Water Crisis: इंदौर सहित देश के 21 शहरों में खत्म हो जाएगा पानी | indore water level in red zone no access to drinking water by 2031 | News 4 Social h3>
यह विचार विश्वशांति के लिए पानी विषय पर आयोजित परिचर्चा में प्रबुद्धजनों ने व्यक्त किए। यह आयोजन द इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स ने एक निजी होटल में किया था। बेंगलूरु जैसे हो सकते हैं हालात
कार्यक्रम संयोजक एवं पूर्व अध्यक्ष इंजीनियर आरपी गौतम ने कहा कि जल सबके लिए है। इस पर किसी का एकाधिकार नहीं होना चाहिए। जल शांति के लिए है, विवाद के लिए नहीं। अगर जल का सही प्रबंधन होगा तो विवाद भी नहीं होंगे। इंदौर में ऐसी कोई बड़ी नदी है, जिससे पूरे शहर की प्यास बुझाई जा सके। यहा कान्ह नदी तो है, लेकिन उसका पानी भी अधिक प्रदूषित है। हमें पानी पर अधिक गंभीरता दिखाना होगी। जलसंकट के हालात इंदौर में बेंगलूरु जैसे हो सकते हैं। नर्मदा नदी पर हम बहुत अधिक आश्रित हैं। स्थानीय जल स्रोतों से हमें अधिक पानी लेना चाहिए।
गर्मी के दिनों में ही चर्चा क्यों?
एसजीएसआइटीएस के निदेशक डॉ. राकेश सक्सेना ने कहा कि बरसात के दिनों मे पानी पर कहीं कोई चर्चा नहीं करता, लेकिन गर्मी आते ही सब करने लगते हैं। यदि हम दिनचर्या में थोड़ा भी बदलाव लाएं तो पानी को बचा सकते हैं। जैसे बाथटब में नहाना बंद कर दें। फ्लश को अधिक देर तक नहीं चलाएं। आरओ के वेस्टेज पानी का सही उपयोग करें।
बोरिंग की जगह कुएं खुदवाएं
जल विशेषज्ञ सुरेश एमजी ने कहा कि शहर की करीब 40 लाख की आबादी के लिए पानी की आपूर्ति नर्मदा नदी और यशवंत सागर से की जा रही है, फिर भी पानी की किल्लत है। इंदौर ऐसा शहर है, जहां जलूद से पानी को इंदौर तक लाने में नगर निगम करोड़ों रुपए खर्च करता है। पानी की आपूर्ति वर्षभर रहे, जिसके लिए करीब 1 लाख घरों मे रैन वॉटर हारर्वेस्टिंग लगाए गए जिसके अच्छे परिणाम भी निकले। चोरल मे महिलाएं 3 किमी चलकर पानी लाती थी, लेकिन आज वहां 600 हेक्टेयर में खेती हो रही है। क्योंकि ग्रामीणों ने इच्छा शक्ति दिखाकर तालाब खोद दिया है। बोरिंग की जगह कुएं खुदवाएं।
तालाबों को दे सकते हैं लीज पर
आइआइटी मुंबई से पासआउट इंजीनियर प्रियांशु कुमुट कहते है कि देश मे करीब 24 लाख तालाब हैं जिसमें से 97 प्रतिशत तालाब गांवों में हैं। जिस पर कोई ध्यान नहीं देता है। इंदौर में 30 तालाब हैं, यदि उन पर ध्यान दिया जाए तो खेती को भी अच्छा पानी मिलेगा। तालाबों में ड्रेनेज या गंदा पानी नहीं जाए। तालाब में काई नहीं जमे, जलकुंभी न उगने दें। कान्ह नदी को प्रदूषण से बचाएं। निगम चाहे तो तालाबों को लीज पर किसी एजेंसी को भी दे सकती है। इससे तालाब भी बचे रहेंगे और निगम को राजस्व भी मिलेगा। मछली पालन, बोटिंग और अन्य गतिविधियों से कमाई कर प्रदूषित होने से बचा सकते हैं।
