सिक्किम का कौन सा फूल है जो रात को खिलता है और जिसका धार्मिक महत्व है ?

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ब्रह्मकमल
ब्रह्मकमल

सिक्किम का कौन सा फूल है जो रात को खिलता है और जिसका धार्मिक महत्व है ?

आमतौर पर आपने देखा होगा कि कोई भी फूल दिन में सूर्य के प्रकाश के साथ ही खिलता है तथा दिन में अपनी खुशबु वातावरण में बिखेरता है. लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि भारत में ही ऐसा भी फूल होता जो रात के समय खिलता है तथा दिन के समय मुरझा जाता है. यह फूल हिमालय क्षेत्र में पाया जाता है तथा सिक्किम में इस फूल को देखा जा सकता है.

अगर इस फूल के नाम की बात करें, तो इस फूल को ब्रह्मकमल के नाम से जाना जाता है. मुख्य तौर पर फूल भारत के हिमाचल, उत्तराखंड, सिक्किम, अरूणाचल प्रदेश, कश्मीर में पाया जाता है. इस फूल की सबसे बड़ी खूबी यहीं है कि यह फूल दिन के समय मुरझा जाता है तथा रात के समय खिलता है. इतना ही नहीं इस फूल में काफी औषधिय गुण भी पाए जाते हैं. इस फूल से कई बीमारियों का ईलाज भी किया जा सकता है. इसके साथ ही इस फूल की और भी अनेंक विशेषताएं हैं.

ब्रह्मकमल

औषधिय फूल होने के साथ साथ इस फूल का धार्मिक महत्व भी बहुत अधिक है. इसके पीछे अनेंक धार्मिक मान्यताएं हैं. ब्रह्मकमल का अर्थ जाने तो इसका अर्थ होता है ब्रह्मा का कमल. ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव का बहुत प्रिय फूल ब्रह्मकमल है. बद्रीनाथ और केदारनाथ के मंदिरों में ब्रह्मकमल ही प्रतिमाओं पर चढाएं जाते हैं.

ब्रह्मकमल

ऐसी किवदंति या मान्यता है कि जब भगवान विष्णु हिमालय क्षेत्र में आए तो उन्होंने भोलेनाथ को 1000 ब्रह्म कमल चढ़ाए,  लेकिन उनमें से एक पुष्प कम हो गया था. इसके बाद विष्णु भगवान ने पुष्प के रुप में अपनी एक आंख भोलेनाथ या शिवजी भगवान  को समर्पित कर दी थी. इसके बाद से ही भगवान भोलेनाथ का एक नाम कमलेश्वर पड़ा तथा इस घटना के बाद भगवान विष्णु का एक नाम कमल नयन पड़ा.

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इस फूल को भगवान ब्रह्मा का प्रतिरूप भी माना जाता है. इस पुष्प को तोडने के लिए भी अनेंक सख्त नियम बनाए गए हैं. जिनका पालन करना बहुत जरूरी है. यह वर्ष में एक बार ही खिलते हैं तथा इनके खिलने का समय अगस्त और सितंबर होता है.