Wrestlers Protest Opinion: पीएम मोदी से गुहार, आंसू बहा रहे हमारे सरताज, खेल में नेताओं का क्या काम

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Wrestlers Protest Opinion: पीएम मोदी से गुहार, आंसू बहा रहे हमारे सरताज, खेल में नेताओं का क्या काम


Wrestlers Protest Opinion: पीएम मोदी से गुहार, आंसू बहा रहे हमारे सरताज, खेल में नेताओं का क्या काम

भारतीय क्रिकेट टीम 1936 में इंग्लैंड दौरे पर गई और वहां से अचानक ही महान लाला अमरनाथ को स्वदेश भेज दिया गया, क्योंकि उनकी कप्तान विजय आनंद गजपति राजू से बहस हुई थी। विजय न केवल टीम के कप्तान थे, बल्कि विजयनगरम के महाराजा थे। टीम में उनकी तूती बोलती थी, क्योंकि इंग्लैंड दौरे का खर्च उन्होंने उठाया था। दौरे पर भारत बुरी तरह से हारा था। कहा जाता है कि टीम उनके व्यवहार से परेशान थी। वह कप्तान तो थे, लेकिन सिर्फ बैटिंग ही करते थे। उन्होंने 3 मैच खेले, लेकिन उन्हें फील्डिंग करते किसी ने नहीं देखा। समय बदला। आज क्रिकेट में वैसी तानाशाही नहीं है। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल की बागडोर वर्ल्ड कप विनिंग खिलाड़ी रोजर बिन्नी के हाथों में है। लेकिन क्रिकेट जैसी किस्मत अन्य खेलों की नहीं रही।

खेलों में सुपर पावर बनने का सपना जरूर भारत देख रहा है, लेकिन कई खेल संघों के अध्यक्ष आज भी पॉलिटिशियन हैं। कुश्ती को ही देख लीजिए। कॉमनवेल्थ गेम्स से ओलिंपिक तक में भारत अगर लगातार कामयाबी हासिल करता आ रहा है तो उसका श्रेय काफी हद तक पहलवानों को जाता है। बावजूद इसके उन्हें जहां अखाड़े में होना चाहिए तो वे जंतर-मंतर पर धरना देने को मजबूर हैं। यह धरना सिस्टम के खिलाफ है, भारतीय रेसलिंग असोसिएशन के अध्यक्ष और बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ है। पहलवानों ने ताल ठोक दी है।

महिला पहलवानों ने बृजभूषण शरण सिंह पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। भारत की सबसे प्रतिष्ठित फोगाट परिवार की बेटी विनेश फोगाट ने तो यहां तक आरोप लगाया कि अध्यक्ष और कई अधिकारी महिला पहलवानों का यौन शोषण करते हैं। विनेश का दावा है कि उन्हें WFI अध्यक्ष के इशारे पर जान से मारने की धमकी दी गई, क्योंकि उन्होंने तोक्यो ओलिंपिक के बाद पीएम नरेंद्र मोदी से इन मुद्दों पर बात करने की हिम्मत की थी। 20 महिला पहलवानों ने मुझे डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष से हुए यौन शोषण के बारे में बताया है। मैं अभी उनके नाम नहीं ले सकती, लेकिन पीएम और होम मिनिस्टर से मिलने पर नाम जरूर बताऊंगी।

दूसरी ओर, बृजभूषण शरण सिंह ने सभी आरोपों को खारिज कर दिया, लेकिन यह जांच का विषय है। 1991 में पहली बार लोकसभा के लिए चुने जाने वाले सिंह 2011 से ही संघ के अध्यक्ष बने हुए हैं। गोंडा के बृजभूषण शरण सिंह की छवि दबंग नेता की है। वह मंच पर एक युवक को थप्पड़ भी मार चुके हैं। इसके लिए उनकी आलोचना भी हुई थी, लेकिन बृजभूषण पर पहलवानों के आरोप गंभीर हैं। एथलीट देश की शान हैं। दुनियाभर में वह तिरंगे का मान बढ़ाते हैं। वे देश का गौरव बढ़ाने के लिए जान की बाजी लगाते हैं, लेकिन आज धरने के लिए मजबूर हैं। पीएम मोदी से न्याय की गुहार लगा रहे हैं।

मैट पर धाकड़ पहलवानों को धूल चटाने वाले विनेश रोती दिखीं। यह दिल तोड़ने वाला है। इतना तो सच है कि उन्होंने यूं ही नहीं यौन शोषण का आरोप लगाया होगा। कुछ तो जरूर सच्चाई होगी। इसकी जांच होनी चाहिए। कई अन्य पहलवानों का आरोप है कि संघ स्पॉन्सर्स के पैसे हजम कर जा रहा है। साथ ही सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर खेल संगठनों में पॉलिटिशियन का क्या काम है? उनका खेल से दूर-दूर तक नाता नहीं होता, लेकिन इसके बावजूद टीम सिलेक्शन पर उनका बड़ा प्रभाव होता है। अक्सर इस तरह के मामले सामने आते रहते हैं और कुछ समय बात मामला या तो दबा दिया जाता है या फिर उतनी तवज्जो नहीं मिलती।

एक ओर क्रिकेट में बदलाव हुआ तो वह सुपर पावर बना, लेकिन दूसरे खेल अपने वजूद की लड़ाई लड़ रहे हैं। पूर्व क्रिकेटर सौरव गांगुली बीसीसीआई प्रमुख बने तो एक नए दौर का आगाज हुआ। उसके बाद रोजर बिन्नी ने पद संभाला। हालांकि, अन्य खेलों में ऐसा नहीं। यह भी नहीं कि कुश्ती में अध्यक्ष बनने लायक कोई नहीं है। बीजेपी में ही शामिल योगेश्वर दत्त ओलिंपिक मेडल विनर हैं तो बेटियों को सूरमा पहलवान बनाने वाले महावीर भी अध्यक्ष बनने की योग्यता रखते हैं। महावीर ने अपनी और भाई की बेटियों गीता फोगाट, बबीता फोगाट, विनेश फोगाट, संगीता और ऋतु को अपने दम पर पहलवान बनाया। सोचिए अगर उनके हाथों में संघ की बागडोर होती तो वह इस खेल में क्रांति ला सकते थे। ये तो सिर्फ दो नाम हैं। कई ऐसे नेशनल खिलाड़ी भी हैं, जो रेसलिंग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, लेकिन वह संघ में नहीं हैं। सवाल यह है कि जिस तरह क्रिकेट में बदलाव हुआ क्या उस तरह कभी अन्य खेलों में बदलाव देखने को मिलेगा?

लाला अमरनाथ के समय तो सोशल मीडिया नहीं था और न ही टीवी का दौर था, लेकिन आज बहुत कुछ बदल चुका है। पहलवानों ने जब ताल ठोकी तो हर कोई उनके सपोर्ट में उतरा। बजरंग पूनिया, विनेश फोगाट, साक्षी मलिक सहित प्रोटेस्ट में शामिल पहलवानों की तगड़ी फैन फॉलोइंग है। बृजभूषण शरण सिंह इनकार भले करें, लेकिन अगर दाल में कुछ काला है तो वह छिपा नहीं पाएंगे। उन्हें 72 घंटे का अल्टीमेटम दिया गया है अब देखने वाली बात यह है कि आगे क्या होता है, लेकिन यह पहलवान हैं। ये तब तक नहीं हटेंगे जब तक न्याय नहीं मिलता।

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