रिटायरमेंट के बाद भी सहवाग के हाथ हथियार चलाना नही भूले, आइस क्रिकेट में शानदार पारी खेली

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स्विटजरलैंड के पर्यटन स्थल सेंट मोरिट्ज में कल सेंट मोरिट्ज आइस क्रिकेट-2018 खेला गया. इसमें भारत, पाकिस्तान, न्यूजीलैंड, आस्ट्रेलिया, श्रीलंका, इंग्लैंड और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों के खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया. आइस क्रिकेट होने की वजह से ये मैच मज़बूत पिच के बजाय 22 यार्ड का बर्फीली पिच पर खेले गए थे. इन टीमों में वीरेंदर सहवाग एक टीम के कप्तान थे तो एक दूसरी टीम के कप्तान शाहिद आफरीदी थे. हमेशा पाकिस्तान को अपने निशाने पर लेने वाले वीरेंदर सहवाग का बल्ला इस बर्फीले मैदान में भी आग उगल रहा था. उन्होंने 31 गेंदों पर शानदार 62 रन जड़े.

सुलतान की अलग ही छाप है

बेहतरीन पारी खेलने के बाद सहवाग कुछ सिनेमेटिक मूड में आ गए. उन्होंने सलमान की सुल्तान फिल्म के मशहूर डायलाग ”मैंने पहलवानी जरूर छोड़ी है लेकिन लड़ना नहीं भूला” को अपने ही अंदाज़ में बोला.  क्रिकेट के सुल्तान माने जाते रहे वीरेंद्र सहवाग 200 के स्‍ट्राइक रेट से बल्लेबाज़ी की. मैच के बाद उन्होंने ट्विटर पर लिखा- ”इन हाथों ने हथियार छोड़े है, चलाना नहीं भूले हैं.”

सहवाग ने इंस्टाग्राम पर एक तस्वीर भी साझा की, इस तस्वीर में सहवाग के चेहरे पर अर्धशतक लगाने के बाद की खुशी साफ दिखाई दे रही है. सोशल मीडिया पर अपने फैंस के बीच काफी पॉपुलर सहवाग ने इस पारी के ज़रिये उन्हें खुश होने का एक और मौक़ा दिया है.

Sehwag -

टीम के हीरो हैं कप्तान

स्विटजरलैंड में खेले जा रहे इस मुकाब्ल्के में सहवाग पैलेस डायमंड्स के कप्तान हैं तो वहीं शाहिद आफरीदी रॉयल्स के कप्तान हैं. टॉस जीतकर सहवाग की डायमंड्स XI पहले बल्लेबाजी करने उतरी और टीम ने 20 ओवर में 164 रन जड़े. जिसमें सबसे ज्यादा 62 रन सहवाग ने बनाए. उन्होंने शोएब अख्तर और अब्दुल रज्जाक की गेंदों पर छक्के जड़े. इस इनिंग में उन्होंने 4 चौके और 5 छक्के जड़े. लेकिन रावलपिंडी एक्सप्रेस के नाम से मशहूर पकिस्तान क शीर्ष गेंदबाज़ शोएब अख्तर ने उन्हें आउट कर दिया.

बता दें कि सहवाग की धुआंधार पारी के जवाब में आफरीदी की रॉयल्स ने शानदार बल्लेबाजी की और 15 ओवर में ही मुकाबला जीत लिया. उनकी टीम से ओवेज शाह ने सबसे ज्यादा 74 रन बनाए. जिसमें 5 चौके और 7 छक्के शामिल थे. ओवेज शाह को ही मैन ऑफ द मैच अवॉर्ड दिया गया.

लेकिन इन सबके बावजूद सबकी चर्चा विषय सहवाग ही थे. हो भी क्यूँ न! आखिर हारकर जीतने वाले को ही तो बाज़ीगर कहते हैं.