World Water Day: जानिए शरीर के लिए कितना जरूरी है जल, जानिए कब, कितना और किस प्रकार पिया जाए पानी

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World Water Day: जानिए शरीर के लिए कितना जरूरी है जल, जानिए  कब, कितना और किस प्रकार पिया जाए पानी

World Water Day: जानिए शरीर के लिए कितना जरूरी है जल, जानिए कब, कितना और किस प्रकार पिया जाए पानी

धरती पर पानी के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। शायद ही कोई ऐसा जीवित प्राणी और उसकी कोशिकाएं हों, जिसमें पानी की मौजूदगी न हो। सीधे कहें तो हम 50 फीसदी से ज्यादा पानी ही हैं। इसलिए पानी का शरीर में सही अनुपात में होना जरूरी है। न कम हो और न ज्यादा। कब, कितना और किस प्रकार पानी पिया जाए कि वह शरीर में लिए लाभदायक रहे। इस बारे एक्सपर्ट्स से बात करके जानकारी दे रहे हैं राजेश भारती

शरीर को स्वस्थ रखने के लिए पौष्टिक खाना जितना जरूरी है, उतना ही जरूरी है साफ पानी पीना है। अगर पानी तय मात्रा से कम या ज्यादा और गलत समय पर पिया जाए तो यह फायदे की जगह नुकसान ही देता है। वहीं मौसम के हिसाब से भी पानी पीना जरूरी है। पानी की मात्रा कम या ज्यादा की जा सकती है। पानी पीने से हमारे शरीर का मेटाबॉलिजम सही रहता है। अगर मेटाबॉलिजम सही रहेगा तो इससे पाचन सही रहेगा। पाचन सही रहने से बहुत सारी बीमारियां दूर रहती हैं। साथ ही पानी पीते रहने से आप ज्यादा खाने की आदत से खुद को दूर रख सकते हैं।

वहीं पानी हमारे शरीर में न्यूट्रीएंट्स को ले जाने काम करता है और हानिकारक टॉक्सिंस को भी बाहर निकालता है। एक्सपर्ट्स कहते हैं कि लोगों को सुबह की शुरुआत चाय की जगह एक गिलास पानी पीकर करनी चाहिए।

रोजाना कितना पानी है जरूरी
रोजाना 2 से 3 लीटर सादा पानी जरूर पीना चाहिए। हालांकि यह मौसम और शरीर के आकार पर भी निर्भर करता है। गर्मी में ज्यादा पसीना निकलता है। इसलिए गर्मियों में पानी पीने की मात्रा बढ़ जाती है। वहीं सर्दियों में कम पानी पिया जाता है। वहीं पानी पीने की मात्रा शारीरिक श्रम पर भी निर्भर करती है। अगर कोई शख्स ऐसा काम करता है जिससे शरीर से ज्यादा मात्रा में पसीना निकलता है तो उन्हें कुछ ज्यादा पानी पीना चाहिए। ऐसे लोगों को गर्मियों में 3 से 4 लीटर पानी पीना चाहिए।

कब पिएं
पानी पीने का कोई तय वक्त नहीं है। जब भी प्यास लगे, पानी पी लेना चाहिए। प्यास को कभी रोककर न रखें। अगर कुछ समय के लिए प्यास रोकेंगे तो प्यास बढ़ती जाएगी। ज्यादा प्यास में पानी ज्यादा पिया जाता है। इससे प्यास बुझने के साथ-साथ शरीर में लिमिट से ज्यादा पानी चला जाता है। ऐसे में किडनी को भी जरूरत से ज्यादा काम करना पड़ जाता है। इससे किडनी कमजोर हो सकती है। इसलिए जब भी प्यास लगे, पानी पी लेना चाहिए। हां, अगर कहीं ऐसी जगह फंस गए हैं जहां पानी नहीं मिल रहा है तब अलग बात है। लेकिन ऐसा बार-बार नहीं होना चाहिए।

