अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के परिणामों को लेकर सबसे ज्यादा कोई देश खुश होगा, तो वो है पाकिस्तान (Pakistan). इमरान खान की दिली इच्छा यही थी कि जो बाइडेन (Joe Biden) राष्ट्रपति की कुर्सी पर बैठें, ताकि आतंकवाद से लड़ाई के नाम पर वह अमेरिका से ‘भीख’ प्राप्त कर सकें.
डेमोक्रेट उम्मीदवार बाइडेन का पाकिस्तान से पुराना रिश्ता है और वह पाकिस्तान के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के खिलाफ रहे हैं. अमेरिकी चुनाव में बाइडेन की जीत के बाद से ही पाकिस्तान खुश नज़र आ रहा है।
पाकिस्तान ने जो बाइडन को 2008 में देश के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘हिलाल-ए-पाकिस्तान’ से सम्मानित किया था. उस वक्त, बाइडन के साथ ही सीनेटर रिचर्ड लुगर (Richard Lugar) भी पाकिस्तान को 1.5 बिलियन डॉलर की गैर-सैन्य सहायता प्रदान करने के पक्ष में थे. लुगर के इस ‘समर्थन’ से प्रभावित होकर पाकिस्तान ने उन्हें भी ‘हिलाल-ए-पाकिस्तान’ दे डाला था.
पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने लगातार समर्थन के लिए बाइडन को व्यक्तिगत रूप से धन्यवाद दिया था और दोनों देशों के बीच मधुर संबंधों की उम्मीद जताई थी. जरदारी भले ही अब राष्ट्रपति की कुर्सी पर नहीं हैं, लेकिन उनकी उम्मीद पूरी होती जरूर नजर आ रही है.
जो बाइडन के इतर पाकिस्तान को लेकर डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) का नजरिया बेहद स्पष्टवादी रहा है. उन्होंने सार्वजनिक मंचों से कई बार पाकिस्तान को लताड़ा है, आतंकवाद के मुद्दे पर वह हमेशा पाकिस्तान के खिलाफ और भारत के साथ रहे हैं. एक पाकिस्तानी विश्लेषक के मुताबिक, यदि ट्रंप दोबारा चुने जाते हैं तो वे अधिक आत्मविश्वास प्राप्त कर सकते हैं. डोनाल्ड ट्रंप पहले ही मुस्लिम देशों से आने वाले नागरिकों के लिए कई कानून बना चुके हैं. इसलिए पाकिस्तान चाहता है कि ट्रंप अब व्हाइट हाउस छोड़ दें.
पाकिस्तान के लिए सबसे अच्छी बात यह है कि कश्मीर को लेकर बाइडन का रुख उसकी सोच से मेल खाता है. बाइडन कश्मीरी मुसलमानों की तुलना बांग्लादेश के रोहिंग्या और चीन के वीगर मुसलमानों से कर चुके हैं. भारत सरकार के धारा 370 हटाने के लगभग 10 महीने बाद जून 2020 को प्रकाशित एक बयान में उन्होंने नई दिल्ली से कश्मीरियों के अधिकारों को बहाल करने की मांग की थी.
पाकिस्तान की विदेश नीति पर पैनी नजर रखने वाले विशेषज्ञों के मुताबिक, जो बाइडन का अमेरिकी राष्ट्रपति बनना पाकिस्तान के लिए फायदेमंद रहेगा. बाइडन अपनी विदेश नीति में पाकिस्तान के साथ संबंधों को एक नया आयाम दे सकते हैं. उम्मीद है कि बाइडन के कार्यकाल के दौरान, पाकिस्तान और अमेरिका के संबंध आज की तुलना में काफी बेहतर होंगे.