Yogi Interview: विकास केवल नोएडा-गाजियाबाद तक सीमित नहीं, सिद्धार्थनगर उदाहरण… सीएम योगी ने गिनाई प्राथमिकताएं

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Yogi Interview: विकास केवल नोएडा-गाजियाबाद तक सीमित नहीं, सिद्धार्थनगर उदाहरण… सीएम योगी ने गिनाई प्राथमिकताएं

Yogi Interview: विकास केवल नोएडा-गाजियाबाद तक सीमित नहीं, सिद्धार्थनगर उदाहरण… सीएम योगी ने गिनाई प्राथमिकताएं


लखनऊ: उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने विकास को लेकर बड़ी बात कही है। उन्होंने कहा कि जिस सिद्धार्थनगर में आजादी के बाद उद्योग नहीं लगा वहां भी 8 हजार करोड़ के निवेश प्रस्ताव मिले हैं। जनप्रतिनिधि-अधिकारी मिलकर काम करते हैं तो उसके परिणाम अच्छे आते हैं। सीएम योगी कहते हैं कि एक दौर था जब निवेशक नोएडा, गाजियाबाद तक ही सीमित रहते थे। इसके बाद वेस्ट यूपी के एकाध और शहरों की ओर बढ़ जाते थे। बाकी जिले इससे वंचित होते थे। पिछले पांच साल में परिवेश बदला है। पूर्वांचल व बुंदेलखंड के कुछ शहर आर्थिक प्रगति में वेस्ट यूपी के शहरों के समकक्ष खड़े हो रहे हैं। सरकार के अजेंडे, संगठन की राजनीति व युवाओं के रोजगार सहित विभिन्न मुद्दों पर योगी ने हमारे अखबार नवभारत टाइम्स से विस्तार से बातचीत की।

सवाल : ऐसा देखा जाता है कि निवेश के प्रस्ताव एनसीआर सहित कुछ बड़े शहरों से आगे नहीं बढ़ पाते? सीतापुर, देवरिया, कुशीनगर, संतकबीरनगर जैसे जिले कब इसका हिस्सा बनेंगे?
देवरिया में निवेश के कई बड़े प्रॉजेक्ट लगे हैं। हाल में ही वहां बायोफ्यूल का प्लांट स्थापित हुआ है। रोजगार की हजारों संभावनाओं का सृजन हुआ है। यह जरूर है कि पहले निवेशकों का आकर्षण कुछ जिलों तक ही सीमित रह जाता था लेकिन, अब यह बीती बात हो चुकी है। पिछले पांच-छह साल के प्रयासों के बाद इन स्थितियों में काफी बदलाव हुआ है। आज पूर्वांचल और बुंदेलखंड के क्षेत्र भी निवेश के हॉट डेस्टिनेशन बन चुके हैं। हमने निवेश समिट के लिए विदेश में रोड शो किया तो प्रदेश के हर जिले में भी निवेश सम्मेलन आयोजित किए गए। 10 फरवरी को जब पीएम लखनऊ में जीआईएस का उद्‌घाटन करेंगे, उस समय प्रदेश के हर जिले में कुछ न कुछ निवेश प्रस्ताव मूर्त रूप ले रहे होंगे। यह पहल पहली बार हो रही है।

सवाल : छोटे शहरों को बड़े निवेश से जोड़ने के लिए क्या बदलाव किए गए?
सरकार ने इन क्षेत्रों में इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास पर विशेष तौर पर काम किया। इन जिलों में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए उद्यमियों व निवेशकों को अतिरिक्त इंसेंटिव व छूट भी दी जा रही है। डबल इंजन की सरकार के प्रयासों से पूर्वांचल आज एक्सप्रेसवे से जुड़ चुका है। बुंदलेखंड एक्सप्रेसवे शुरू हो चुका है। बाकी हिस्सों को भी एक्सप्रेसवे व हाइवे से जोड़ा जा रहा है। एयर कनेक्टिविटी का विस्तार किया जा रहा है। क्या किसी ने पहले सोचा था कि कुशीनगर में इंटरनैशनल एयरपोर्ट होगा? अयोध्या में इंटरनैशनल एयरपोर्ट बनेगा? आजमगढ़, सोनभद्र, श्रावस्ती व चित्रकूट जैसे जिलों में एयरपोर्ट की सुविधा शुरू होगी? लेकिन, आज यह कल्पना अब हकीकत बन रही है। यह प्रगति व बदलाव की ही तो पटकथा है कि जिस सिद्धार्थनगर में आजादी के बाद कभी उद्योग नहीं लगा, वहां 8 हजार करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव मिले हैं।