कैसे पिएं
पानी कभी भी जल्दबाजी में नहीं पीना चाहिए। पानी हमेशा घूंट-घूंट करके आराम से पानी चाहिए। दरअसल, जब हम घूंट-घूंट करके आराम से पानी पीते हैं तो मुंह में मौजूद कुछ एंजाइम जैसे- एमाइलेज ज्यादा मात्रा में मिलकर पेट में जाते हैं। इससे पाचन शक्ति में सुधार होता है। वहीं कहा जाता है कि पानी हमेशा बैठकर पीना चाहिए। ऐसा कोई स्थाई नियम नहीं है। अपनी सुविधा के अनुसार बैठकर या खड़े होकर पानी पी सकते हैं। होना यह चाहिए कि जब भी पानी पिएं, तसल्ली से पिएं। हालांकि कुछ एक्सपर्ट्स के अनुसार खड़े होकर पानी नहीं पीना चाहिए क्योंकि इससे पेट के निचले हिस्से की दीवारों पर दबाव बनता है, जिससे पेट के आसपास के अंगों को बहुत नुकसान पहुंचता है।

कैसा पिएं
हमेशा सादा पानी पिएं। नगर निगम की पाइप के जरिए घरों में आना वाला पानी या वॉटर प्यूरीफायर का पानी पी सकते हैं। अगर निगम की लाइन का पानी गंदा या बदबूदार है तो बेहतर होगा कि वॉटर प्यूरीफायर का पानी पिएं। वहीं अगर घर में बोरिंग का पानी आ रहा है तो बेहतर होगा कि प्यूरीफायर लगवाएं, क्योंकि बोरिंग का पानी हार्ड और खारा होता है। सर्दियों में दिन में एक-दो बार गुनगुना पानी पी सकते हैं लेकिन गर्मियों में जब तक बहुत जरूरी जैसे- कोई दवाई लेनी हो, जुकाम आदि न हो तो गुनगुना पानी न पिएं। अब चूंकि गर्मियां आ चुकी हैं तो ऐसे में सादा पानी या मटके का पानी ही बेहतर है।

गर्मियों में फ्रिज का पानी पीने से बचें। अगर मजबूरी में पीना भी पड़े तो बहुत ज्यादा ठंडा पानी न पिएं। कई बार देखने में आता है कि बाहर से आने के बाद घर में घुसते ही लोग फ्रिज का ठंडा पानी पी लेते हैं। ऐसा हरगिज न करें। दरअसल, गर्मियों में बाहर हमारे शरीर का तापमान ज्यादा हो जाता है, ऐसे में अगर फ्रिज का ठंडा पानी पीते हैं तो शरीर का तापमान बिगड़ जाता है जिससे बुखार और जुकाम होने के साथ दूसरी बीमारी भी हो सकती हैं।

मटका है बेस्ट: एक्सपर्ट बताते हैं कि गर्मियों में मटके या सुराही का पानी पीना सबसे अच्छा होता है। दरअसल, मटके में रखा पानी प्राकृतिक तरीके से ठंडा होता है। साथ ही मिट्टी में रखे होने के कारण इसमें कुछ मिनरल्स भी मिल जाते हैं। यही नहीं, मटके का पानी नियमित रूप से पीने से शरीर का इम्यून सिस्टम बेहतर होता है। मटके के पानी में ऐल्कलाइन (क्षारीय) गुण होते हैं जो पेट की कई बीमारियों को खत्म करने में मदद करता है।

