UP Politics: हार पर मंथन से जीत के अमृत की आस, अखिलेश ने 17 से 22 तक की फिसलन का कारण बताया… 24 की ये रणनीति

19
UP Politics: हार पर मंथन से जीत के अमृत की आस,  अखिलेश ने 17 से 22 तक की फिसलन का कारण बताया… 24 की ये रणनीति

UP Politics: हार पर मंथन से जीत के अमृत की आस, अखिलेश ने 17 से 22 तक की फिसलन का कारण बताया… 24 की ये रणनीति


लखनऊ: समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने रविवार को कोलकाता में राष्ट्रीय कार्यकारिणी के समापन के बाद कहा कि यहां जब कार्यक्रम कर यूपी में लौटे हैं तो सपा आगे बढ़ी है। पार्टी की बैठक केवल इस ‘शगुन’ तक सीमित नहीं रही। पिछले तीन चुनावों की हार के बिंदु भी विस्तार से मथे गए। अतीत की गलतियों से सबक तलाशे गए। नई रणनीति के साथ 2024 में 2004 के अपने रेकॉर्ड को तोड़ने का लक्ष्य तय किया गया, जब पार्टी ने एक उपचुनाव सहित सर्वाधिक 36 लोकसभा सीटें जीती थीं। लगातार मिल रही हार के बीच जीत का रास्ता तय करने के लिए हौसले का टॉनिक नेता-कार्यकर्ता दोनों के लिए जरूरी है। इसलिए, अखिलेश ने हार से उपजी नाउम्मीदी में छुपी उम्मीदों को भाषण में खास तौर पर जगाया।

अखिलेश यादव ने बताया कि 2017 के चुनाव में आंतरिक परिस्थितियों के अलावा कांग्रेस को ज्यादा सीटें देना नुकसान की वजह बना। 2019 के लोकसभा चुनाव में हमारे गठबंधन धर्म निभाने के बाद भी बसपा ने साथ छोड़ा। बसपा से सपा में आए राष्ट्रीय महासचिव इंद्रजीत सरोज ने तो यहां तक आरोप लगाया कि गठबंधन के बाद भी बसपा कार्यकर्ताओं को ऊपर से साथ न देने के निर्देश थे।

पुराने साथी, अपनी ताकत

अखिलेश ने 2022 में नजदीकी अंतर से हारने वाली सीटों और बूथों का आंकड़ा रखा, जहां थोड़ी मेहनत से नतीजे बदल सकते थे। इसलिए, हर बूथ पर मेहनत और मौजूदा गठबंधन दलों के साथ ही चुनाव लड़ने का फैसला किया गया, जिससे सीटें ‘जाया’ न हों। सपा के प्रमुख महासचिव रामगोपाल यादव ने सुरजीत सिंह बरनाला की पुरानी सलाह याद दिलाई कि गठबंधन तो सीट मांगेगा ही, पर जो सीट हम जीत सकते हैं उस पर कोई और क्यों लड़े? इसलिए, 2024 में सीटों के बंटवारे में दलों से ‘केमिस्ट्री’ से अधिक जमीनी ‘मैथ्स’ पर ध्यान देना होगा।

ऐसे बनाएंगे जमीन

‘आंबेडकर’ से आस : 2021 में बनी बाबा साहेब वाहिनी को फ्रंटल संगठन का दर्जा देकर नीचे तक विस्तार किया जाएगा।
संगठन का गठन : 5 जून तक प्रदेश, जिला से लेकर बूथ स्तर तक टीमें बन जाएंगी। हर 15 दिन से 1 एक महीने में ब्लॉक, मंडल से लेकर जिला स्तर तक तय अभियानों की समीक्षा होगी।
सरकार से सवाल : पार्टी पोल-खोल अभियान चलाएगी। हर महीने सरकार के वादों-दावों पर सवाल होंगे। मसलन, 34 लाख करोड़ के निवेश के दावे कहां तक पहुंचे। ऐसे ही दूसरे मुद्दे चुने जाएंगे।
जातीय जनगणना : नेता, कार्यकर्ता गांव-गांव तक समझाएंगे कि कैसे पिछड़ों-दलितों का हक मारा जा रहा है? सपा प्रवक्ता आईपी सिंह दावा करते हैं कि 2010 में भाजपा नेता गोपीनाथ मुंडे ने संसद में जातीय जनगणना की मांग उठाई थी और आज भाजपा ही पीछे भाग रही है।

कांग्रेस बिना कोई भी मोर्चा असंभव

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने अखिलेश यादव और ममता बनर्जी की मुलाकात पर कहा कि टीएमसी, सपा या अन्य दलों के लोग मिलते रहेंगे, थर्ड फ्रंट, फोर्थ फ्रंट बनता रहेगा, लेकिन विपक्ष में कांग्रेस का होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि अगर विपक्ष का कोई गठबंधन बनता है, तो उसमें कांग्रेस की मुख्य भूमिका होगी। कांग्रेस के बिना कोई भी मोर्चा असंभव है।

राजनीति की और खबर देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – राजनीति
News