अभिजीत बनर्जी को 2019 का इकोनॉमिक्स नोबेल पुरस्का से नवाज़ा गया है उनके साथ ही उनकी पत्नी एस्थर डुफ्लो और माइकल क्रेमर को बी नोबेल पुरुस्कार दिया गया है, अभिजीत, एस्थर और माइकल को वैश्विक गरीबी कम करने की दिशा में किए गए प्रयासों के लिए यह पुरस्कार दिया गया है. इससे पहले 1998 में अमर्त्य सेन को इकोनॉमिक्स का नोबेल दिया गया था।
अभिजीत बनर्जी ने स्कूलिंग कोलकाता के साउथ प्वाइंट स्कूल में की. फिर ग्रेजुएशन कोलकाता के प्रेसीडेंसी कॉलेज में की. इसके बाद 1983 में इकोनॉमिक्स से एमए जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सटी से किया. बाद में 1988 में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से पीएचडी की।
वे हार्वर्ड यूनिवर्सिटी और प्रिंसटन यूनिवर्सिटी में भी शिक्षक रह चुके हैं, अभिजीत अभी MIT में इकोनॉमिक्स के प्रोफेसर हैं। 2013 में संयुक्त राष्ट्र के सेक्रेटरी जनरल बान की मून ने अभिजीत बनर्जी को मिलेनियम डेवलपमेंट गोल बनाने वाली टीम में शामिल किया था. इन्होंने अपनी पत्नी एस्थर डुफ्लो, माइकल क्रेमर, जॉन ए. लिस्ट और सेंधिल मुलईनाथन के साथ मिलकर कई प्रोजेक्ट्स पर काम किया. इन्हें 2004 अमेरिकन एकेडमी ऑफ आर्ट्स एंड साइंसेज का फेलो बनाया गया ।
अभिजीत ने दुनिया को राह दिखाने के लिए इकोनॉमिक्स पर कई किताबें लिखी हैं. इनकी पहली किताब 2005 में वोलाटिलिटी एंड ग्रोथ लिखी थी. तब से लेकर आज तक अभिजीत बनर्जी ने कुल सात किताबें लिखी हैं. लेकिन इन्हें प्रसिद्धि मिली 2011 में आई इनकी किताब पूअर इकोनॉमिक्सः ए रेडिकल रीथीकिंग ऑफ द वे टू फाइट ग्लोबल पॉवर्टी ।
बनर्जी ने संयुक्त रूप से अब्दुल लतीफ जमील पॉवर्टी एक्शन लैब की स्थापना की थी. अभिजीत का जन्म 21 फरवरी 1961 में कोलकाता में हुआ था. इनकी माता निर्मला बनर्जी कोलकाता के सेंटर फॉर स्टडीज इन सोशल साइंसेज में प्रोफेसर थीं. पिता दीपक बनर्जी प्रेसीडेंसी कॉलेज में इकोनॉमिक्स की प्रोफेसर थे ।
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अभिजीत को नोबल मिलना भारत के लिए गर्वपूर्ण बात है, उन्होंने इकोनॉमिक्स में आपने बहुत योगदान दिया है और उनके पहलु दर्शाये है। उनके साथ साथ भारत के लाइट भी उलास का दिन है