valentine डे के मौके पर जान लीजिए, मोहब्बत की अमर प्रेम कहानी, लैला- मजनूं मजार का रहस्य

162

valentine डे के मौके पर जान लीजिए, मोहब्बत की अमर प्रेम कहानी, लैला- मजनूं मजार का रहस्य

श्रीगंगानगर
पतझड़ सावन बसंत बहार पांचवा मौसम प्यार का…, जी हां वैलेंटाइन डे ऐसा ही मौसम है जो प्यार करने वालों के लिए किसी त्यौहार से कम नहीं है। देश- दुनिया के साथ भारत में भी अब बड़ा क्रेज दिखाई देने लगा है। ऐसे में इस मौसम में प्यार के सबसे बड़े प्रतीक लैला मजनू की बात ना हो, तो बात अधूरा सी रहेगी….

लैला मजनूं की बात आते ही राजस्थान का जिक्र भी होने लगता है। वजह है कि यहां श्रीगंगानगर जिले भारत-पाक बॉर्डर स्थित अनूपगढ़ में बिंजोर गांव का होना। दरअसल यहां लैला मजनू की मजार बनी हुई है। यहां लोग अपनी खुशहाल दाम्पत्य जीवन जीने तथा प्रेम विवाह के लिए मन्नते मांगने लोग आते है।

जून- फरवरी में रहती है यहां सबसे ज्यादा भीड़
युवा वर्ग के लिए प्यार का पैगाम देती लैला मजनूं की मजारों पर श्रद्धा और आस्था के फूल चढाने के लिए लोग पूरे वर्ष आते है। वैसे तो यहां पूरे वर्ष लोग आते है। लेकिन जून और फरवरी महीने में यहां विशेष रूप से भीड़ देखने को मिलती है। 14 जनवरी यानी आज भी इस मजार पर मुंबई, पुणे, दिल्ली सहित अन्य स्थानों से लोग मजार पर पहुंचे और अपने सुखी दांपत्य जीवन की कामना की। लोगों ने मजार पर अपनी मनोकामना पूरी होने के लिए हरी चदर, नमक, झाडू, नारियल तथा प्रसाद आदि चढ़ाया, तो वहीं मेला स्थल पर लगी विभिन्न प्रकार की दुकानों पर लगी खरीददारी का आनंद भी लिया।

navbharat times -राजस्थान फिर बिजली संकट की ओर, सूरतगढ़ सुपर थर्मल पावर स्टेशन 10 दिनों से ठप्प, क्या कर रही सरकार?

ऐसी बनी लैला- मजनूं की मजार
मजार की कमेटी के प्रधान के अनुसार पहले इस जगह पर कच्ची मजार हुआ करती थी । आस पास मिल्ट्री वाले रहा करते थे । बताया जाता है कि इस मजार से पहले रात के समय दो दीपक निकलते और सारी रात सरहद का चक्कर लगाकर सुबह वापस मजार में समां जाते। मिल्ट्री वालों ने बहुत पड़ताल की , लेकिन कोई भी जानकारी नहीं हासिल हुई। तब इस बिंजोर गांव के एक लम्बरदार को सरहद पार के लम्बरदार ने बताया की यह लैला मजनूं की मजार है। एक बार इससे मन्नत मांग के देखों, जीवन सफल हो जायेगा।

जिनकी शादी नहीं होती, वो भी मांगते हैं यहां मन्नतें
तब इस लम्बरदार ने कच्ची ईंटों से जगह (स्थान) बना दिया और स्थानीय ग्रामीण यहां पर आकर अपनी मन्नतें मांगने लगे। धीरे-धीरे गुरुवार के दिन यहां श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ने …फिर लोगों की आस्था इसमें बढ़ती गयी और मेला लगने के बाद दीपक दिखने बंद हो गए। उनके अनुसार यहां आने वाले हर इंसान की मन्नत पूरी होती है, चाहे किसी की शादी नहीं हो रही हो …या किसी के प्यार में अड़चन हो या फिर बच्चे के लिए…हर किसी की मन्नत यहां पूरी होती है।

deepak laila majnu

बंटवारे के बाद यहां बढ़ी सुरक्षा चौकसी
बंटवारे के बाद भी सरहद के पार से लोगों का आना जाना यहां लगा रहता था। लेकिन जैसे जैसे सरहद पर चौकसी बढती गई । लोगों का आना भी बंद हो गया। कमेटी द्वारा मजारों की सेवा के लिए रखे गए पुजारी रखे गए हैं, जो मजार में रखे दीपक को अखण्ड जोत के जलाते रहते है।

navbharat times -Rajasthan News: डकारे 80 लाख के आभूषण, गबन का मास्टरमाइंड गिरफ्तार, ऐसे लगाता था ग्राहकों को चूना

दुनियाभर के प्रेमियों की इबादतगाह बन गई लैला-मजनूं की कब्र
लैला-मजनूं को अलग करने की लाख कोशिशें की गईं , लेकिन सब बेकार साबित हुईं। उनकी मौत के बाद दुनिया ने जाना कि दोनों की मोहब्बत कितनी अजीज थी। दोनों को साथ-साथ दफनाया गया ताकि इस दुनिया में न मिलने वाले लैला-मजनूं जन्नत में जाकर मिल जाएं। लैला-मजनूं की कब्र आज भी दुनियाभर के प्रेमियों की इबादतगाह है। समय की गति ने उनकी कब्र को नष्ट कर दिया है, लेकिन लैला-मजनूं की मोहब्बत जिंदा है और जब तक दुनिया है जिंदा रहेगी।

Rajasthan news: ये है ‘अंग्रेजों’ के जमाने का जेल, MLA से लेकर आमजन में क्यों बढ़ रही इसकी चर्चा

राजस्थान की और समाचार देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – Rajasthan News