बच्चा 6 महीने का हो जाए तो दे सकते हैं पानी
अगर बच्चे की उम्र 6 महीने से कम है तो उसे पानी नहीं पिलाना चाहिए। सिर्फ मां का दूध ही उसके लिए पौष्टिक आहार होता है। मां के दूध में 80% पानी और 20% पोषक तत्व होते हैं जो बच्चे के विकास के लिए जरूरी होते हैं। 6 महीने के बाद बच्चे को दिन में 2 से 3 बार 1-1 चम्मच सादा और शुद्ध पानी पिलाना शुरू करें। जब बच्चा 3 साल से ज्यादा का हो जाता है तो उसकी ऐक्टिविटी बढ़ जाती हैं और उसके शरीर से पानी की मात्रा ज्यादा निकलने लगती है। ऐसे में उन्हें पीने के लिए ज्यादा पानी की जरूरत होती है। कई बार बच्चे पानी पीने पर ध्यान नहीं दे पाते। इसलिए पैरंट्स की जिम्मेदारी है कि बच्चे को पानी पिलाएं। बच्चे को कितना पानी पिलाना चाहिए, इसके लिए बेहतर होगा कि किसी डॉक्टर की सलाह लें।

किसमें करें पानी को स्टोर
इस बात पर भी ध्यान देना जरूरी है कि आप जिस पानी को पी रहे हैं, वह कहां और किस चीज में स्टोर किया गया है। पानी को हमेशा इन 3 तरह के बर्तनों में स्टोर करके रखें:

मटका: पानी स्टोर करने के लिए मटका या मिट्टी का कोई दूसरा बर्तन अच्छा माना जाता है। इसमें पानी सामान्य तापमान पर भी ठंडा रहता है और शरीर को नुकसान नहीं पहुंचाता। मिट्टी के जिस बर्तन में पानी स्टोर कर रहे हैं, उस पर सीधी धूप न आए, वरना पानी ठंडा नहीं होगा।

तांबे का बर्तन: तांबे के बर्तन में रखे पानी को श्रेष्ठ माना गया है। पानी में अगर कोई हानिकारक बैक्टीरिया है तो वह तांबे के बर्तन में रखे होने पर मर जाता है। साथ ही पानी में ऐसे मिनरल्स भी मिल जाते हैं जो सेहत के लिए अच्छे होते हैं।

स्टील का बर्तन: स्टील के बर्तन में पानी सुरक्षित माना जाता है। अगर घर में स्टील की बाल्टी या कोई बड़ा बर्तन है तो उसमें पानी स्टोर करके रख सकते हैं।
प्लास्टिक: मजबूरी में पानी को प्लास्टिक के सामान में स्टोर कर सकते हैं लेकिन 2 या 3 घंटे से ज्यादा नहीं। इस दौरान ध्यान रखें कि पानी पर धूप सीधी न पड़ रही हो, नहीं तो धूप की गर्मी से प्लास्टिक से हानिकारक पदार्थ निकलते हैं जो पानी में मिल जाते हैं। इस पानी को लंबे समय तक पीने से कैंसर तक हो सकता है। अगर घर में वॉटर प्यूरीफायर है और उसका टैंक प्लास्टिक का है तो बेहतर होगा कि उसमें पानी स्टोर करके न रखें। जब टैंक भर जाए तो उसमें से पानी निकालकर मटके में या कांच की बोतलों में भरकर रख लें।

नोट: बर्तन कैसा भी हो, उसे 24 घंटे में एक बार अच्छे से साफ करना जरूरी है। पानी को 24 घंटे से ज्यादा स्टोर करके न रखें।

इन हालात में कितना पिएं पानी

सुबह उठने के बाद
सुबह उठने के के बाद खाली पेट पानी पीना बहुत जरूरी है। आयुर्वेद में इसे उषापान कहा गया है। दरअसल, हम रात को 6 से 8 घंटे की नींद लेते हैं। ऐसे में सुबह शरीर में पानी की कमी हो जाती है और शरीर डिहाइड्रेट हो जाता है। इसलिए सुबह उठकर पानी जरूर पिएं। वहीं सुबह खाली पेट पानी पीने से कब्ज की समस्या कम हो जाती है। साथ ही शरीर से ज्यादातर हानिकारक टॉक्सिन्स बाहर निकल जाते हैं जिससे कई बीमारियों से बचने में मदद मिलती है।