मध्यप्रदेश की और खबर पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करे – Madhya Pradesh News
यह विचार विश्वशांति के लिए पानी विषय पर आयोजित परिचर्चा में प्रबुद्धजनों ने व्यक्त किए। यह आयोजन द इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स ने एक निजी होटल में किया था। बेंगलूरु जैसे हो सकते हैं हालात
कार्यक्रम संयोजक एवं पूर्व अध्यक्ष इंजीनियर आरपी गौतम ने कहा कि जल सबके लिए है। इस पर किसी का एकाधिकार नहीं होना चाहिए। जल शांति के लिए है, विवाद के लिए नहीं। अगर जल का सही प्रबंधन होगा तो विवाद भी नहीं होंगे। इंदौर में ऐसी कोई बड़ी नदी है, जिससे पूरे शहर की प्यास बुझाई जा सके। यहा कान्ह नदी तो है, लेकिन उसका पानी भी अधिक प्रदूषित है। हमें पानी पर अधिक गंभीरता दिखाना होगी। जलसंकट के हालात इंदौर में बेंगलूरु जैसे हो सकते हैं। नर्मदा नदी पर हम बहुत अधिक आश्रित हैं। स्थानीय जल स्रोतों से हमें अधिक पानी लेना चाहिए।
गर्मी के दिनों में ही चर्चा क्यों?
एसजीएसआइटीएस के निदेशक डॉ. राकेश सक्सेना ने कहा कि बरसात के दिनों मे पानी पर कहीं कोई चर्चा नहीं करता, लेकिन गर्मी आते ही सब करने लगते हैं। यदि हम दिनचर्या में थोड़ा भी बदलाव लाएं तो पानी को बचा सकते हैं। जैसे बाथटब में नहाना बंद कर दें। फ्लश को अधिक देर तक नहीं चलाएं। आरओ के वेस्टेज पानी का सही उपयोग करें।
बोरिंग की जगह कुएं खुदवाएं
जल विशेषज्ञ सुरेश एमजी ने कहा कि शहर की करीब 40 लाख की आबादी के लिए पानी की आपूर्ति नर्मदा नदी और यशवंत सागर से की जा रही है, फिर भी पानी की किल्लत है। इंदौर ऐसा शहर है, जहां जलूद से पानी को इंदौर तक लाने में नगर निगम करोड़ों रुपए खर्च करता है। पानी की आपूर्ति वर्षभर रहे, जिसके लिए करीब 1 लाख घरों मे रैन वॉटर हारर्वेस्टिंग लगाए गए जिसके अच्छे परिणाम भी निकले। चोरल मे महिलाएं 3 किमी चलकर पानी लाती थी, लेकिन आज वहां 600 हेक्टेयर में खेती हो रही है। क्योंकि ग्रामीणों ने इच्छा शक्ति दिखाकर तालाब खोद दिया है। बोरिंग की जगह कुएं खुदवाएं।
तालाबों को दे सकते हैं लीज पर
आइआइटी मुंबई से पासआउट इंजीनियर प्रियांशु कुमुट कहते है कि देश मे करीब 24 लाख तालाब हैं जिसमें से 97 प्रतिशत तालाब गांवों में हैं। जिस पर कोई ध्यान नहीं देता है। इंदौर में 30 तालाब हैं, यदि उन पर ध्यान दिया जाए तो खेती को भी अच्छा पानी मिलेगा। तालाबों में ड्रेनेज या गंदा पानी नहीं जाए। तालाब में काई नहीं जमे, जलकुंभी न उगने दें। कान्ह नदी को प्रदूषण से बचाएं। निगम चाहे तो तालाबों को लीज पर किसी एजेंसी को भी दे सकती है। इससे तालाब भी बचे रहेंगे और निगम को राजस्व भी मिलेगा। मछली पालन, बोटिंग और अन्य गतिविधियों से कमाई कर प्रदूषित होने से बचा सकते हैं।