Womens Day: कुसुमलता की मेहनत रंग लाई, कभी बंद होने की हालत में था स्कूल, आज दीवारें QR कोड से चहक रही हैं | Womens Day Special, Uttarkhand School, Sarkari School | News 4 Social

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Womens Day: कुसुमलता की मेहनत रंग लाई, कभी बंद होने की हालत में था स्कूल, आज दीवारें QR कोड से चहक रही हैं | Womens Day Special, Uttarkhand School, Sarkari School | News 4 Social
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Womens Day: कुसुमलता की मेहनत रंग लाई, कभी बंद होने की हालत में था स्कूल, आज दीवारें QR कोड से चहक रही हैं | Womens Day Special, Uttarkhand School, Sarkari School | News 4 Social

वेतन का 10% स्कूल पर खर्ची करती हैं कुसुम (Kusum Lata Uttarakhand Teacher)

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कुसुमलता (Kusum Lata) उत्तराखंड सीमांत चमोली में राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय वीणा की सहायक अध्यापिका हैं। एक समय था जब ये विद्यालय, स्कूल के नाम पर, एक भवन मात्र हुआ करता था। लेकिन कुसुमलता की लगन और मेहनत ने इस स्कूल को जीवंत किया, छात्रों की संख्या बढ़ी और स्कूल का सौंदर्यीकरण हुआ। कुसुम अपने वेतन का 10 प्रतिशत हिस्सा विद्यालय पर खर्च करती हैं।

आज यहां 28 बच्चे पढ़ते हैं (Sarkari School In Uttarakhand)

कुसुमलता उत्तराखंड की रहने वाली हैं। वो 1999 से पढ़ाने का काम कर रही हैं। खास बात ये है कि अपने अबतक के करियर में उन्होंने अपनी सेवा दुर्गम और अति दुर्गम क्षेत्रों में ही दिया है। साल 2015 में उनकी पोस्टिंग वीणा स्कूल में हुई। कुसुम जब इस विद्यालय में आईं थी तो यहां सिर्फ 7 बच्चे थे। फिर कुसुम ने घर-घर जाकर अभिभावकों से अपने बच्चों को स्कूल भेजने की गुहार लगाई। उनके इस अथक प्रयास का ही नतीजा है कि आज यहां कुल 28 छात्र पढ़ रहे हैं।

किताबी ज्ञान के साथ-साथ बच्चे सीख रहे हैं पर्यावरण संरक्षण

इस विद्यालय में छात्रों को न सिर्फ किताबी ज्ञान दिया जा रहा है बल्कि उनका परिचय तकनीक से भी कराया जा रहा है। साथ ही उन्हें पेंटिंग और अन्य कला भी सिखाई जा रही है। यही नहीं बच्चों का परिचय पोस्टर अभियान, पर्यावरण संरक्षण, और पौधारोपण से कराया जा रहा है।

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QR कोड वाली पेंटिंग है इस स्कूल की शोभा (Sarkari School)

आपने देखा होगा कि स्कूल की दीवारों पर पेटिंग या पोस्टर लगे होते हैं। लेकिन वीणा स्कूल की ये पेंटिंग सबसे अलग और खास है। दरअसल, यहां दीवारों पर लगे चित्र को जब कोई स्कैन करता है तो उससे संबंधित जानकारी जो गूगल पर मौजूद है फोन के स्क्रीन पर आ जाती है। कुसुम ने कोरोनाकाल में मेहनत की और स्कूल के दीवारों पर संबंधित चित्रों के साथ क्यूआर कोड (QR Code) भी बनवाए।

जिम्मेदारी निभा पा रही हूं, यही है सबसे बड़ा सम्मान- कुसुमलता

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कुसुमलता को पहले भी कई राज्य और राष्ट्रीय स्तर के सम्मान मिल चुके हैं। वहीं अब उनका नाम प्रदेश सरकार ने शैलेश मटियानी राज्य शैक्षिक पुरस्कार-2023 के लिए चुना है। इस पर कुसुम ने मीडिया को इंटरव्यू देते हुए कहा कि वो अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन भली-भांति कर पा रही हैं, यही उनके लिए सबसे बड़ा सम्मान है।

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