कितना पिएं: सुबह उठकर अपनी क्षमता अनुसान 1 या 2 गिलास पिएं।

कैसा पिएं: अक्सर कहा जाता है कि सुबह गुनगुना या रात को नीबू के टुकड़े डालकर रखा गया पानी पिएं, लेकिन यह जरूरी नहीं है। सबसे अच्छा सादा और ताजा पानी होता है। इसलिए बेहतर होगा कि सुबह सिर्फ सादा पानी ही पिएं। हां, पानी का टेस्ट बदलने के लिए रात को नीबू के टुकड़े डालकर रखा गया पानी पी सकते हैं।

खाना खाने के दौरान
कुछ एक्सपर्ट्स जहां खाना खाने के तुरंत बाद पानी पीने से मना करते हैं तो कुछ की राय इससे अलग है। वैसे ज्यादातर एक्सपर्ट की राय है कि खाना खाने से 45 मिनट पहले एक गिलास सादा पानी पीना चाहिए और खाना खाने के 45 मिनट बाद पानी पी सकते हैं। जरूरी हो तो खाना खाने के दौरान 1 या 2 घूंट पानी ही पिएं।

कारण– हमारे मुंह में मौजूद एंजाइम खाने के साथ मिलकर पेट में जाते हैं, जहां खाने का पाचन सही तरीके से होता है। अगर खाने के दौरान ज्यादा पानी पिएंगे तो ये एंजाइम पानी के साथ पेट में चले जाते हैं और खाना पचाना मुश्किल होता है। वहीं दूसरी ओर एक्सपर्ट कहते हैं कि खाना खाने के तुरंत बाद 1 या 2 गिलास पानी उन्हीं लोगों को पीना चाहिए जो अपना वजन बढ़ाना चाहते हैं। अगर वजन नहीं बढ़ाना तो खाने के तुरंत बाद ज्यादा पानी न पिएं। आधे घंटे बाद पानी पी सकते हैं।

एक्सरसाइज के बाद
एक्सरसाइज के दौरान शरीर से काफी मात्रा में पसीना और सोडियम निकलता है, जिससे शरीर डिहाइड्रेट भी होता है। वहीं एक्सरसाइज के दौरान कोशिकाएं टूटती हैं। इनके बनने में भी पानी की अहम भूमिका होती है।

शरीर में पानी की मात्रा बनाए रखने के लिए एक्सरसाइज के दौरान 10-10 मिनट बाद 1 या 2 घूंट ही पानी पिएं। एक्सरसाइज खत्म करने के तुरंत बाद कभी भी 1 या 2 गिलास पानी न पिएं। जब हम एक्सरसाइज करते हैं तो दिल की धड़कनें बढ़ जाती हैं और शरीर में खून का प्रवाह तेज हो जाता है। इसलिए एक्सरसाइज करने के करीब 15 मिनट बाद ही ज्यादा पानी पिएं क्योंकि तब तक खून का प्रवाह और धड़कनें सामान्य हो जाती हैं।

कैसा पिएं: एक्सरसाइज के बीच में या एक्सरसाइज के बाद, हमेशा सादा पानी ही पिएं। अगर चाहे तो पानी में नीबू का रस मिला सकते हैं। 1 लीटर पानी में 1 नीबू का रस काफी रहता है। वहीं अगर डायबीटिज नहीं है तो पानी में शहद डालकर भी पी सकते हैं।

इन बीमारियों में
पथरी होने पर: अगर किसी शख्स को 5mm तक की पथरी है तो उसे तय मात्रा से कुछ ज्यादा पानी पीने की सलाह दी जाती है ताकि पथरी यूरिन के रास्ते बाहर निकल जाए।

किडनी की समस्या होने पर: अगर किसी शख्स को किडनी की समस्या है तो उसे पानी पीने पर काबू रखना चाहिए। ज्यादा पानी पिएंगे तो किडनी को ज्यादा काम करना पड़ता है।

