किसी भी राज्य की बात करें तो उसमें एक मुख्यमंत्री था एक राज्यपाल का पद महत्वपूर्ण होता है. दोनों ही किसी राज्य के लिए महत्वपूर्ण काम करते हैं. मुख्यमंत्री के पद पर जनता द्वारा निर्वाचित व्यक्ति ही बैठ सकता है या फिर उसको मुख्यंमत्री बनने के बाद 6 महीने के अंदर चुनाव लड़ना होता है तथा राज्यपाल की बात करें तो राज्यपाल का पद राज्य में बहुत ही सम्माननीय पद होता है.
जिस तरह से देश में राष्ट्रपति का पद होता, ठीक वैसा ही पद राज्य में राज्यपाल का होता है. राज्यपाल का चुनाव राष्ट्रपति करता है तथा राज्यपाल का पद राष्ट्रपति की इच्छा पर निर्भर करता है. मुख्यतौर पर देखा जाए तो राज्य में कार्यकारी मुखिया तो मुख्यमंत्री ही होता है. उसके हाथ में राज्य सरकार की सारी शक्तियां होती है तथा वह उनका प्रयोग भी कर सकता है.
जहाँ तक राज्यपाल के पद की बात करें, तो राज्यपाल राज्य में केंद्र सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर नियुक्त किया जाता है. जो राज्य की गतिविधियों के जानकारी केंद्र तक पहुँचाने का काम करता है. जिससे कोई राज्य देश के संविधान के विरूद्ध कोई ऐसा कदम ना उठा सके जो देश की अखंड़ता के लिए हानिकारक हो या किसी भी समस्या से केंद्र को अवगत कराना.
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शक्तियों की बात करें, तो मुख्यमंत्री के पास वास्तविक शक्तियाँ होती हैं, इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि वह जनता का चुना हुआ प्रतिनिधि होता है. अगर राज्यपाल के पद की बात करें, तो राज्यपाल का पद बहुत ही ज्यादा सम्माननीय होता है. किसी भी पद को किसी एक पद से ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं बता सकते क्योंकि दोनो का अपना विशेष महत्व होता है. लेकिन फिर भी जिस तरह राष्ट्रपति को देश का प्रथम नागरिक माना जाता है. राज्यपाल को राज्य का प्रथम नागरिक माना जाता है. इस तरह से इनका पद ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाता है.