सवाल : सरकार की साफ मंशा के बाद भी कुछ जगहों पर उद्यमियों को लालफीताशाही से जूझने की शिकायतें हैं?
इन शिकायतों के समाधान के लिए भी हमने शासन से लेकर जिले के स्तर तक मैकेनिजम तैयार किया है। हमने डीएम-एसपी से कहा है कि वे हर महीने उद्यमियों के साथ बैठक करें, उनकी समस्याओं का समाधान करें। हर तीन महीने पर उद्यमियों, प्रशासन व जनप्रतिनिधियों के साथ बैठकें हो रही हैं। साफ निर्देश हैं कि समस्याओं का स्थानीय स्तर पर समाधान करें। जो विषय शासन से जुड़ा है उसका प्रस्ताव तत्काल शासन को भेजें, उसका समाधान किया जाएगा। चीफ सेक्रेटरी को भी हर तीन महीने पर उद्यमियों के साथ बैठक कर उनकी अपेक्षाओं को समझने के लिए कहा गया है। निवेश के लिए बेहतर परिवेश उपलब्ध करवाने के लिए हम ‘जीरो टॉलरेंस’ पर काम कर रहे हैं। प्रदेश का हर जिला, हर उद्यमी और हर निवेशक हमारी प्राथमिकताओं में समान है और उसकी बेहतरी से प्रदेश की तरक्की जुड़ी है।

सवाल : यूपी सबसे युवा प्रदेश है, इसलिए रोजगार का सवाल भी यहां उतना ही मौजू है?
यूपी की युवा आबादी उसकी ताकत है। हमारे पास प्रचूर मानव संसाधन हैं और हम इसको दक्ष बनाने के लिए सभी जरूरी कदम उठा रहे हैं। युवाओं को तकनीकी तौर पर सक्षम बनाने के लिए 2 करोड़ से अधिक युवाओं को हम टैबलेट/लैपटॉप उपलब्ध करवा रहे हैं। पीएम अंप्रेंटिसशिप योजना के साथ ही सीएम अप्रेंटिसशिप योजना भी शुरू की गई है। इसमें युवाओं को प्रशिक्षण व मानदेय दिया जा रहा है। शैक्षिक संस्थाओं को इंडस्ट्री से जोड़ा जा रहा है। रोजगार के सबसे बड़े क्षेत्र एमएसएमई पर पहले की सरकारों ने ध्यान नहीं दिया। हमने उस पर फोकस किया।

हर जिले की विशिष्टताओं को रोजगार की संभावनाओं से जोड़ने के लिए उनको ‘वन डिस्ट्रिक्ट, वन प्रॉडक्ट’ के तहत विकसित किया गया। इसके जरिए 1.61 करोड़ युवाओं को रोजगार से जोड़ा गया है। सबसे ज्यादा आबादी वाले यूपी की सबसे कम बेरोजगारी दर रोजगार सृजन का सबसे बड़ा प्रमाण है। पांच साल में हमने 5 लाख से अधिक युवाओं को बिना भेदभाव के सरकारी नौकरी भी दी है।

सवाल : लेकिन, जॉब सीकर की जगह ‘जॉब क्रिएटर’ का लक्ष्य कैसे पूरा होगा?
प्रदेश में हम स्टार्टअप की संस्कृति विकसित कर रहे हैं। यह कवायद केवल आईटी क्षेत्र तक ही सीमित नहीं है, कृषि क्षेत्र में नए स्टार्टअप आ रहे हैं। एमएसएमई में डिजाइनिंग, पैकेजिंग जैसे क्षेत्रों में संभावनाएं हैं। स्टार्टअप, नई इकाईयों के सृजन व नवाचार के जरिए यूपी का युवा ‘जॉब क्रिएटर’ बनने के लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है। मुद्रा लोन, प्रदेश की अन्य योजनाओं के जरिए 60 लाख युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ा गया है। प्रदेश के युवाओं के सामने आज पहचान का संकट नहीं है। यूपी से रोजगार के लिए दूसरे प्रदेशों में गए युवा भी घर वापसी कर रहे हैं।

सवाल : भर्तियों में भ्रष्टाचार एक बड़ा मुद्दा था। लेकिन, अब भी कई जांचें लंबित हैं?
यूपी लोकसेवा आयोग समेत जिन संस्थाओं में हुई भर्तियों पर सवाल थे, हमने उसकी जांच सीबीआई को सौंप दी है, जांच उन्हें आगे बढ़ानी है। हम उनकी समयावधि नहीं तय कर सकते। लेकिन, पिछले पांच साल में प्रदेश में हर भर्ती पारदर्शिता व मेरिट के आधार पर हुई है। कहीं भी कोई शिकायत नहीं आई है। जाति न धर्म न सिफारिश, भर्ती का केवल एक आधार रहा है योग्यता। वरना, 2017 से पहले तो भर्ती निकलते ही एक खानदान और चाचा-भतीजा वसूली के लिए निकल पड़ते थे।

