आख़िर भारत और चीन की सेना में सबसे अधिक ताकतवर कौन है ?

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आप सब को ये बात तो पता ही होगा की, भारत के सैनिकों को पृथ्वी पर लड़ी जाने वाली लडाइयों के लिए दुनिया की सर्वश्रेष्ठ सेनाओं में गिना जाता है. ये बाते व् कंही न कंही सही है की लड़ाई में क्रूरता और लड़ाई की कला आना बहुत ही जरूरी है. हमे ये भी पता है कि चीन के सैनिक मौका पड़ने पर कुंगफू का इस्तेमाल कर सकता है, और बिना बन्दूक के लड़ सकता है, और किसी भी वस्तु को हथियार की तरह प्रयोग कर सकता है. और कुछ भी खा के लड़ सकता है | अब सवाल यह भी उठता है कि क्या भारत के सैनिक इतने क्रूर हैं और इतने अधिक तैयार हैं कि वे कुछ भी खाकर युद्ध में डटे रहेंगे. इसका उत्तर होगा नही. लेकन फिर भी भारत से जीतना चीन के लिए आसान नही होगा जानिए क्यों ?

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चलिए हम तुलना करते है, भारत और चीन के विभिन्न क्षेत्रों में |

भारत और चीन की नौसेना की ताकत क्या हैं?

नौसेना की ताकत भारत चीन
(1). युद्धपोत (Aircraft) 1 1
(2). विमान वाहक युद्धपोत 18 48
(3). लड़ाकू युद्धपोत (Frigates) 15 51
(4). विध्वंसक युद्धपोत (Destroyer) 10 35
(5). छोटे जंगी जहाज़ (Corvettes) 20 35
(6). पनडुब्बियां (Submarines) 14 68
(7). गस्ती युद्धपोत (Patrol Craft) 135 220
(8). समुद्री बेड़े 295 714

 

भारत के सामने क्या चुनौतियाँ होंगी?

चीन के साथ की लड़ाई मैंदान की लड़ाई नहीं होगी, यह पहाड़ों की लड़ाई होगी, और पहाड़ों की लड़ाई में तोप और गोलों की जगह पैदल सेना का ज्यादा महत्त्व होता है. यहाँ पर चीन की सेना के पास एडवांटेज होगा क्योंकि वे हमसे ज्यादा ऊंचे स्थान पर बैठे होंगे.

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चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी में  इस वक्त 22 लाख कर्मचारी हैं, वहीं बात करें भारत की तो यहां सक्रिय कर्मचारी की संख्या 15 लाख है।

चीन के पास फिलहाल कुल 260 परमाणु हथियार है वहीं भारत के पास सिर्फ 110 परमाणु हथियार हैं।

चीन के पास 2100 से ज्यादा लड़ाकू विमान हैं तो वहीं भारत के पास 500 से ज्यादा फाइटर्स हैं। इसके साथ ही चीन के पास 7000 से ज्यादा टैंक हैं और  भारत के पास 3 हजार 300 से ज्यादा टैंक हैं।चीन के पास निश्चित तौर पर भारत से ज्यादा लड़ाकू विमान हैं लेकिन उसके पास भारतीय लड़ाकू विमान सुखोई 30 एमकेआई की कोई काट नहीं है। भारतीय सुखोई 30 एमकेआई चीन के सुखोई 30 एमकेएम से कहीं ज्यादा ताकतवर है। भारतीय सुखोई 30 एक साथ 20 निशाने साध सकता है जबकी चीनी सुखोई 30 एक बार में बस दो निशाने साध सकता है। भारतीय वायुसेना का आकलन

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अब अगर भारत की वायुसेना की ताकत की बात की जाये तो फिलहाल हमें चीन पर भी बढ़त हासिल है. चीन के विमान ऊंचाई वाले एयरबेस से उड़ान भरेंगे, वो कम ईंधन और हथियार लेकर ही उड़ सकेंगे. चीन के पास हवा में ईंधन भरने वाले विमान भी नहीं हैं, इसलिए चीन की वायुसेना के मुकाबले भारत की स्थिति बेहतर है.

भारत की वायुसेना चीन से बेहतर कैसे है?

मिराज-2000, मिग-29, C-17 ग्लोबमास्टर मालवाहक विमान और लॉकहीड मार्टिन कंपनी का बनाया C-130J सुपर हरक्यूलिस मालवाहक विमानों के अलावा हमारे पास सुखोई-30 जैसे लड़ाकू विमान हैं, जो तीन हजार किलोमीटर दूर तक मार कर सकते हैं और लगातार पौने चार घंटे तक हवा में रह सकते हैं.

भारत के पास ब्रह्मोस जैसी जबरदस्त मिसाइल भी है. इसकी रफ्तार 952 मीटर प्रति सेकेंड की है. इसके आगे दुश्मन के रडार भी फेल हो जाते हैं और अगर 30 किलोमीटर के दायरे में दुश्मन का रडार इनका पता भी लगा लेता है तो उससे कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि उन्हें रोकने के लिए 30 सेकेंड से कम का ही समय होता है.

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भारत और चीन की वायुसेना की ताकत इस प्रकार है:

भारत चीन
1. भारतीय वायुसेना में करीब 1 लाख 40 हजार सैनिक हैं. पीपल्स लिबरेशन आर्मी एयरफोर्स दुनिया की दूसरी बड़ी वायुसेना है
2. भारत के पास 1700 एयरक्राफ्ट हैं. चीनी वायुसेना “PLAAF” में करीब 3 लाख 30 हजार सैनिक हैं.
3.  भारतीय वायुसेना में 900 कॉम्बैट एयरक्राफ्ट हैं. चीन के पास 2800 मेन स्ट्रीम एयरक्राफ्ट हैं.
4. भारत के पास 10 की संख्या में C-17 ग्लोबमास्टर एयरक्राफ्ट हैं जो कि एक बार में 4200-9000 किमी की दूरी तक 40-70 टन के पेलोड ले जाने में सक्षम है. 1900 कॉम्बैट एयरक्राफ्ट हैं.
5. सबसे अहम् भारत की फ़्रांस के साथ 126 राफेल फाइटर जेट की डील फाइनल हो चुकी है. चीनी वायुसेना ने 192 आधुनिक लांचर बनाये हैं. चीन के पास S-300 जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल है.

इस प्रकार ऊपर दिए गए सभी तथ्यों का आकलन करने के बाद यह कहा जा सकता है की यदि कुछ मोर्चों पर चीन का पलड़ा भारी है तो कुछ मोर्चों पर भारत का भी है।

हमे पता है की ये दो देश अभी पूरे विश्व के 2 चमकते हुए सितारे हैं, और इन दोनों की अर्थव्यवस्था पर ही विश्व की अर्थव्यवस्था टिकी हुई है | इसलिए विश्व के अन्य विकसित देश इन दोनों देशों के बीच युद्ध की किसी भी संभावना को होने नहीं देगा | हमें उम्मीद है कि इन दोनों देशों के लीडर आपसी मुद्दों को लड़ाई, बन्दुक की गोली  से नही बल्कि कलम की नोक से सुलझा लेंगे.