सवाल 58- भारत में धर्म परिवर्तन से संबंधित क्या कानून हैं?

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सवाल 58- भारत में धर्म परिवर्तन से संबंधित क्या कानून हैं?

धर्म परिवर्तन हमेशा से ही दुनियाभर में एक विवादित मुद्दा बना रहा है. जब भी कोई इंसान धर्म परिवर्तन करता है. तो उस पर बहुत से सवाल उठाये जाते है. बता दें कि कानून कहता है कि देश के हर नागरिक को अपनी मर्जी से धर्म को बदलने की आजादी है. इसका मतलब है कि वह जिस धर्म को भी अपनाना चाहता है, वह उसे अपना सकता है. लेकिन यह भी जानना बहुत जरूरी है कि क्या धर्म परिवर्तन को लेकर देश में कोई कानून है और लोगों के जीवन में इसका कितना महत्व है.

भारत धर्मनिरपेक्ष देश है और यहां पर हर किसी नागरिक को अपने धार्मिक क्रियाकलापों की आजादी और अधिकार है. भारत को हमेशा से ही सांस्कृतिक भाषा व धार्मिक विविधता के लिए जाना जाता है.

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धर्म से संबंधित
अनुच्छेद 25 से 28 धर्म की आजादी के अधिकार प्रदान करता है. ये मुख्य रूप से आयरिश संविधान पर आधारित है.
अनुच्छेद 25 में कहा है कि “सार्वजनिक आदेश, नैतिकता और स्वास्थ्य और इस भाग के अन्य प्रावधान भी इसमें शामिल है. इस अनुच्छेद में सभी व्यक्ति समान रूप से स्वतंत्रता और धर्म का प्रचार करने के लिए समान स्वतंत्रता दी गई है.
वहीं अनुच्छेद 26 ये भी कहता है धार्मिक आजादी और धार्मिक संप्रदायों के क्रियाकलाप में शांति और नैतिकता की भी शर्तें हैं. धर्म परिवर्त इस तरह भी न हो की हालात बिगड़ जाए या कहीं तनाव की स्थिति आ जाए.
अनुच्छेद 27 यह अनिवार्य करता है कि राज्य द्वारा किसी भी कर का भुगतान करने के लिए या फिर किसी भी चीज को लेकर किसी भी व्यक्ति को मजबूर नहीं किया जाएगा जिससे किसी विशेष धर्म या धार्मिक संप्रदायों का प्रचार होता हो.
अनुच्छेद 28 में कहा गया है कि सरकारी शिक्षा के संस्थानों में कोई धार्मिक निर्देश नहीं दिया जाएगा.

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धर्म परिवर्तन पर कानून
भारतिय संविधान सभी को धर्म का परिवर्तन करने की आजादी देता है लेकिन वही धर्म परिवर्तन समाज और राजनीति में सबसे गर्म मुद्दा है. धर्म परिवर्तन करने में अक्सर लोगों को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ जाता है. चलिए जानते है कि कानून इस मुद्दे पर क्या कहता है.
कानून कहता है कि कोई भी इंसान अपनी मर्जी से अपने धर्म को बदल सकता है और यह उसका अपना निजी अधिकार है. कोई भी किसी को डरा-धमका कर या फिर लालच देकर धर्म परिवर्तन नहीं करा सकते है. अगर कोई ऐसा करता है तो उस पर देश के बड़े पैमाने पर आरोप भी लगाया जा सकता है. बहुत से लोग शादी के लिए धर्म बदलते हैं. वहीं कुछ लोग अपनी सुविधा या वैचारिकता की वजह से भी धर्म परिवर्तन करते है.

‘धर्म परिवर्तन’ के लिए मजबूर करवाने वालों पर कानून

केंद्रीय स्तर पर भारत में कोई कानून नहीं है जो कि जबरदस्ती धर्म को परिवर्तन कराने में मजबूर करता है. 1954 में भारतीय धर्म परिवर्तन को पारित करने के लिए एक प्रयास किया गया था. लेकिन भारी विपक्ष की वजह से संसद इसे लागू करने में विफल रही. जिसके बाद राज्य स्तर पर अलग-अलग प्रयास किए गए.
1968 में उड़ीसा और मध्य प्रदेश ने जबरदस्ती ‘धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए कुछ अधिनियमों को पारित किया. उड़ीसा के ‘धर्म परिवर्तन विरोधी कानून में अधिकतम दो साल की कारावास और जुर्माना लगाया गया.
वहीं तमिलनाडु और गुजरात जैसे विभिन्न अन्य राज्यों के साथ इसी तरह के कानून पारित हुए, जिसने भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 295 ए और 298 के तहत अपराध के रूप में मजबूर रूपांतरण किए.

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धर्म परिवर्तन विरोधी कानून किन राज्यों में लागू
बता दें कि ऐसे सात राज्य है जहां पर धर्म परिवर्तन विरोधी कानून पारित करने में कामयाब रहे है. मध्य प्रदेश, ओडिशा, गुजरात, छत्तीसगढ़ और हिमाचल प्रदेश, ऐसे राज्य है, जहां पर धर्म परिवर्तन के लिए कानून लागू नही किया गया है. वहीं झारखंड ने एक धर्म परिवर्तन विरोधी बिल का प्रस्ताव दिया है जिसका उद्देश्य जबरदस्ती धर्म को परिवर्तन करना है.

आशा करते है कि आप सभी को इस प्रश्न का उत्तर मिल गया होगा. आप लोग ऐसे ही प्रश्न पूछते रहिए हम उन प्रश्नों के उत्तर आपको खोजकर देंगे. आप कमेंट बॉक्स में अपनी राय और कमेंट करके अपने प्रश्नों को पूछ सकते है. इस सवाल को पूछने के लिए आपका धन्यवाद