Yogi Sarkar 2: जानिए क्या कहता है योगी सरकार 2 के 100 दिनों का कार्यकाल, फर्स्ट टर्म से अलग क्योंं

65
Yogi Sarkar 2: जानिए क्या कहता है योगी सरकार 2 के 100 दिनों का कार्यकाल, फर्स्ट टर्म से अलग क्योंं

Yogi Sarkar 2: जानिए क्या कहता है योगी सरकार 2 के 100 दिनों का कार्यकाल, फर्स्ट टर्म से अलग क्योंं

लखनऊ: यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार (Yogi Adityanath) सोमवार को अपने दूसरे कार्यकाल के पहले 100 दिन पूरे करने जा रही है। सरकारों के लिए अमूमन यह एक स्थापित परम्परा सी हो गई है कि वे अपने कार्यकाल के अलग-अलग हिस्सों का जश्न मनाते हुए उपलब्धियां गिनाती हैं। विपक्ष उन उपलब्धियों को खारिज करता है, लेकिन योगी सरकार के ये 100 दिन कुछ खास वजहों से अलग हैं। अभी तक जितने भी मुख्यमंत्री अपने 100 दिन का जश्न मना रहे होते थे, उनसे पहले या तो उन्हीं की पार्टी का या विपक्ष का मुख्यमंत्री हुआ करता था।

दोनों ही स्थितियों में उनके लिए सत्ता बिल्कुल नई-नई हुआ करती थी, वे समझने के मोड में हुआ करते थे। 1.0 के पहले 100 दिन में योगी भी ऐसी ही स्थिति में थे, लेकिन 2.0 के ये 100 दिन उनके लिए कोई नए नहीं हैं। वह पांच साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री बनने वाले पहले मुख्यमंत्री हैं।

दूसरी अहम बात यह कि जब वह अपने 1.0 कार्यकाल में 100 दिन का जश्न मना रहे थे तो वह एक तरह से पार्टी लीडरशिप की रणनीति के तौर पर चुने गए सीएम थे। उनके चयन पर दिल्ली में पार्टी के एक सीनियर लीडर ने कहा था, ‘योगी जी के वस्त्रों का रंग हमारी आइडियॉलजी बताने के लिए पर्याप्त है, हमें अलग से कुछ नहीं कहना पड़ेगा।’ लेकिन 2.0 में जब योगी सरकार 100 दिन का जश्न मनाने जा रही है, तब योगी एक ऐसे सीएम बन चुके हैं, जिनका फिलवक्त कोई विकल्प नहीं है। 2.0 में उनका चयन किसी रणनीति के तहत नहीं बल्कि लोकप्रियता के शिखर पर होने की वजह से हुआ है। वरना बीजेपी के अंदर ही मुख्यमंत्री पद के दावेदारों की कोई कमी नहीं थी।

1.0 में पहले 100 दिनों में योगी की फिक्र अपनी ‘फायरब्रांड’ हिंदू नेता की यूएसपी को बनाए रखने और पार्टी के फैसले को सही साबित करने को लेकर थी। एक मैसेज यह भी था कि सीएम उन्हें बना तो दिया गया है, लेकिन दो डिप्टी सीएम इसलिए दिए गए हैं ताकि उन पर ‘ब्रेक’ लगाया जा सके। मंत्रिपरिषद में शामिल कुछ मंत्रियों को लेकर कहा जा रहा था कि दिल्ली की ‘आंख’ और ‘कान’ वही लोग होंगे, लेकिन 2.0 के पहले 100 दिन तक योगी इन तमाम चुनौतियों से न केवल पार पा चुके हैं बल्कि अब उनकी जो मंजिल कही जा रही है।

उसमें वह अपने को एक ऐसे प्रशासक के रूप में स्थापित करते हुए दिख रहे हैं, जिनके फैसलों में जाति या धर्म के आधार पर कोई भेदभाव होता न दिखे। 100 दिनों में धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर हटाने के तौर तरीकों से लेकर नूपुर शर्मा और उदयपुर की घटनाओं पर उनके प्रशासनिक आदेश उनके मुखालिफ तबके में भी तारीफ का सबब बने।

पहले ही भांप लेते हैं ब्यूरोक्रेसी का हर कदम
1.0 के पहले 100 दिनों में पहले से कोई प्रशासनिक अनुभव न होने के कारण सीएम योगी की ब्यूरोक्रेसी पर हद से ज्यादा निर्भरता की बात कही जा रही थी, लेकिन 2.0 के 100 दिन तक पहुंचते हुए योगी एक ऐसे सीएम बन चुके हैं जो ब्यूरोक्रेसी के हर कदम की आहट को वक्त से पहले भांप लेते हैं। ब्यूरोक्रेसी उनकी आंखों पर अपना चश्मा नहीं लगा पाती है।

राजनीति की और खबर देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – राजनीति
News