UP Seventh Phase Poll: वाराणसी में 33 साल से ये सीट है बीजेपी का मजबूत किला, फिर विधायक जनता से क्यों मांग रहे माफी?

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UP Seventh Phase Poll: वाराणसी में 33 साल से ये सीट है बीजेपी का मजबूत किला, फिर विधायक जनता से क्यों मांग रहे माफी?

वाराणसी/लखनऊ: उत्तर प्रदेश में हमेशा से भारतीय जनता पार्टी (BJP) का मजबूत गढ़ मानी जाने वाली एक अहम सीट है वाराणसी दक्षिणी विधानसभा (Varanasi South Assembly Seat)। यहां 1989 से लगातार कमल खिलता आ रहा है। यहां चुनावों में जीत और हार नहीं, बीजेपी प्रत्याशी की जीत के अंतर पर चर्चाएं होती रही हैं। लेकिन 2022 का यूपी विधानसभा चुनाव (UP Assembly Seat 2022) कुछ अलग है। स्थितियों का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहां से बीजेपी प्रत्याशी डॉ नीलकंठ तिवारी इस बार जनता से हाथ जोड़कर अपनी गलतियों के लिए क्षमा याचना करते दिखाई दे रहे हैं।

नीलकंठ तिवारी ने वीडियो जारी कर कहा है, “सामाजिक जीवन है, राजनीतिक जीवन है, जिम्मेदारियां बहुत हैं। प्रदेश भर में भ्रमण रहा। मैं इससे इनकार नहीं करता कि मैं मनुष्य हूं तो गलती हाेती हैं। यदि कोई गलती हुई हो जाने-अनजाने में, उसके लिए व्यक्तिगत रूप से मुझसे आप कुछ भी कह सकते हैं, बात भी कर सकते हैं। मैं उसके लिए आपसे क्षमा भी मांगता हूं। क्षमाप्रार्थी भी हूं। “

आगे बढ़ने से पहले इस के इतिहास की बात कर ली जाए। दरअसल जनसंघ के जमाने से ही ये सीट भगवा विचारधारा का प्रमुख केंद्र रही। 1989 में यहां पहली बार कमल खिला। यहां से श्यामदेव राय चौधरी लगातार 7 बार विधायक चुनकर आते रहे। ये श्याम देव राय चौधरी का कद ही था कि उन्हें भाजपा ही नहीं हर पार्टी की तरफ से सम्मान मिलता रहा। जब बीजेपी उत्तर प्रदेश में तीसरे-चौथे स्तर की पार्टी थी, तब भी विधानसभा में श्याम देव राय चौधरी की आवाज गूंजती रही। 2017 में स्थितियां बदलीं और बीजेपी ने यहां से पहली बार नीलकंठ तिवारी को टिकट दिया।

2017 में पहली बार विधायक और राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार बने नीलकंठ
श्याम देव राय चौधरी का टिकट काटे जाने का रोष यहां देखा गया लेकिन चुनाव आते-आते भाजपा ने उसे शांत करा लिया और नीलकंठ तिवारी ने कांग्रेस के पूर्व सांसद राजेश मिश्र को मात दी। इस जीत का उन्हें लाभ भी मिला, पहली बार विधायक बनने के साथ ही नीलकंठ तिवारी को राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार भी बनाया गया। वह योगी सरकार में पर्यटन, संस्कृति, धर्मार्थ कार्य और प्रोटोकॉल राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रहे।
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ये हैं मुख्य प्रत्याशी मैदान में
इस बार भी नीलकंठ तिवारी बीजेपी की तरफ से प्रत्याशी हैं और उन्हें समाजवादी पार्टी से कामेश्वर उर्फ किशन दीक्षित, बसपा से दिनेश कसोधन गुप्ता, कांग्रेस से श्रीमती मुदिता कपूर, आप से अजीत सिंह और एआईएमआईएम से परवेज कादिर खान चुनौती दे रहे हैं।

इस सीट पर भाजपा और एसपी के बीच ही मुख्य मुकाबला माना जा रहा है। हालांकि नीलंकठ तिवारी ने पिछली बार एसपी और कांग्रेस गठबंधन के प्रत्याशी राजेश मिश्र को मात दी थी लेकिन इस बार सियासी गणित कुछ और बनती दिख रही है। दरअसल एसपी प्रमुख अखिलेश यादव ने इस सीट पर पूरी रणनीति के साथ प्रत्याशी उतारा है।
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नीलकंठ को एसपी के किशन से तगड़ी चुनौती मिल रही
समाजवादी पार्टी ने जिन किशन दीक्षित को मैदान में उतारा है, वह उसी हरिश्चंद्र डिग्री कॉलेज के अध्यक्ष रहे हैं, जहां कभी नीलकंठ तिवारी महामंत्री हुआ करते थे। पेशे से दोनों ही वकील हैं। वहीं किशन दीक्षित के पिता महामृत्युंजय मंदिर के महंत हैं, लिहाजा वोट बैंक की गणित में उनकी दावेदारी टक्कर की है। ऐसा इसलिए क्योंकि वाराणसी की इस दक्षिणी सीट पर मुसलमान सबसे ज्यादा (करीब 1 लाख) हैं, उसके बाद बनिया ( करीब 90 हजार) हैं। ब्राह्मण मतदाता यहां करीब 60 हजार हैं। ये ही ब्राह्मण वोट इस बार बंटता दिख रहा है। इनके अलावा करीब 25 हजार मल्लाह, 10-10 हजार पंजाबी व दलित और 5 हजार के करीब हैं।

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वाराणसी की दक्षिणी सीट से बीजेपी प्रत्याशी नीलकंठ तिवारी

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