लिवर फेल होने पर: अगर लिवर को फिट रखना है तो किडनी को फिट रखना होगा। वहीं अगर लिवर फेल होने का केस है तो पानी कम मात्रा में पीना चाहिए।

पेट खराब होने पर: लूज मोशन या कब्ज के मामले में ज्यादा पानी पीने को कहा जाता है। इसका मतलब यह नहीं कि पानी बहुत ज्यादा मात्रा में ही पी लिया जाए। लूज मोशन में एक गिलास सादा पानी में एक चुटकी सफेद नमक और एक चम्मच चीनी मिलाकर पिएं। वहीं कब्ज में सादा पानी पीना फायदेमंद है

नोट: किसी भी बीमारी में अपने हिसाब से पानी की मात्रा कम या ज्यादा न करें। इस बारे में डॉक्टर से सलाह जरूर लें।

कैसे जानें कि आपका पानी पीने लायक है
पानी का सिर्फ साफ दिखना ही इस बात की गारंटी नहीं है कि वह पीने लायक है। पानी को कई स्तरों पर जांचा जाता है। यह जांच आप घर पर भी कर सकते हैं:
1. TDS लेवल
TDS का उपयोग पानी की शुद्धता को जांचने के लिए किया जाता है। इसके पता लगाया जाता है कि पानी पीने लायक है या नहीं। WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन) के अनुसार अगर पानी का TDS 100 से 250 ppm (पार्ट्स प्रति मिलियन) है तो यह पानी पीने के लिए शुद्ध है। इससे कम या ज्यादा TDS वाले पानी को नहीं पीना चाहिए।
जानें, कितने TDS पर पानी की शुद्धता कैसी होती है।

TDS लेवल क्वॉलिटी पीने में कैसा
0-150 ppm अच्छा पानी मीठा लेकिन मिनरल्स में कुछ कमी। पी सकते हैं
151-250 ppm बहुत अच्छा पीने के लिए अच्छा
251-300 ppm ठीक पी सकते हैं
301-500 ppm कुछ ठीक मजबूरी में थोड़ा पानी पी सकते हैं
501-900 ppm खराब बिल्कुल न पिएं
901 ppm से ज्यादा बहुत खराब पीने के बारे में सोचें भी नहीं

घर पर ऐसे जांचें TDS
घर पर आ रहे पानी का TDS खुद भी जांच सकते हैं। TDS जांचने के लिए डिजिटल थर्मामीटर जैसी डिवाइस आती है। एक गिलास पानी लेकर इस डिवाइस के आगे से सिरे को उसमें 1 मिनट के लिए डाल दें। डिवाइस में लगी स्क्रीन पर पानी का TDS आ जाता है।
कीमत: 150 रुपये से शुरू
कहां से खरीदें: ऑनलाइन या ऑफलाइन

2. pH लेवल
pH लेवल बताता है कि पानी कितना हार्ड है और कितना सॉफ्ट। किसी भी चीज की pH वैल्यू 0 से 14 के बीच होती है। इसे एक स्कैल पर नापते हैं। इसका आदर्श पॉइंट या न्यूट्रल 7 माना जाता है। pH 7 लेवल शुद्ध पानी का होता है। अगर पानी का pH लेवल 7 से कम है तो इसे हार्ड वॉटर माना जाता है। इसे एसिडिक यानी अम्लीय पानी भी कहते हैं। अगर पानी का pH लेवल 7 से ज्यादा है तो इसे ऐल्कलाइन यानी क्षारीय पानी कहा जाता है। पीने योग्य पानी का pH लेवल 7 से 8 के बीच में होना चाहिए। हल्का ऐल्कलाइन पानी सेहत के लिए अच्छा होता है। इसमें एंटी एजिंग गुण पाए जाते हैं। साथ ही यह इम्यूनिटी भी बढाता है। यह लंबे समय तक शरीर को हाइड्रेट (शरीर में पानी का स्तर बनाकर) रखता है। इस पानी में कैंसर से लड़ने वाले गुण भी पाए जाते हैं।

