडेजा और मिशेल सैंटनर ने अंपायर के इस फैसले पर आपत्ति दर्ज की थी। लेकिन कैप्टन कूल कहे जाने वाले धोनी ने क्रिकेट की मर्यादाओं के खिलाफ जाकर काम किया। वह मैदान पर चले आए और अंपायर से बहस करने लगे। अंपायर के फैसले से असहमत होना अलग बात है लेकिन इस तरह के व्यवहार को लेकर धोनी को भी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था।
क्या था विवाद
राजस्थान रॉयल्स ने जोस बटलर के शतक की मदद से 20 ओवर में 222 रन का मजबूत स्कोर बनाया। दिल्ली को आखिरी ओवर में जीत के लिए 36 रन चाहिए थे। दिल्ली कैपिटल्स के बल्लेबाज रॉवमैन पॉवेल ने लगातार तीन छक्के लगाकर मैच को रोमांचक बना दिया था। इसी ओवर की तीसरी गेंद पर विवाद हुआ। जब पॉवेल ने छक्का तो लगाया लेकिन दिल्ली टीम के कैंप को लगता था कि यह एक नो-बॉल है। हालांकि इसके बाद गेंदबाज ने खुद को संभाला और अगली गेंद डॉट बॉल फेंकी। दिल्ली की टीम 207 रन ही बना सकी और राजस्थान ने मैच 15 रन से जीत लिया।
इस फैसले को लोग महेंद्र सिंह धोनी के विवाद के साथ जोड़कर देख रहे हैं। साल 2019 में चेन्नई सुपर किंग्स के राजस्थान रॉयल्स के खिलाफ मुकाबले के दौरान धोनी डग आउट से उठकर मैदान पर आ गए थे। अंपायर उल्हास गांधे ने एक गेंद नो-बॉल दी थी लेकिन स्क्वेअर लेग अंपायर ब्रूस ऑक्सनफर्ड के साथ बातचीत करने के बाद उन्होंने अपना फैसला बदल दिया था। क्रीज पर मौजूद रविंद्र जडेजा और मिशेल सैंटनर ने अंपायर के इस फैसले पर आपत्ति दर्ज की थी। लेकिन कैप्टन कूल कहे जाने वाले धोनी ने क्रिकेट की मर्यादाओं के खिलाफ जाकर काम किया। वह मैदान पर चले आए और अंपायर से बहस करने लगे। अंपायर के फैसले से असहमत होना अलग बात है लेकिन इस तरह के व्यवहार को लेकर धोनी को भी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था।
क्या था विवाद
राजस्थान रॉयल्स ने जोस बटलर के शतक की मदद से 20 ओवर में 222 रन का मजबूत स्कोर बनाया। दिल्ली को आखिरी ओवर में जीत के लिए 36 रन चाहिए थे। दिल्ली कैपिटल्स के बल्लेबाज रॉवमैन पॉवेल ने लगातार तीन छक्के लगाकर मैच को रोमांचक बना दिया था। इसी ओवर की तीसरी गेंद पर विवाद हुआ। जब पॉवेल ने छक्का तो लगाया लेकिन दिल्ली टीम के कैंप को लगता था कि यह एक नो-बॉल है। हालांकि इसके बाद गेंदबाज ने खुद को संभाला और अगली गेंद डॉट बॉल फेंकी। दिल्ली की टीम 207 रन ही बना सकी और राजस्थान ने मैच 15 रन से जीत लिया।