सऊदी अरब और यूएई की कमायी पर भी लगेगा मोटा टैक्स

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सऊदी अरब और यूनाइटेड अरब अमीरात(यूएई) समेत दुनियाभर में तेल समृद्ध खाड़ी देश टैक्स फ्री कमाई के लिए मशहूर हैं. टैक्स फ्री कमाई का मतलब है कि इन देशों में नौकरी कर रहे लोगो की  कमाई/सैलरी पर किसी भी तरह का टैक्स नहीं लगाया जाता. न तो इन लोगों को इनकम टैक्स अदा करना पड़ता है और न ही किसी उत्पाद अथवा सेवा को खरीदने पर किसी तरह का टैक्स देना पड़ता है. लेकिन अब नए साल से यह सारे नियम बदल जाएंगे, क्योंकि सरकार की घटती कमाई से परेशान साऊदी अरब और यूएई अपने देश में 1 जनवरी 2018 से वैल्यू एडेड टैक्स व्यवस्था की शुरुआत करने जा रही है.

गल्फ कोऑपरेशन काउंसिल के सदस्य हैं दोनों

वैट की शुरुवात करने वाले दोनों देश गल्फ कोऑपरेशन काउंसिल के सदस्य हैं और इन देशों के अलावा कुवैत, बहरैन, ओमान और कतर भी इस सूची में शामिल हैं. ये सभी देश अपने तेल के कुओं की कमाई से समृद्ध हुए देश हैं लेकिन बीते कुछ वर्षों से वैश्विक स्तर पर तेल की गिरती हुई क़ीमतों से इनकी सरकार बढ़ते जा रहे राजस्व घाटे से परेशान हैं. तेल की कीमतों में गिरावट के साथ-साथ इन देशों का हथियार और युद्ध की तैयारी के क्षेत्र में भी बड़ा खर्च है जिसके चलते सरकार की कमाई लगातार कम हो रही है.

लिहाज़ा, इन देशों में सरकार ने नए साल से वैट के जरिए खाद्य सामग्री, कपड़ा, इलेक्ट्रॉनिक एंड गैसोलीन, फोन, बिजली और पानी सप्लाई समेत होटल जैसे उत्पाद और सेवा पर कम से कम 5 फीसदी टैक्स लगाने का फैसला किया है.

कुछ जगहों पर राहत

हालांकि वैट के दायरे से कई बड़े उत्पाद और सेवाओं को दूर भी रखा जा सकता है. इनमें रियल एस्टेट, मेडिकल सर्विस, हवाई यात्रा और शिक्षा शामिल हैं. हालांकि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में वैट लगाने की तैयारी की जा रही है. दूसरी तरफ स्कूली शिक्षा में स्कूल यूनीफॉर्म, किताबें, स्कूल बस फीस और लंच जैसी सेवाओं को टैक्स के दायरे में रखा जाएगा.

Saudi currency -

2015 में रखी गयी थी वैट की नींव

गौरतलब है कि खाड़ी देशों में बढ़ते राजस्व घाटे के असर को कम करने के लिए साल 2015 में गल्फ कोऑपरेशन काउंसिल के सभी सदस्य देशों ने टैक्स फ्री तमगा हटाते हुए उत्पाद और सेवाओं पर टैक्स लगाने पर सहमति जताई थी. इसके बाद अब 2018 में सऊदी और यूएई इस दिशा में पहला कदम बढ़ा रहे हैं. कयास लगाया जा रहा है कि इसके बाद अन्य खाड़ी देश भी इसी फॉर्मूले पर अपने-अपने देश में वैट लगाने की पहल करेंगे.

भारतीय पर सबसे गहरा असर

विश्व बैंक की अप्रैल 2015 में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक 2014 में भारत ने कुल 70 अरब डॉलर का रेमिटेंस प्राप्त किया था. इस राशि में से अधिकांश 37 अरब डॉलर का रेमिटेंस खाड़ी देशों से प्राप्त किया गया था. खाड़ी देशों में रह रहे भारतीय नागरिक लगभग 13 अरब डॉलर रूपये भेज रहे हैं तो वहीं साउदी अरब से लगभग 11 बिलियन डॉलर की कमाई भारत आ रही है.

खाड़ी देशों का अभिन्न अंग हैं भारतीय

एक रिपोर्ट के मुताबिक खाड़ी देशों की कुल जनसंख्या में लगभग 31 फीसदी भारतीय नागरिक हैं. कुवैत की कुल जनसंख्या में 21.5 फीसदी भारतीय हैं तो ओमान में लगभग 54 फीसदी भारतीय मागरिक शामिल हैं. सऊदी अरब में कुल जनसंख्या में से 25.5 फीसदी भारतीय हैं तो वहीं संयुक्त अरब अमीरात में 41 फीसदी भारतीय लोग रहते है.