Wheat Price: पाकिस्तान की तरह भारत में बेकाबू नहीं होगी आटे की कीमत, सरकार उठा रही यह कदम
खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने 19 जनवरी को कहा था कि गेहूं और आटे की खुदरा कीमतें बढ़ गई हैं और सरकार जल्द ही बढ़ती दरों को नियंत्रित करने के लिए कदम उठाएगी। ओएमएसएस नीति के तहत सरकार समय-समय पर थोक उपभोक्ताओं और निजी व्यापारियों को खुले बाजार में पूर्व-निर्धारित कीमतों पर खाद्यान्न, विशेष रूप से गेहूं और चावल बेचने के लिए सरकारी उपक्रम भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) को अनुमति देती है। इसका उद्देश्य जब खास अनाज का मौसम न हो, उस दौरान इसकी आपूर्ति बढ़ाना और सामान्य खुले बाजार की कीमतों पर लगाम लगाना है। यहां तक कि आटा मिलों ने सरकार से एफसीआई से गेहूं के स्टॉक से अनाज बाजार में लाने की मांग की है।
एक्सपोर्ट पर बैन
चोपड़ा ने कहा था, ‘हम देख रहे हैं कि गेहूं और आटे की कीमतों में तेजी है। हम इस मुद्दे से अवगत हैं। सरकार द्वारा विभिन्न विकल्पों की तलाश की जा रही है और बहुत जल्द हम अपनी प्रतिक्रिया देंगे।’ सचिव ने कहा था कि एफसीआई के गोदामों में गेहूं और चावल का पर्याप्त स्टॉक है। घरेलू उत्पादन में मामूली गिरावट और केंद्रीय पूल के लिए एफसीआई की खरीद में तेज गिरावट के बाद कीमतों को नियंत्रित करने के लिए केंद्र ने मई में गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था।
पिछले साल के लगभग 4.3 करोड़ टन की खरीद के मुकाबले इस साल खरीद 1.9 करोड़ टन रह गई है। चालू रबी (सर्दियों में बोई जाने वाली) ऋतु में गेहूं की फसल का रकबा थोड़ा अधिक है। नई गेहूं फसल की खरीद अप्रैल, 2023 से शुरू होगी। इस महीने इसकी कीमत में सात फीसदी तेजी आ चुकी है। पिछले साल देश में गेहूं की कीमत में 37 फीसदी तेजी आई थी। दिल्ली में सोमवार को गेहूं की कीमत में करीब दो फीसदी तेजी आई और यह रेकॉर्ड 31,508 रुपये प्रति टन पहुंच गई। जानकारों के मुताबिक अगर सरकार ने अगले 15 दिन में गेहूं का स्टॉक जारी नहीं किया तो इसकी कीमत में पांच से छह फीसदी तेजी आ सकती है।