सवाल : आपने ओडीओपी की चर्चा की? इनके उत्पादों के सही दाम और बाजार की चुनौती क्या अब भी नहीं बनी है?
ओडीओपी यूपी की परंपरागत उद्यम व उसकी क्षमताओं के विस्तार की अभिनव योजना है। हम पीएम के आभारी हैं कि उन्होंने केंद्रीय बजट में शामिल करते हुए इस प्रयोग को राष्ट्रीय स्तर पर लागू करने का फैसला किया है। हमने ओडीओपी के चयन के साथ ही, प्रशिक्षण, पैकेजिंग, मार्केटिंग की सुविधाओं पर भी ध्यान दिया है। यूपी के ओडीओपी उत्पाद अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उपहार के तौर पर दिए जा रहे हैं। संस्थागत खरीद में भी हस्तशिल्प व स्थानीय उत्पादों को प्राथमिकता दी जा रही है। ई-कॉमर्स पोर्टल से भी इनके विक्रय को जोड़ा गया है। इसके अच्छे परिणाम मिले हैं। तकनीक व गुणवत्ता से जोड़कर इनके बाजार को और विस्तार दिया जा रहा है।

सवाल : प्रदेश में खेल संस्कृति को बढ़ावा देने की कवायद शुरू हुई है। लेकिन, हमारे कई प्रतिभावान खिलाड़ी बेहतर मौके लिए दूसरे राज्यों से खेलते हैं?
खेल का वातावरण तैयार करने के लिए डबल इंजन सरकार ने गंभीर प्रयास किए हैं। हमारी कोशिश है कि खेल केवल औपचारिकता न होकर रोजगार व पहचान का जरिया बने। हर ग्राम पंचायत में खेल का मैदान, जिले में स्टेडियम, मंडल पर स्पोर्ट्स सेंटर इसी कवायद का हिस्सा हैं। खेल उत्पादों के हब मेरठ में स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी बन रही है। खिलाड़ियों की डाइट सहित अन्य सुविधाओं में बढ़ोतरी की गई है। ओलिंपिक में मेडल पर 6 करोड़ रुपये तक इनाम दे रहे हैं। इसी तरह कॉमनवेल्थ, एशियाड से लेकर नैशनल गेम्स तक अलग-अलग स्तर पर जीतने व प्रतिभाग करने पर पुरस्कार की व्यवस्था की गई है। खेल कोटा बहाल किया है। यह खेल से युवाओं को जोड़ने के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इन प्रयासों से यहां की मेधा विश्व पटल पर चमकती दिखाई देगी।

सवाल : केंद्र ने मुफ्त राशन योजना को एक साल के लिए और आगे बढ़ाया है? मुफ्त की जगह आत्मनिर्भरता की ओर कदम कब बढ़ेंगे?
दुनिया में जब भी महामारी आई है उसका सबसे बड़ा दुष्प्रभाव भुखमरी रहा है। स्पेनिश फ्लू से ढाई करोड़ से अधिक लोगों की जान गई थी। इस बीमारी से कहीं अधिक मौतें भुखमरी से हुई थीं। कोविड की आपदा के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी की अगुआई में डबल इंजन की सरकार ने मुफ्त इलाज, टेस्ट व वैक्सीन उपलब्ध करवाने के साथ ही लॉकडाउन के दौरान मुफ्त राशन उपलब्ध करवाया। जिनकी नौकरियां गई थीं उन्हें भत्ता दिया गया। इतनी बड़ी महामारी में भूख से कोई मौत नहीं हुई। कोविड का प्रभाव कम हुआ है, इसलिए मुफ्त राशन को एक साल के लिए और बढ़ाया गया है जिसके लाभार्थी यूपी के 15 करोड़ लोग भी होंगे। हम इसके लिए पीएम का अभिनंदन करते हैं कि उन्होंने अंतिम पायदान पर बैठे व्यक्ति के बारे में सोचा। राशन, आवास, विद्युत, रसोई गैस, स्वास्थ्य बीमा जैसी जितनी योजनाएं हैं उनके केंद्र में अंत्योदय है, समाज के अंतिम व्यक्ति को मुख्यधारा से जोड़ने का विजन है।

सवाल : हाल में ही आपने भाजपा के सांसदों-विधायकों के साथ संवाद किया। क्या फीडबैक रहा? कुछ शिकायतें भी थीं?
हमारी बात विकास के अजेंडे पर हुई। कोई शिकायत नहीं थी। ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट से हर जिले को कैसे जोड़ा जाए, जनप्रतिनिधि व अधिकारी इस अभियान को कैसे आगे बढ़ाएं, इस पर चर्चा हुई। यह अभियान भी सफल रहा, हर जिले में सफलतापूर्वक निवेश सम्मेलन आयोजित हुए हैं और विकास योजनाओं को भी गति मिल रही है।

सवाल : यूपी के स्पीकर कह रहे हैं कि विधायकों का सम्मान कम हो रहा है?
स्पीकर ने किस संदर्भ में यह बात कही मुझे इसकी जानकारी नहीं है। लेकिन, लोकतांत्रिक व्यवस्था में जनप्रतिनिधियों के प्रोटोकॉल का पालन करना हर अधिकारी के लिए आवश्यक है और यह उसकी जिम्मेदारी भी है। प्रदेश का विकास ही सबका उद्देश्य है और जब भी टीम वर्क होता है, जनप्रतिनिधि-अधिकारी मिलकर काम करते हैं तो उसके परिणाम अच्छे आते हैं।

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