Virat Kohli Performance: क्या विराट कोहली बड़े मैचों में हो जाते हैं फिसड्डी? आंकड़े दिखाते हैं आईना

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Virat Kohli Performance: क्या विराट कोहली बड़े मैचों में हो जाते हैं फिसड्डी? आंकड़े दिखाते हैं आईना


Virat Kohli Performance: क्या विराट कोहली बड़े मैचों में हो जाते हैं फिसड्डी? आंकड़े दिखाते हैं आईना

एक वक्त था जब विराट कोहली को लेकर सोशल मीडिया इस बात से पटा रहता था कि उन्होंने फलाना मैच में शतक जड़ा है। फलाना रिकॉर्ड बनाया है। फलाने का रिकॉर्ड तोड़ा है। अब वक्त यह आ गया है कि लोग इस बात पर भिड़े हुए हैं कि उन्हें टीम इंडिया में रखना चाहिए या नहीं। कुछ लोग जहां दलील दे रहे हैं कि कोहली बड़े मैचों के खिलाड़ी हैं और उन्हें मौके देना चाहिए तो एक धड़ा ऐसा भी है जो इस बात से इत्तेफाक नहीं रखता है।

इसकी शुरुआत तब हुई जब पूर्व कप्तान कपिल देव ने 3 वर्ष से शतक लगाने में नाकाम विराट कोहली के टीम में बने रहने पर सवाल खड़ा किया। उन्होंने खुलकर अपनी बात रखी और कहा कि अगर वह रन नहीं बना पा रहे हैं तो उन्हें टीम से बाहर कर देना चाहिए। अब इसपर कप्तान रोहित शर्मा का भी बयान आ गया। उन्होंने जो कहा उसका अर्थ एक लाइन में यह निकलता है कि कोहली ने जो किया है उसे भूलना नहीं चाहिए और पूर्व कप्तान को ऐसे मौके मिलते रहेंगे।

खैर, अब इस सवाल पर आते हैं कि जो बहस है वह कितनी जायज है। क्या वाकई में विराट कोहली बड़े मैचों के खिलाड़ी हैं? यहां सबसे पहले तो समझना होगा कि बड़े मैच का मतलब क्या है? माना जाता है कि ICC टूर्नामेंट के नॉकआउट्स सबसे अहम होते हैं। यहां अच्छा प्रदर्शन करने वाले को ही बड़े मैचों का खिलाड़ी कहा जाता है या माना जाता है। धोनी को इसलिए ही तो महानता का दर्जा हासिल है।

जिन खिलाड़ियों को हम चुनते हैं उनका समर्थन करते हैं, उन्हें मौके दिए जाते हैं। बाहरी लोगों को इस बारे में पता नहीं होता। इसलिए यह अधिक महत्वपूर्ण है कि हमारी टीम के अंदर क्या चल रहा है, मेरे लिए यही महत्वपूर्ण है। यह हमारे लिए बिलकुल भी मुश्किल नहीं है क्योंकि हम बाहर की बातों पर ध्यान नहीं देते। साथ ही मुझे नहीं पता कि ये कौन विशेषज्ञ हैं और उन्हें विशेषज्ञ क्यों कहा जाता है। मुझे समझ में नहीं आता।

रोहित शर्मा, कप्तान

कोहली के करियर पर निगाह डालें तो इसमें कोई शक नहीं कि पिछले 3 वर्ष से शतक नहीं लगाने के बावजूद उनका ओवरऑल प्रदर्शन मौजूदा दौर के दिग्गज क्रिकेटरों से कई मायने में बेहतर हो सकता है। हालांकि, जब बात आईसीसी फाइनल्स की बाती है तो मिलाजुला असर दिखता है। खासकर पिछले जो 2 आईसीसी फाइनल्स उन्होंने खेले हैं उनमें उनका प्रदर्शन औसत रहा है।

वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में 44 और 13 रन
आईसीसी वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के खिताबी मुकाबले में मिली न्यूजीलैंड से हार भला कैसे भूल सकती है। साउथेम्प्टन में जून, 2021 में खेले गए खिताबी मुकाबले में कोहली का बल्ला पूरी तरह खामोश रहा था। वह दोनों पारियों में क्रमश: 44 और 13 रन ही बना सके थे। भारत को यह मुकाबला 8 विकेट से गंवाना पड़ा था। इस तरह पहली बार हुए इस फाइनल में भारतीय टीम रनर अप रही थी और यहीं से विराट कोहली की आलोचनाओं को जोर मिला था।

अगर आप टेस्ट के दूसरे सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज अश्विन को टीम से बाहर बैठा सकते है तो विश्व का नंबर एक खिलाड़ी भी बाहर बैठ सकता है। मैं चाहता हूं कि कोहली रन बनाए लेकिन इस समय विराट कोहली उस तरह से नहीं खेल रहे है जिनको हम जानते है। उन्होंने अपने प्रदर्शन के दम पर अपना नाम बनाया है और अगर वह प्रदर्शन नहीं करेंगे तो नए खिलाड़ियों को आप बाहर नहीं रख सकते है।

कपिल देव, पूर्व कप्तान

चैंपियंस ट्रॉफी में पाकिस्तान से हार, वर्ल्ड कप में भी औसत प्रदर्शन
2017 चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल में पाकिस्तान से मिली हार के जख्म अब तक क्रिकेट फैंस के दिल में हरे हैं। उस मुकाबले में कोहली सिर्फ 5 रन बना सके थे। कुछ ऐसा ही हुआ था 2015 वनडे वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में, जहां कोहली सिर्फ एक बनाकर पवेलियन लौट गए थे। वनडे वर्ल्ड के सेमीफाइनल में फाइनल में भी एक ही रन बना पाए थे। भारत को न्यूजीलैंड से यहां हार मिली थी। टूर्नामेंट में भी उनका प्रदर्शन बहुत अच्छा नहीं रहा था।

टी-20 वर्ल्ड कप-2021 का जख्म अभी ताजा है
अगर ताजा जख्मों की बात करें तो भारत की ही मेजबानी में यूएई में हुए टी-20 वर्ल्ड कप-2021 की दो शर्मनाक हार और नॉकआउट से चूकना फैंस नहीं भूले होंगे। टूर्नामेंट में विराट का प्रदर्शन औसत रहा था, जबकि भारत को पाकिस्तान और न्यूजीलैंड से करारी हार झेलनी पड़ी थी। खैर, इसमें कोई दो राय नहीं है कि कोहली ने तीनों फॉर्मेट में भारतीय फैंस को तमाम जश्न के मौके दिए हैं और फॉर्म में लौटने के बाद वह एक बार नेशनल ड्यूटी को उसी अंदाज में निभाते दिख सकते हैं। बता दें कि कोहली के नाम 70 शतक हैं। इंटरनेशनल क्रिकेट में उनसे अधिक शतक रिकी पोंटिंग (71) और सचिन तेंदुलकर (100) ने ही बनाए हैं।

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