जब मिल्खा सिंह के कहने पर जवाहरलाल नेहरू ने कर दी थी राष्ट्रीय अवकाश की घोषणा, पढ़िए पूरी दिलचस्प कहानी | When behest of Milkha Singh Jawaharlal Nehru declared a national holiday read full interesting story | Patrika News h3>
एक रिपोर्ट के मुताबिक मिल्खा सिंह ने 1958 के राष्ट्रमंडल खेलों में उस समय के चैंपियन मैलकम स्पेंस को 440 गज की दौड़ में मात दी थी। बता दें कि इस दौड़ से पहले मिल्खा सिंह पूरी रात सो नहीं पाए थे। फाइनल मैच से पहले अपने पुराने दिनों को याद करते हुए मिल्खा सिंह ने इंटरव्यू में बताया था कि उन्होंने अपने बैग में जूते एक छोटा सा तोलिया, कंघा और कुछ ग्लूकोस के पैकेट रखे थे और आंखें बंद करके गुरु गोविंद सिंह, गुरु नानक देव और भगवान शिव को याद किया था।
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उस दिन जब प्रतियोगिता स्टार्ट होने वाली थी तो मिल्खा सिंह के कोच हावर्ड उनके पास आकर बैठे और कहा या तो तुम आज कुछ बन जाओगे या बर्बाद हो जाओगे। तुम में काबिलियत है इसलिए अगर तुम मेरी बात मानोगे तो स्पेंस को हरा पाओगे। मिल्खा सिंह ने अपने उस दौड़ के बारे में जिक्र करते हुए बताया था कि वह इस तरह भाग रहे थे कि जैसे मधुमक्खी का झुंड उनके पीछे पड़ा हो और फिनिशिंग लाइन से पहले जब उन्होंने पीछे मुड़कर देखा तो स्पेंस उनसे आधा फिर पीछे रह गए थे लेकिन भाग्य ने मिल्खा सिंह का साथ दिया और उन्होंने इतिहास रचते हुए स्वर्ण पदक को अपने नाम किया।
बता दें कि इस ऐतिहासिक पल के बाद ब्रिटेन में भारत के उस समय की उच्चायुक्त विजय लक्ष्मी पंडित दौड़ कर मिल्खा सिंह के गले लग गई थी, जब उन्हें मेडल पहनाया जा रहा था। उन्होंने मिल्खा सिंह के गले लग कर पहले तो उन्हें शुभकामनाएं दीं और उसके बाद कहा कि पंडित जवाहरलाल नेहरू ने पूछा है कि इतना बड़ा कारनामा करने के बाद उन्हें इनाम में क्या चाहिए।
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मिल्खा सिंह ने बताया कि इस सवाल का जवाब उन्हें समझ नहीं आ रहा और अचानक ही उन्होंने जीत की खुशी में कहा कि देश भर में 1 दिन की छुट्टी दी जाए। बताया जाता है जिस दिन मिल्खा सिंह ऐतिहासिक स्वर्ण पदक जीतकर भारत लौटे थे तो तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने भारत में 1 दिन के अवकाश की घोषणा की थी।
मिल्खा सिंह के नाम है विश्व रिकॉर्ड1958 राष्ट्रमंडल खेलों में 440 गज की दौड़ की प्रतियोगिता चल रही थी तो उस समय इस रेस में 6 अन्य खिलाड़ी भी थे लेकिन उस साल मिल्खा को एक अंडररेटेड खिलाड़ी समझा जा रहा था। लेकिन जब दौड़ खत्म हुई तो मिल्खा सिंह ने अपना नाम सुनहरे अक्षरों में लिखवा दिया था। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया वेल्स के खचाखच भरे स्टेडियम में महान धावक मैलकम स्पेंस को पीछे छोड़ चैंपियन बने थे। उन्होंने यह दौड़ रिकॉर्ड 46.6 सेकेंड में पूरी की थी साथ ही एक नया रिकॉर्ड भी अपने नाम किया था।
बता दें कि मिल्खा सिंह के एथलेटिक्स में स्वर्ण पदक जीतने के बाद भारत को एक लंबा समय बीत गया जब उसने एथलेटिक्स में कोई स्वर्ण पदक जीता था। टीम इंडिया का यह सूखा साल 2010 में खत्म हुआ जब डिस्कस थ्रो में कृष्णा पूनिया ने भारत को पदक दिलाया था। ग़ौरतलब है कि यह पदक एथलेटिक्स में भारत को लगभग 52 साल बाद मिला था।
इसके बाद नीरज चोपड़ा ने साल 2018 में एथलेटिक्स में पदक हासिल किया था। बता दें कि जब मिलकर मिल्खा सिंह ने अपनी दौड़ खत्म की थी तो उस समय ऑस्ट्रेलिया के उस स्टेडियम में कम ऑन सिंह, कम ऑन सिंह के नारे चारों तरफ गूंज रहे थे। सच में भारत के लिए वह पल ऐतिहासिक था।
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उस दिन जब प्रतियोगिता स्टार्ट होने वाली थी तो मिल्खा सिंह के कोच हावर्ड उनके पास आकर बैठे और कहा या तो तुम आज कुछ बन जाओगे या बर्बाद हो जाओगे। तुम में काबिलियत है इसलिए अगर तुम मेरी बात मानोगे तो स्पेंस को हरा पाओगे। मिल्खा सिंह ने अपने उस दौड़ के बारे में जिक्र करते हुए बताया था कि वह इस तरह भाग रहे थे कि जैसे मधुमक्खी का झुंड उनके पीछे पड़ा हो और फिनिशिंग लाइन से पहले जब उन्होंने पीछे मुड़कर देखा तो स्पेंस उनसे आधा फिर पीछे रह गए थे लेकिन भाग्य ने मिल्खा सिंह का साथ दिया और उन्होंने इतिहास रचते हुए स्वर्ण पदक को अपने नाम किया।
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मिल्खा सिंह ने बताया कि इस सवाल का जवाब उन्हें समझ नहीं आ रहा और अचानक ही उन्होंने जीत की खुशी में कहा कि देश भर में 1 दिन की छुट्टी दी जाए। बताया जाता है जिस दिन मिल्खा सिंह ऐतिहासिक स्वर्ण पदक जीतकर भारत लौटे थे तो तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने भारत में 1 दिन के अवकाश की घोषणा की थी।
बता दें कि मिल्खा सिंह के एथलेटिक्स में स्वर्ण पदक जीतने के बाद भारत को एक लंबा समय बीत गया जब उसने एथलेटिक्स में कोई स्वर्ण पदक जीता था। टीम इंडिया का यह सूखा साल 2010 में खत्म हुआ जब डिस्कस थ्रो में कृष्णा पूनिया ने भारत को पदक दिलाया था। ग़ौरतलब है कि यह पदक एथलेटिक्स में भारत को लगभग 52 साल बाद मिला था।
इसके बाद नीरज चोपड़ा ने साल 2018 में एथलेटिक्स में पदक हासिल किया था। बता दें कि जब मिलकर मिल्खा सिंह ने अपनी दौड़ खत्म की थी तो उस समय ऑस्ट्रेलिया के उस स्टेडियम में कम ऑन सिंह, कम ऑन सिंह के नारे चारों तरफ गूंज रहे थे। सच में भारत के लिए वह पल ऐतिहासिक था।