भारत में भुतहा गांव के तोर पर कौन सा गांव सुप्रसिद्ध है?

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भारत का इतिहास काफी पुराण और विख्यात है। भारत में अनेक ऐसे जगह है जहां जाकर आंनद मिलता है, भारत के स्विटज़रलैंड के तोर पर विश्वभर में विख्यात शिमला को भारत की धरोहर माना जाता है। वही बनारस जैसा शहर भारत की संस्कृति को दर्शाता है लेकिन क्या आप जानते है भारत में एक ऐसी रहस्यमयी जगह है। जो धनुषकोटिके नाम से जाना जाता है। यह गांव काफी ही भयानक है। यह गांव श्रीलंका की सीमा पर भारत का आखिरी गांव है। ऐसा माना जाता है कि इस गांव में भूतों का वास है। इस गांव को देश का का सबसे भयानक गाँव माना जाता हैं। यहां अंधेरा होने के बाद घूमने पर पाबंदी है। हिदूं धर्मग्रथों के अनुसार रावण के भाई विभीषण के अनुरोध पर श्रीराम ने अपने धनुष के एक सिरे से सेतु को तोड़ दिया और इस प्रकार इसका नाम धनुषकोटि पड़ा।

18 09 2015 dhnuskoti -


आपको बताना चाहेंगे की 1964 में इस स्थान ने भीषण चक्रवात का सामना किया था, जिसके कारण वश यह गांव पूरी तरह तबाह और बर्बाद हो गया था। इससे पहले यहां सारी सुविधाएं मौजूद थी लेकिन चक्रवात ने इस जगह की खूबसूरती को हमेशा के लिए खंडहर में तब्दील कर दिया।

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धनुषकोटि गांव श्रीलंका से महज 18 मील की दूरी पर है। यह एक वीरान है तमिलनाडु के रामेश्वरम जिले में स्थित इस गांव में अंधेरे में जाना मना है। यह भारत और श्रीलंका के बीच एकमात्र स्थलीय सीमा है जो बालू के टीले पर सिर्फ 50 गज की लंबाई में दुनिया के सबसे छोटे जगहों में से एक है।

यह जगह डरावनी होने के बाद भी लोग इस स्थल को देखने आते है।बता दें कि ये जगह भुतहा जगहों की सूची में विश्वभर में विख्यात है। इसलिए पर्यटक दिन के उजाले में घूमने जाते हैं और शाम तक रामेश्वरम लौट आते हैं, क्योंकि पूरा रास्ता सुनसान-डरावना व रहस्य से भरा हुआ है।
इस गांव के भयानक होने का सबसे बड़ा कारण यह है की यहां प्रेत आत्माओं के रहने की भी संभावना जताई जाती है. माना जाता है कि चक्रवात की वजह से यहां बेक़सूर लोग चक्रवात की चपेट में आगये और मारे गए जिनका श्राद्ध कर्म भी नहीं हुआ. ऐसे में उन मरे हुए लोगों की आत्मा इस जगह वास करती है।