World Population Day: बढ़ती आबादी पर लगाम लगाने के लिए कानून लाएगी बीजेपी सरकार? फिर बढ़ी सुगबुगाहट

94
World Population Day: बढ़ती आबादी पर लगाम लगाने के लिए कानून लाएगी बीजेपी सरकार? फिर बढ़ी सुगबुगाहट

World Population Day: बढ़ती आबादी पर लगाम लगाने के लिए कानून लाएगी बीजेपी सरकार? फिर बढ़ी सुगबुगाहट

लखनऊः विश्व जनसंख्या दिवस पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक बार फिर जनसंख्या नियंत्रण कानून को हवा दे दी है। सिर्फ वही नहीं, केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने भी जनसंख्या नियंत्रण पर कानून बनाने की मांग की है। ऐसे में एक बार फिर इस मुद्दे पर सुगबुगाहट बढ़ गई है कि क्या बीजेपी सरकार जनसंख्या पर लगाम लगाने के लिए कोई कानून लाने की तैयारी में है?, जिसकी पहले से ही भूमिका बनाई जा रही है। योगी आदित्यनाथ के सोमवार के भाषण ने तो यह भी संकेत कर दिया है कि बीजेपी के जनसंख्या नियंत्रण की चिंताओं में सबसे प्रमुख बिंदु क्या है?

क्या कहा योगी ने
योगी ने अपने भाषण में जनसंख्या नियंत्रण के कानूनों की सराहना की लेकिन इसके साथ ही उन्होंने यह भी संकेत कर दिया कि इसके लिए सिर्फ ‘मूल निवासियों’ को ही इन्फोर्समेंट के जरिए जागरूक नहीं किया जाना चाहिए बल्कि धर्म, जाति, मजहब से ऊपर उठकर इन कार्यक्रमों में सहभागिता करनी चाहिए। योगी आदित्यनाथ की चिंता दरअसल भारतीय जनता पार्टी और इसके समवैचारिक संगठनों की कथित तौर पर अल्पसंख्यकों की बढ़ती आबादी की आशंका से जोड़कर देखा जा रहा है।

लखनऊ में जनसंख्या दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में इसे लेकर योगी ने कहा कि जनसंख्या नियंत्रण का कार्यक्रम सफलतापूर्वक बढ़े लेकिन डेमोग्राफी में असंतुलन न हो। ऐसा न हो कि किसी वर्ग की आबादी बढ़ने की स्पीड ज्यादा हो और कुछ लोग जो मूलनिवासी हैं, उन लोगों की आबादी के स्थिरीकरण में हम लोग जागरूकता इन्फोर्समेंट के माध्यम से उनको नियंत्रित करके जनसंख्या संतुलन की स्थिति पैदा करें।

योगी ने आगे कहा कि कहा कि यह एक चिंता का विषय है हर उस देश के लिए जहां अंसतुलन की स्थिति पैदा होती है। रिलिजियस डेमोग्राफी पर इसका असर पड़ता है और वहां पर एक समय के बाद अव्यवस्था, अराजकता जन्म लेने लगती है। सिर्फ योगी ही नहीं बल्कि केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह और बिहार सरकार के मंत्री नीरज कुमार बबलू भी जनसंख्या नियंत्रण पर कानून की मांग कर चुके हैं। बीजेपी के राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा ने तो प्राइवेट मेंबर बिल के तहत जनसंख्या नियंत्रण बिल भी सदन में पेश कर दिया था।

बीजेपी सांसद ने पेश किया था बिल
हालांकि, स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया के बिल पर चर्चा से इनकार के बाद सिन्हा ने अपना बिल वापस ले लिया। इन नेताओं के अलावा भी बीजेपी नेता समय-समय पर जनसंख्या नियंत्रण पर कानून की वकालत करते रहे हैं। हालांकि, विपक्षी दलों में इसे लेकर कोई खास उत्साह दिखाई नहीं देता। उल्टा बीजेपी नेताओं की मांग पर विपक्षी दलों के नेता बेरोजगारी और महंगाई के मुद्दे पर सरकार को घेरने लगते हैं।

ओवैसी ने कहा, कोई जनसंख्या विस्फोट नहीं
ऐसे ही जनसंख्या नियंत्रण पर सोमवार को योगी आदित्यनाथ के बयान के बाद मजलिस के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने बीजेपी नेताओं पर निशाना साधा है। उन्होंने दावा किया भारत में कोई जनसंख्या विस्फोट नहीं है। चिंता एक स्वस्थ और उत्पादक युवा आबादी को सुनिश्चित करने की है, जिसमें मोदी सरकार बुरी तरह से नाकामयाब है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि जनसंख्या दिवस पर संघी फेक न्यूज फैलाने में समय बिताएंगे लेकिन सच यह है कि मोदी के शासन में भारत के युवा और बच्चों का भविष्य अंधकारमय है। भारत के कम से कम आधे युवा बेरोजगार हैं। भारत दुनिया में सबसे ज्यादा कुपोषित बच्चों का घर है।

क्या होंगे जनसंख्या कानून के प्रावधान
जनसंख्या नियंत्रण कानून बिल, 2021 की सिफारिशों की बात करें तो इसमें कहा गया है कि जिन माता-पिता के दो से ज्यादा बच्चे होंगे, उनसे कई तरह की सुविधाएं वापस ले ली जानी चाहिए। इसमें ऐसे लोगों को किसी भी तरह का चुनाव लड़ने, पार्टी बनाने, किसी दल का पदाधिकारी बनने पर रोक लगा देनी चाहिए। इतना ही नहीं, ऐसे लोग केंद्र सरकार की कैटिगरी ए से लेकर डी तक की नौकरी के लिए अप्लाई नहीं कर सकेंगे। सरकारी सुविधाएं मसलन- मुफ्त भोजन, बिजली, पानी जैसी सुविधाओं के दायरे से भी ऐसे लोग बाहर रहेंगे।

यूपी में जनसंख्या नियंत्रण को लेकर कानून के प्रारूप में तो यह भी प्रावधान है कि जो माता-पिता दो बच्चों के मानदंड को अपनाएंगे, उन्हें सरकारी नौकरी में दो अतिरिक्त वेतन वृद्धि मिलेगी। इसके अलावा राष्ट्रीय पेंशन योजना के तहत पूरे वेतन और भत्तों के साथ 12 महीने की छुट्टी का भी प्रावधान है।

राजनीति की और खबर देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – राजनीति
News