जानिए क्या है किशोरावस्था का अर्थ, परिभाषा, समस्याएं एवं बेहतर बनाने के टिप्स

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किशोरावस्था का अर्थ, परिभाषा :-

किशोरावस्था आम शब्दो में कहे तो ये छोटे से बड़े बनने की प्रक्रिया की समयावधि से गुजरते है। किशोरावस्था बच्चो के जीवन का बसंतकाल माना जाता है | यह आम तौर पर 12 से 19 वर्ष का माना जाता है, कभी-कभी किसी में ये 22 वर्ष तक भी होता है | किशोरावस्था का अर्थ है परिपक्वता की ओर बढ़ना इस समय बच्चे न छोटे बच्चो की श्रेणी में आतें है और न ही बड़े।

किशोरावस्था की समस्यायें :-

बच्चे अपने अंदर हो रही इस शारीरिक परिवर्तन एकदम से स्वीकार नहीं कर सकते है, जिस से उनको ये सामान्य समस्ये होती है |

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हम किशोरों की समस्या के बारे में जाने उससे पहले आप को बताना चाहते है की किस प्रकार उसके शारीरिक परिवर्तन होते है |

  1. किशोरो की वाणी में कर्कशता एवं कोमलता तथा मिठास आ जाती है।
  2. किशोरियों में मांसिक स्त्राव एवं किशोरो में स्वप्न दोष होने लगते है।
  3. किशोर के मुख में मूँछों व दाढ़ी के प्रारम्भिक चिन्ह स्पष्ट होने लगते है।
  4. ज्ञानेन्द्रियों में पूरी तरह विकास हो जाता हैं।
  5. किशोरी एवं किशोर की हड्डियां मजबूत होने लगती है।

चलिए अब जानते है उनके सामान्य समस्या :-

  1. सामाजिक समस्याएं :- किशोर एवं किशोरी विपरीत लिंगी लोगों के साथ रहने में हिचकते हैं कि कोर्इ उनका मजाक न उड़ाये, इस कारण से वो पारिवारिक व सामाजिक उत्सवों में भाग लेना पसंद नहीं करते।
  2. शारीरिक समस्याएं :- किशोरावस्था में तीव्र गति से शारीरिक परिवर्तन होता है, शारीरिक परिवर्तनों से कर्इ बार वे शर्म महसूस करती हैं तथा उन्हें छिपाने का अधिकाधिक प्रयास करती हैं। किशोरियॉं अपने शरीर के साथ सामन्जस्य करने में असमर्थ रहती है, वे अपनी समस्या बताने में हिचकिचाती है, अतएव बच्चों को उपयुक्त ज्ञान प्रदान करना चाहिए तथा उनमें होने वाले शारीरिक परिवर्तनों को स्वाभाविक बताकर उन्हें चिंतामुक्त करना चाहिए।
  3. व्यक्तिगत समस्याएं :- किशोरावस्था में तीव्र गति से शारीरिक परिवर्तन होने के कारण, किशोर किशोरियों में अपने रंग, रूप, मोटापा, कद, नाक, कपड़े इत्यादि को लेकर निम्न प्रकार के नकारात्मक भाव पाये जाते हैं जिससे वे चितिंत हो जाते हैं।

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टिप्स किशोरावस्था को बेहतर बनाने के:-

अगर आप चाहते है की आप अपने  किशोर एवं किशोरी के किशोरावस्था बेहतर बनाना, तो आप सिर्फ इन बातों का ख्याल रखें तो यह अवस्था आपके बच्चे के लिए सुखद अहसास बन सकती है।

1- उनके अच्छे दोस्त बनें :- किशोरावस्था एक ऐसी पहलू होती हैं। इस समय उनकी प्रतिभा या बुद्धि हारमोनों द्वारा संचालित होने लगती है। अचानक उनको पूरी दुनिया काफ़ी अलग सी नजर आने लगती है। अगर आप एक किशोर की नजर से जिदंगी को देखें तो उनके भीतर जिंदगी रोज बदल रही है। अगर आप उनके अच्छे दोस्त बनते हैं और उनको कोई समस्या आती है तो वे इसके बारे में आपसे बात करेंगे। इस लिए इस समय उनका अच्छा दोस्त बनने की कोशिश करे |

2- उन्हें जिम्मेदार बनाएं :- यह कभी मत सोचिए कि बच्चों को रोकना या काबू करना, उनके जीवन को नियंत्रित करने का उचित तरीका है। जिम्मेदारी उन्हें रास्ते पर रखेगी। तो उसे हर तरीके की जिम्मेदरी दे | जिस से वो किसी भी परिस्तिथि में नहीं घबराएं |

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3- उन पर अधिकार मत जताइए, उन्हें शामिल कीजिए :- आपको सब से पहले ये सोचना छोड़ देना चाहिए की बच्चे पे आप का अधिकार हैं | उन पे अपना अधिकार न दिखाए, अगर आप ऐसा सोचते हैं तो किशोरावस्था में आने के बाद वे आपको अपने तरीके से बताएंगे कि उनके जीवन पर आपका हक नहीं है। इसकी अहमियत समझिए कि उन्हें अपने जीवन जीने के लिए आपके साथ आने का फैसला खुद करने दे तथा उन्हें अपने जीवन में शामिल होने दे।