घर पर ऐसे जांचें pH
पानी का pH लेवल चेक करने के लिए TDS चेक करने जैसी ही डिवाइस आती है। डिवाइस में डिस्प्ले लगी होती है जिस पर pH वैल्यू आ जाती है।
कीमत: 400 रुपये से शुरू
कहां से खरीदें: ऑनलाइन या ऑफलाइन

3. ORP लेवल
ORP का मतलब Oxidation Reduction Potential है। ORP को मिलिवोल्ट (mV) से नापते हैं। किसी भी पानी में ORP की मात्रा नेगेटिव 1500 (-1500) mV से प्लस 1500 (+1500) mV हो सकती है। ORP की वैल्यू जितनी ज्यादा निगेटिव होगी, पानी उतना साफ माना जाता है। एक स्टैंडर्ड के अनुसार किसी जगह के पानी का ORP -400 mV है तो ORP के अनुसार वह पानी साफ है। अगर ORP +400 है तो वह पानी पीने लायक नहीं है। पीने योग्य पानी का ORP -400 mV से -200 mV के बीच होना चाहिए।

घर पर ऐसे जांचें ORP
पानी की ORP वैल्यू चेक करने के लिए TDS चेक करने जैसी ही डिवाइस आती है। डिवाइस में डिस्प्ले लगी होती है जिस पर ORP वैल्यू आ जाती है।
कीमत: 3000 रुपये से शुरू
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कम या ज्यादा मात्रा में पानी पीने से असर
कम पानी पीने से
– डिहाइड्रेशन हो जाता है जिससे चक्कर आने लगते हैं।
– ढलती उम्र के निशान जल्दी नजर आने लगते हैं।
– शरीर पर झुर्रियां जल्दी पड़ जाती हैं और त्वचा अपनी चमक खोकर ढीली पड़ने लगती है।
– मेटाबॉलिजम की प्रक्रिया सही नहीं होती जिससे शरीर में फैट जमा होने लगता है।
– हड्डियों और जोड़ों में दर्द हो सकता है।

ज्यादा पानी पीने से
– शरीर से सोडियम का लेवल कम होने लगता है जिससे मस्तिष्क में सूजन आ सकती है।
– पानी को फिल्टर करने के लिए किडनी पर बोझ बढ़ जाता है। इससे किडनियां फेल हो सकती हैं।
– महिलाओं के हार्मोन गड़बड़ हो सकते हैं। बीपी हाई हो सकता है।
– मांसपेशियों में कमजोरी या ऐंठन की समस्या हो सकती है।

इन चीजों के खाने के तुरंत बाद पीना पीना सख्त मना है
भुने चने खाने के बाद: भुने चने खाने के तुरंत बाद पानी बिलकुल न पिएं। अगर पानी पीते हैं तो इससे पेट में दर्द हो सकता है, क्योंकि पानी पीने से चना फूल जाता है।

अमरूद खाने के बाद: अमरूद खाने के बाद पानी पीने से पेट में गैस की समस्या हो सकती है या कुछ ही देर बाद तेज दर्द हो सकता है।
तरबूज खाने के बाद: तरबूज और खरबूज में काफी मात्रा में पानी होता है। इन्हें खाने के बाद पानी पीने से पेट संबंधी बीमारियां हो सकती हैं।

चाय पीने के बाद: चाय या कॉफी पीने के बाद पानी पीने से पेट खराब हो सकता है। पाचन तंत्र धीमा होने से पेट में भारीपन की समस्या हो सकती है।
मूंगफली खाने के बाद: मूंगफली खाने के तुरंत बाद पानी पीने से खांसी हो सकती है।

