भारत एक बहुत बड़ा देश है. जहां विभिन्न धर्मों और जातियों के लोग रहते हैं. इन सबसे ही समाज का निर्माण होता है. सभी धर्म और जातियों का अपना अपना पुराना इतिहास रहा है. जांगिड़ ब्राह्मण समाज का भी अपना एक पुराना इतिहास रहा है. जांगिड़ समुदाय भारत में ब्राह्मण जाति से संबंधित है. इस समुदाय के लोग मुख्य रूप से हरियाणा, राजस्थान और पंजाब राज्यों में रहते हैं. अगर जांगिड़ ब्राह्मण समुदाय के व्यवसाय की बात करें, तो इस समुदाय के लोग बढ़ईगीरी और फर्नीचर से संबंधित व्यवसाय से जुड़े हुए होते हैं. इसके अलावा जांगिड़ ब्राह्मण समुदाय पेंटिंग और सजावटी मूर्तियों को बनाने का काम भी करते हैं.
ऐसा माना जाता है कि जांगिड़ ब्राह्मण समाज अंगिराऋषि की संतान है. जांगिड़ जाति के नामकरण की बात करें, तो इसके संबंध में मान्यता है कि अगिराऋषि आपने आश्रम में रहते थे तथा उनका आश्रम जांगल देश में था, जिसके कारण अंगिराऋषि की संतान स्थान के नाम के आधार पर जांगिड कहलाए. इसके अलावा ऐसी भी मान्यता है कि आदि शिल्पाचार्य भुवन पुत्र विश्वकर्मा देवों के शिल्पी होने के कारण जांगिड़ कहलाये. विश्वकर्मा जी अंगिराऋषि की संतान होने के कारण जांगिड़ कहलाए तथा जांगिड ब्राह्मण वंश परम्परा के पूज्यनीय एवं हमारे प्रेरक गुरु और भगवान माने गए.
कुछ लोगों द्वारा जांगिड़ समाज के ब्राह्मण होने पर सवाल भी उठाए जाते हैं, लेकिन ऐसे कई प्रमाण है जिनसे पता चलता है कि जांगिड़ समाज ब्राह्मण समुदाय से संबंध रखता है. इसको अंगिराजऋषि की संतान माना जाता है.
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आमतौर पर गांव में इनके व्यवसाय को खाती के नाम से भी जाना जाता है. कुछ लोगों का मानना है कि खाती एक जाति होती है. लकड़ी के व्यवसाय से जुड़ा होने के कारण जांगिड़ समुदाय को खाती भी कहा जाता है. लेकिन खाती शब्द जाति से संबंधित ना व्यवसाय से संबंधित माना जाता है.
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