भारत में विश्व् भर के सब से ज़्यादा भाषाएँ और धर्म में आस्था रखने वाले लोग रहते हैं, धर्म का उपयोग राजनीति में नहीं होना चाहिए यह बात देश में सभी को पता है और वर्षों से पता है | बावजूद इसके धर्म का इस्तेमाल आज के राजनेता राजनीतिक में इसलिए कर रहे है, क्योंकि सभी राजनैतिक पार्टियों और राजनैतिक हस्तियों के लिए धर्म ही एकमात्र ऐसी सीढ़ी हैं जिसके सहारे वे अपने लक्ष्य को हासिल कर सकते हैं, राजनीति में नेताओं के लिए धर्म का इस्तेमाल करके चुनाव जीतना आसान रहता है।
उनको सिर्फ वोट चाहिए, वोट पाने के लिए लोगों को कुछ न कुछ तो उनके दिमाग मे चढ़ाना ही पड़ता है, इसलिए राजनीति में धर्म को लाने से आपस में नफरत, द्वेष, भड़काना, डराना सब कुछ करना आसान हो जाता है, जिस वजह से दंगे फसाद चालू हो जाते है और दोनों तरफ भड़काने वाले लोग होते हैं, जो आग में घी डालते है, ताकि उनको और ज्यादा फायदा हो । इसीलिए धर्म ही चुनावो में इनके द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला सबसे सरल साधन होता हैं. चलिए कुछ हाल फिलहाल में ही संपन्न हुए चुनावो को ही देखते हैं, जैसे की गुजरात चुनाव में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी मंदिर-मंदिर, जनेऊ धारी बनकर घूम रहे थे, हिन्दुओ को रिझाने के लिए किसी एक भी मस्जिद में मत्था टेकने नही गए। इससे जाहिर होता है की नेता धर्म का इस्तेमाल करके अपनी राजनीति करते है।
धर्म की राजनीति को छोड़ो, राजनीति के धर्म को समझो :-
भारत एक ऐसा देश है जिसने पूरी दुनिया को धर्म का पाठ पढ़ाया | धर्म और राजनीति में फर्क करे, नहीं तो देश के साथ साथ हम बर्बादी की तरफ़ जायेंगे। यही अटल सत्य है, जिस दिन हमारे भारत के राजनेता धर्म की राजनति छोड़ के राजनीती का धर्म समझेंगे उस दिन से हमारा देश तरक्की की ओर बढ़ने लगेगा |