हम बाल ठाकरे के शिवसैनिक, हिंदुत्व और विकास हमारा एजेंडा… सदन में नए सीएम एकनाथ शिंदे का ऐलान

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हम बाल ठाकरे के शिवसैनिक, हिंदुत्व और विकास हमारा एजेंडा… सदन में नए सीएम एकनाथ शिंदे का ऐलान

हम बाल ठाकरे के शिवसैनिक, हिंदुत्व और विकास हमारा एजेंडा… सदन में नए सीएम एकनाथ शिंदे का ऐलान

मुंबईः महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने विधानसभा के दो दिवसीय विशेष सत्र के अंतिम दिन सोमवार को सदन में महत्वपूर्ण शक्ति परीक्षण में जीत हासिल कर ली। इसके साथ ही उन्होंने शिवसेना में विद्रोह के पश्चात भाजपा के समर्थन से सत्ता संभालने के पांच दिन बाद सत्ता पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली। विश्वास मत जीतने के बाद विधानसभा में अपने पहले भाषण में भावुक शिंदे ने शिवसेना का नाम लिए बिना कहा कि उन्हें लंबे समय तक दबाया गया था और उनके नेतृत्व में हुआ विद्रोह उनके साथ किए गए अनुचित व्यवहार का नतीजा था।

शिंदे ने कहा कि उद्धव ठाकरे को इस पर विचार करना चाहिए कि आखिर बगावत की यह घटना क्यों हुई। उन्हें इसका कारण पता लगाना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि पार्टी को बचाने के लिए उन्हें ‘शहीद’ होना मंजूर था। उद्धव ठाकरे पर आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि जब वह गुवाहाटी में थे, तब ठाकरे के समर्थकों ने उनके घर पर हमला किया। उनकी तुलना जानवरों से की और उन्हें गालियां दीं।

शिवसेना के कांग्रेस और एनसीपी के साथ गठबंधन की खामियों को उजागर करते हुए शिंदे ने कहा कि पिछले ढाई सालों में हमने कई मुश्किलें झेलीं। शिवसैनिक होते हुए भी हम दाऊद इब्राहिम के खिलाफ ऐक्शन नहीं ले सकते थे। हम सावरकर की सराहना नहीं कर सकते थे क्यों हम कांग्रेस के साथ थे। उन्होंने कहा कि शिवसेना के उद्धव गुट ने हमें गद्दार कहा है लेकिन हम गद्दार नहीं हैं। हम शिवसैनिक हैं और हमेशा शिवसैनिक रहेंगे। उन्होंने कहा कि हम बालासाहेब और आनंद दिघे के शिवसैनिक हैं। विकास और हिंदुत्व हमारा एजेंडा है।

शिंदे ने प्रदेश की विधानसभा में फ्लोर टेस्ट में जीत के बाद ये बातें कहीं। 288 सदस्यीय विधानसभा में 164 विधायकों ने शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा लाए गए विश्वास प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया, जबकि 99 विधायकों ने इसके खिलाफ मतदान किया। तीन विधायक मतदान से दूर रहे, जबकि कांग्रेस के अशोक चव्हाण और विजय वडेट्टीवार समेत 20 विधायक विश्वास मत के दौरान अनुपस्थित रहे। अनुपस्थित रहने वालों में ज्यादातर कांग्रेस और राकांपा के विधायक थे।

कार्यवाही की अध्यक्षता करने वाले विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने अपना मत नहीं दिया। उन्होंने विश्वास मत को बहुमत मिलने की घोषणा की। विधानसभा अध्यक्ष पद पर रविवार को नार्वेकर के चुने जाने के बाद एकनाथ शिंदे-देवेंद्र फडणवीस सरकार की यह दूसरी बड़ी जीत है। दक्षिण मुंबई के कोलाबा से भाजपा विधायक नार्वेकर को अध्यक्ष पद के चुनाव में 164 वोट मिले थे, जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना के राजन साल्वी को 107 वोट मिले थे।