इस समय पानी पीना है फायदेमंद
– नहाने से आधा घंटा पहले पानी पीने से ब्लड प्रेशर की समस्या नहीं होती।
– सोने से पहले पानी पीने से हार्ट अटैक का खतरा कम होता है।
– घर से बाहर निकलते वक्त पानी पीकर निकलें। इससे एनर्जी मिलती है और कुछ समय तक डिहाइड्रेशन की दिक्कत भी नहीं होती।

प्यूरीफायर का पानी कितना सही
स्ट्रक्चर्ड वाॅटर होना चाहिए
वॉटर प्यूरीफायर हमेशा ऐसा खरीदें जिससे स्ट्रक्चर्ड वॉटर निकले। वह पानी जो पूरी तरह से न केवल शुद्ध बल्कि सेहत के लिए भी अच्छा होता है, स्ट्रक्चर्ड वाटर कहलाता है। इसे जिंदा पानी भी कह सकते हैं। स्ट्रक्चर्ड वाटर के लिए शर्त है कि उसका TDS लेवल 100 से 250 ppm, pH लेवल 7 से 8 और ORP -400 mV से -200 mV के बीच होना चाहिए। अगर आपके घर में सप्लाई का आने वाला पानी हार्ड है तो बेहतर होगा कि सप्लाई की लाइन के शुरू में ही वॉटर सॉफ्टनर लगवाएं। इससे पूरे घर में सॉफ्ट पानी आएगा। इस पानी से न केवल वॉटर प्यूरीफायर की उम्र बढेगी बल्कि धुलने वाले कपड़े और नहाने के बाद बालों की भी उम्र बढ़ाएगा। हार्ड पानी से कपड़े धोएं जाएं तो वे जल्दी खराब हो जाते हैं। वहीं हार्ड वॉटर से सिर धोते समय बालों को नुकसान पहुंचता है। वॉटर सॉफ्टनर को ऑनलाइन या ऑफलाइन खरीद सकते हैं। इसकी शुरुआती कीमत करीब 4 हजार रुपये है।

ऐसा प्यूरीफायर खरीदें
ऐसा प्यूरीफायर लें जिसमें आरओ, यूवी और यूएफ तीनों तकनीक हो। इसके साथ ही चूंकि जरूरी मिनरल्स की शरीर को जरूरत होती है, ऐसे में TDS कंट्रोलर तकनीक से लैस प्यूरीफायर ही लें, जिससे शरीर में बैलेंस बना रहे। जहां तक छोटे शहरों या कम प्रदूषित इलाकों की बात है तो अगर वहां का ग्राउंड वाटर पहले से साफ और मीठा है और उसे बस फिल्टर करने की जरूरत है तो यूवी प्यूरीफायर इस्तेमाल करना चाहिए।

प्यूरीफायर से निकले पानी का यह करें
फिल्ट्रेशन के दौरान वॉटर प्यूरीफायर से निकले पानी को बेकार न बहने दें। उसे इकट्ठा कर लें। इस पानी को प्लांट में लगा सकते हैं या घर-आंगन धो सकते हैं। बाथरूम में फ्लश के दौरान भी इस्तेमाल कर सकते हैं। पार्क में छिड़काव कर सकते हैं।

एक्सपर्ट पैनल
– डॉ. अंकुर गर्ग, डायरेक्टर, लिवर ट्रांस्प्लांट, मेट्रो ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल
– डॉ. अव्यक्त अग्रवाल, सीनियर पीडीअट्रिशन
– परमीत कौर, चीफ डायटिशन, एम्स
– डॉ. भगवान सहाय शर्माख् HoD बाल रोग, तिब्बिया कॉलेज
– डॉ. मीना तांदले, असिस्टेंट प्रफेसर, दून आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज
– आशुतोष वर्मा, फाउंडर, Exalta
– अरुण सिंह, फिटनेस एक्सपर्ट और वेलनेस कोच

पूछें सवाल
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