साल 2019 मोदी ही नहीं बल्कि राहुल के लिए भी है चुनौती भरा…

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नई दिल्ली: आगमी लोकसभा चुनाव को लेकर ज्यादा वक्त नहीं बचा है. इसी बीच राहुल और मोदी के बीच चुनावों में काफी जबरदस्त मुकाबला देखने को मिल सकता है.

जहां एक तरफ कई चुनावों में हार के बाद साल 2018 में राहुल गांधी के हाथ कई सफलता लगी. फिर चाहे वो मोदी का होम गुजरात में कड़ी चुनौती और उसके बाद कर्नाटक का सियासी दांव और साल के आखिर आते-आते उत्तर भारत के तीन बड़े राज्य मध्य प्रदेश, छतीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस की ताजपोशी से पार्टी समर्थकों में एक उम्मीद जगी हो. लेकिन अब नए साल में दोनों ही नेताओं के कई अन्य चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा. नए साल के धमाकेदार आगाज के साथ साल 2019 की रणभूमि भी सज गई है, जहां पर इस बार मोदी VS राहुल गांधी के बीच सियासी मुकाबला होना वाला है.

Modi -

सबसे बड़ा सियासी पेंच

इस बार कांग्रेस पहली बार अध्यक्ष राहुल गांधी के अगुवाई में लोकसभा चुनाव के सियासी रण में उतरने वाली है. राहुल गांधी के लिए यह साल उतना ही अहम होने वाला है, जितना कि पीएम नरेंद्र मोदी के लिए. बता दें कि साल 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी सरकार ने कांग्रेस को बुरी तरह से हराया था. कांग्रेस बिल्कुल भी सांसद नहीं जीत पाई थी कि वह प्रतिपक्ष की कुर्सी भी पा सकें.

लगभग तीन दशक से कांग्रेस, भाजपा से एक ही तरह की राजनीती से मुकाबला कर रहीं है. बवजूद इसके कांग्रेस कई बार सत्ता में बनी रहीं, लेकिन सबसे  मुख्य बात यह है कि वह एक बार भी अपने बलबूते पर सरकार नहीं बना सकीं. मोदी के सत्ता में आने के बाद एक के बाद एक राज्य कांग्रेस के खेमे से खिसकते रहें. बावजूद इसके 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की वापसी का सारी जिम्मेदारी राहुल के कंधों पर ही हैं.

विपक्षी पार्टियों को एक साथ करने की कड़ी कोशिश

इस बार कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के हाथ में सबसे बड़ी चुनौती विपक्ष को एक साथ जोड़कर रखने की है. हाल ही में राहुल के नेतृत्व में कांग्रेस को तीन बड़े राज्यों में जीत दर्ज करने को मिल पाया है. जिससे उनके हौसले अब और बुलंद हो गए है. लेकिन इस बार साल 2019 के चुनाव को अपने नाम करना पार्टी के लिए इतना आसान साबित नहीं होगा. यहीं कारण है कि राहुल विपक्षी एकता की बात लगातार कर रहे हैं, लेकिन बसपा, सपा टीएमसी जैसे दल अब भी उनके साथ आने को तैयार नहीं हो रहें है. बहरहाल, कांग्रेस की बड़ी परेशानी विपक्ष को साथ करने से है.

Congress chief Rahul Gandhi 2 news4social -

लोकसभा ही नहीं बल्कि विधानसभा चुनाव जीतना होगा

साल 2019 में लोकसभ चुनाव ही नहीं बल्कि कई महत्वपूर्ण राज्यों में विधानसभा चुनाव भी होने है. इस साल हरियाणा, जम्मू-कश्मीर,ओडिशा,आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, झारखंड अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम में विधानसभा चुनाव होने है. बता दें कि महाराष्ट्र, झारखंड और हरियाणा ऐसे राज्य है जहां साल 2014 में नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद इन तीनों राज्यों में कांग्रेस को करारी शिकस्त झेलनी पड़ी थी. अब ऐसे में राहुल पर इन तीनों राज्यों को वापस पाने की चुनौती है. कांग्रेस अब की बार महाराष्ट्र में एनसीपी के साथ और झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा के साथ गठबंधन करके चुनावी मैदान में अपना परचम लहराना चाहती है. वहीं, हरियाणा में कांग्रेस अकेले दम पर बीजेपी से मुकाबला करने की जद्दोजहद में है.