हाल में शिवसेना के एक विधायक के निधन के बाद विधानसभा में विधायकों की मौजूदा संख्या घटकर 287 रह गई है, इसलिए बहुमत के लिए 144 मतों की आवश्यकता थी। एकनाथ शिंदे पिछले महीने शिवसेना के खिलाफ बागी हो गए थे। अधिकतर विधायकों ने उनका समर्थन किया, जिसके कारण उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास आघाड़ी सरकार गिर गई। ठाकरे के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के एक दिन बाद शिंदे ने 30 जून को मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की थी। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता देवेंद्र फडणवीस ने राज्य के उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी।

शिंदे ने विधानसभा में अपने नेतृत्व वाली नवगठित सरकार के विश्वास मत हासिल करने के बाद अपने भाषण में कहा, “आज की घटनाएं सिर्फ एक दिन में नहीं हुईं।” उन्होंने कहा, “जब मैं यहां चुनाव के लिए आया था, तो इस सदन में ऐसे लोग हैं, जिन्होंने देखा कि मेरे साथ कैसा व्यवहार किया गया। मुझे लंबे समय तक दबाया गया। सुनील प्रभु (उद्धव ठाकरे गुट से शिवसेना विधायक) भी गवाह हैं।”

पूर्व उपमुख्यमंत्री अजित पवार का हवाला देते हुए, शिंदे ने कहा कि राकांपा के वरिष्ठ नेता ने उन्हें बताया था कि नवंबर 2019 में तीन दलों वाली महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार के गठन के बाद शिवसेना में एक “दुर्घटना” हुई है। बिना नाम लिए, शिंदे ने उद्धव ठाकरे के उस बयान का भी जिक्र किया जिसमें कहा गया था कि राकांपा प्रमुख शरद पवार ने उन्हें महा विकास आघाड़ी के गठन से पहले सूचित किया था कि कांग्रेस और राकांपा के नेता शिंदे के तहत काम करने के इच्छुक नहीं हैं।

शिंदे ने स्पष्ट रूप से उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्री बनने का जिक्र करते हुए कहा, “लेकिन एमवीए सरकार बनने के बाद, अजित पवार ने मुझसे कहा कि आपकी ही पार्टी (शिवसेना) में दुर्घटना हुई है। हम आपके मुख्यमंत्री बनने के खिलाफ कभी नहीं थे।” उन्होंने यह भी दावा किया कि जब भाजपा-शिवसेना गठबंधन सत्ता में था, तो उन्हें पहले उपमुख्यमंत्री पद का वादा किया गया था। सदन में शक्ति परीक्षण के दौरान विधायक अबू आजमी और रईस शेख (दोनों समाजवादी पार्टी के नेता) तथा शाह फारुख अनवर (ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन) ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया।

इस दौरान कांग्रेस के 11 विधायक- अशोक चव्हाण, विजय वडेट्टीवार, धीरज देशमुख, प्रणीति शिंदे, जितेश अंतापुरकर, जीशान सिद्दीकी, राजू आवले, मोहन हम्बर्दे, कुणाल पाटिल, माधवराव जवलगांवकर और शिरीष चौधरी अनुपस्थित रहे। चव्हाण और वडेट्टीवार देर से आए और मतदान के समय तक सदन में प्रवेश नहीं कर पाए। इनके अलावा राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अनिल देशमुख, नवाब मलिक, दत्तात्रेय भरणे, अन्ना बंसोडे, बाबनदादा शिंदे और संग्राम जगताप मतदान के दौरान अनुपस्थित रहे। धनशोधन के अलग-अलग मामलों में गिरफ्तारी के बाद से देशमुख और मलिक फिलहाल जेल में हैं।

