बालात्कार आरोपी मंत्री और संत पर से केस वापस लेगी योगी सरकार

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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 25 फरवरी को शाहजहांपुर गए थे. वहां उन्‍होंने स्वामी चिन्मयानंद के आश्रम में आयोजित मुमुक्ष युवा महोत्सव में भाग लिया था. तीन मार्च को स्वामी चिन्मयानंद के जन्‍मदिन पर भी कई महत्‍वपूर्ण लोग बधाई देने आश्रम गए थे. इनमें कई वरिष्‍ठ अफसर भी शामिल थे. इस दौरान स्‍वामी के समर्थकों ने उनकी आरती भी उतारी थी. कार्यक्रम का एक वीडियो भी वायरल हुआ था, जिसमें शाहजहांपुर के सीडीओ और एडीएम (प्रशासन) जितेंद्र शर्मा भी स्‍वामी की आरती उतारते देखे जा सकते हैं. इसके छह दिन बाद शर्मा के ही दस्‍तखत से जारी पत्र में मुकदमा वापसी की प्रक्रिया शुरू करने के आदेश दिए गए हैं.

उत्‍तर प्रदेश सरकार ने पूर्व केंद्रीय गृह राज्‍य मंत्री और मुमुक्षु आश्रम के प्रमुख स्‍वामी चिन्‍मयानंद पर दर्ज बलात्‍कार का मुकदमा वापस लेने का फैसला किया है. इस सम्बन्ध में नौ मार्च, 2018 को जिला मजिस्‍ट्रेट, शाहजहांपुर के कार्यालय से चिट्ठी जारी हुई है. वरिष्‍ठ अभियोजन अधिकारी को संबोधित ये पत्र एडीएम (प्रशासन) के दस्‍तखत से जारी हुआ है. उसी दिन सक्षम अधिकारी को इस पर अमल के लिए भी लिख दिया गया है. पत्र में लिखा गया है कि शासन ने शाहजहांपुर कोतवाली में स्वामी चिन्मयानंद पर दर्ज धारा-376,506 आईपीसी का केस वापस लिए जाने का फैसला हुआ है. अतः शासनादेश के तहत कृत कार्रवाई से अवगत कराने का कष्ट करें, ताकि शासन को भी अवगत कराया जा सके.

जौनपुर से सांसद बनने के बाद स्वामी चिन्मयानंद वाजपेयी सरकार में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री थे. इस दौरान उनके संपर्क में आईं बदायूं निवासी साध्वी चिदर्पिता नामक महिला ने 2011 में उन पर हरिद्वार के आश्रम में बंधक बनाकर दुष्कर्म का आरोप लगाया था. चिदर्पिता की तहरीर पर स्वामी चिन्मयानंद के खिलाफ शाहजहांपुर कोतवाली में 30 नवंबर 2011 को दुष्कर्म करने और जान से मारने की धमकी देने का केस दर्ज किया था.

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गिरफ्तारी से बचने के लिए स्वामी ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. कोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी पर स्टे दिया था. तब से केस लंबित चला आ रहा है. स्वामी चिन्मयानंद के करीबियों के मुताबिक राजनीतिक साजिश और छवि खराब करने के मकसद से उनके खिलाफ केस दर्ज कराया गया था.

एक अखबार से बातचीत में साध्वी चिदर्पिता गौतम के पति बीपी गौतम ने उत्तर प्रदेश सरकार के फैसले को अन्याय बताया. बीपी गौतम ने कहा कि बलात्कार पीड़िता को इंसाफ दिलाना किसी सरकार का पहला कर्तव्य होना चाहिए. यह एक महिला से जुड़ा केस है, इसमें सरकार को पीड़ित की मदद करनी चाहिए न कि केस ही वापस लेना चाहिए. बीपी गौतम के मुताबिक उन्होंने केस वापसी के खिलाफ राज्यपाल से लेकर हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश तक को पत्र लिखकर न्याय की गुहार लगाई है.

यहां बता दें कि पिछले साल योगी आदित्यनाथ सरकार ने राजनीतिक कारणों से दर्ज मुकदमों की वापसी का फैसला लिया था. इसके तहत मुज़फ्फरनगर आदि दंगों में दर्ज बीजेपी नेताओं पर से केस वापस लिए जाने की प्रक्रिया शुरू की गई है.