UP politics news: BSP के हाथी की बदलती चाल अपनों को भी भटका रही है, जनाधार खिसकता देख दावेदार पीछे खींच रहे कदम

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UP politics news: BSP के हाथी की बदलती चाल अपनों को भी भटका रही है, जनाधार खिसकता देख दावेदार पीछे खींच रहे कदम

सुमित शर्मा, कानपुर
बीएसपी सुप्रीमो मायावती के अड़ियल रवैये की वजह से पार्टी उत्तर प्रदेश में हासिए पर चली गई है। बहनजी 2017 विधानसभा चुनाव जीतकर आने वाले मुट्ठीभर विधायकों को भी संभालकर नहीं रख सकीं। बहुजन समाज पार्टी का हाथी कभी करवट बलता है, तो कभी उसकी चाल बदल जाती है। यह बदलती हुई चाल अपनों को भी भटकाने का काम कर रही है।

जनाधार खिसकता देख पार्टी के अंदर बगावत हो रही है। इससे भी ज्यादा हैरान करने वाली बात यह है कि 2022 विधानसभा चुनाव में टिकट की दावेदारी करने वाले भी अपने कदम पीछे खींचने लगे हैं।

अब बहुजन समाज पार्टी को जनता के बीच गायब रहने वाली पार्टी कहा जाता है। जनता के मुद्दों लेकर पार्टी कभी भी सड़क पर संघर्ष करते हुए नहीं नजर आती है। बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने कभी भी किसी मुद्दे पर प्रदर्शन करने का एलान नहीं किया है। लेकिन चुनाव नजदीक आते ही बीएसपी सुप्रीमो एक्टिव मोड पर आ जाती है। जिला इकाईयों में बैठकों को दौर शुरू हो जाता है। चुनाव खत्म होते ही बीएसपी जनता के बीच से गायब हो जाती है। इस बात को प्रदेश की जनता और बीएसपी का वोटर भी समझ गया है।

जमीनी स्तर पर पार्टी को लगा धक्का
पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रामअचल राजभर और लालजी वर्मा सरीखे नेता बीएसपी को बोझ लगने लगे थे। उन्हे बाहर का रास्ता दिखा गया। विधायकों और वरिष्ठ नेताओं के निष्कासन का असर प्रदेश के समस्त जिलों में देखने को मिल रहा है। पार्टी को जमीनी स्तर पर गहरा धक्का लगा है। कानपुर में भी पार्टी कार्यकर्ता संगठन से दूरी बना रहे हैं। बीएसपी से बगावत करने वाले ऐसे नेता और कार्यकर्ता एसपी और बीजेपी का दामन थाम रहे है।

टिकट के दावेदार हाथी पर नहीं लगाना चाहते दांव
विधानसभा चुनाव से पहले विधायकों की बगावत और वरिष्ठ नेताओं का पार्टी से निष्कासन चुनावी गणित बिगाड़ सकता है। सूत्रों के मुताबिक यह माना जा रहा है कि बहुजन समाजपार्टी का जनाधार खिसक रहा है। जिसकी वजह से विधायकों ने बगावत की है। यदि कानपुर-बुंदेलखंड की बात की जाए, तो बीएसपी की टिकट के लिए उतावले घूम रहे दावेदारों ने अपने कदम पीछे खींचने शुरू कर दिए हैं। बीएसपी सुप्रीमों के अड़ियल रवैये और पार्टी के गिरते ग्राफ को देखकर टिकट के दावेदार हाथी पर दांव नहीं लगाना चाहते हैं।

साल भर पहले हो जाता था नाम का ऐलान
विधानसभा चुनाव के नजदीक आते ही कानपुर में बैठकों का दौर जारी है। बहुजन समाज पार्टी की चुनावी रणनीति के हिसाब से अधिकतर सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा चुनाव से एक साल पहले हो जाती थी। जिसे बहनजी विधानसभा प्रभारी का नाम देती थीं। लेकिन इस बार बीएसपी ने बहुत देरी कर दी है। सेक्टर प्रभारी अशोक सिद्धार्थ का कहना है कि जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए चुनावों की तारीखों का एलान हो गया है। जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव के बाद प्रत्याशियों के नामों का एलान किया जाएगा।

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