भाजपा विधायक मुक्ता तिलक और लक्ष्मण जगताप गंभीर रूप से बीमार होने के कारण सदन में नहीं आए, जबकि भाजपा के राहुल नार्वेकर विधानसभा अध्यक्ष होने के कारण मतदान नहीं कर सके। एआईएमआईएम के नेता एवं विधायक मुफ्ती मोहम्मद इस्माइल भी सत्र में शामिल नहीं हुए। शक्ति परीक्षण से पहले उद्धव ठाकरे खेमे के शिवसेना विधायक संतोष बांगर शिंदे के गुट में शामिल हो गए, जिससे मुख्यमंत्री के खेमे में शामिल विधायकों की संख्या 40 हो गई।

फडणवीस ने शक्ति परीक्षण के बाद सदन में कहा कि विधानसभा में विश्वास मत पर मतदान के दौरान विपक्षी दलों के विधायक ‘‘ईडी, ईडी’’ कहकर चिल्ला रहे थे। उन्होंने कहा, “यह सच है कि नयी सरकार का गठन ईडी ने किया है, जिसका मतलब एकनाथ और देवेंद्र है।” फडणवीस ने पूर्व मुख्यमंत्री ठाकरे का नाम लिए बिना दावा किया कि महाराष्ट्र ने पिछले कुछ वर्षों में ‘‘नेतृत्व की अनुपलब्धता’’ देखी है। उन्होंने कहा, “लेकिन, सदन में दो नेता (वह स्वयं और शिंदे) हैं, जो लोगों के लिए हमेशा उपलब्ध रहेंगे।”

इस बीच, राकांपा विधायक अजित पवार को सोमवार को विधानसभा में विपक्ष का नया नेता नामित किया गया। उन्होंने भाजपा नेता फडणवीस का स्थान लिया है। शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार के शक्ति परीक्षण से पहले पूर्व मुख्यमंत्री ठाकरे को झटका देते हुए, विधानसभा अध्यक्ष नार्वेकर ने शिंदे को शिवसेना विधायक दल के नेता के रूप में बहाल कर दिया और अजय चौधरी को पद से हटा दिया।

नार्वेकर ने शिवसेना के मुख्य सचेतक के रूप में शिंदे खेमे से भरत गोगावाले की नियुक्ति को भी मान्यता दी और सुनील प्रभु को हटा दिया, जो ठाकरे गुट से हैं। शिवसेना सांसद संजय राउत ने शिंदे के नेतृत्व वाले गुट की वैधता पर सवाल उठाया और कहा कि अलग हुआ समूह असली शिवसेना होने का दावा नहीं कर सकता। दिल्ली में पत्रकारों से राउत ने कहा कि इन विधायकों (शिंदे समूह के) को खुद से कुछ सवाल पूछने चाहिए। उन्होंने चुनाव जीतने के लिए पार्टी के चिह्न और इसके साथ आने वाले सभी लाभों का इस्तेमाल किया तथा फिर उसी पार्टी को तोड़ दिया।

राज्यसभा सदस्य ने कहा, “हम निश्चित रूप से इसे अदालत में लड़ेंगे। शिंदे गुट ने शिवसेना छोड़ दी, फिर वे कैसे दावा कर सकते हैं कि उनका समूह मूल पार्टी है, न कि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाला समूह। ठाकरे नाम शिवसेना का पर्याय है।” महाराष्ट्र विधानसभा में शिवसेना के पास 55, राकांपा के पास 53, कांग्रेस के पास 44, भाजपा के पास 106, बहुजन विकास आघाड़ी के पास तीन, समाजवादी पार्टी के पास दो, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के पास दो, प्रहार जनशक्ति पार्टी के पास दो, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के पास एक, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के पास एक, शेतकरी कामगार पार्टी के पास एक, स्वाभिमानी पक्ष के पास एक, राष्ट्रीय समाज पक्ष के पास एक, जनसुराज्य शक्ति पार्टी के पास एक, क्रांतिकारी शेतकारी पार्टी के पास एक और 13 निर्दलीय विधायक हैं।

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