तुलसीदास और वाल्मीकि में से किसकी राम व्ख्या सही है?

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राम के विशेष चित्रण का वर्णन वैसे तो काफी ग्रंथो में किया गया है लेकिन श्री राम के चरित्र और गुणों का वर्णन जिन दो मुख्य ग्रन्थों में किया गया है वो हैं-वाल्मीकि रचित ‘रामायण’ और तुलसीदास की ‘रामचरितमानस’ है. राम भगवान के विशेष चरित्र और गुणों का पता इन दो ग्रथों से पता चलता है. आपको बता दे की इन दोनों ग्रंथो में राम भगवान और अन्य पात्रों का वर्णन काफी अलग है। कौन सा ग्रन्थ सटीक है और सच है इस पर अभी तक कोई संतोषजनक उत्तर सामने नहीं आया है।

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तुलसीदास जी द्वारा लिखे “रामचरितमानस” की बात करें तो इसे अवधि भाषा में लिखा गया है। रामचरितमानस सोलहवीं शताब्दी में तुलसीदास द्वारा रची गयी रचना है। तुलसीदास जी ने इस ग्रंथ में राम के चरित्र का निर्मल और भव्य चित्रण किया है। विष्णु के अवतार श्री राम के जीवन चरित्र को सात कांडों के रूप में दर्शाया गया है। इस रचना में राम के चरित्र को एक महानायक और दिव्यशक्ति से पूर्ण राम भगवान के अवतार को दर्शाया है।

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अगर वाल्मीकि के रचित “रामायण” के बारे में बात करे तो इसमें प्रभु राम को एक साधारण मानव के रूप में चित्रित किया है जो बाल रूप से लेकर राजा बनकर न्यायप्रिय तरीके से राज करके अपनी प्रजा के ख़ुशी के लिए किसी भी निर्णय को लेने में हिचकते नहीं हैं। उनके द्वारा किये गए कामों में कहीं भी किसी दैवीय शक्ति का प्रयोग प्रतीत नहीं होता। दोनों ही ग्रंथो से प्रभु राम के भक्तों को उनके अद्भुत चित्रण का आभास उनके जैसे आदर्श बेटे , भाई और राजा होने कि प्रेरणा मिलती है।