UP Politics: यूपी में सतह पर आई मंत्रियों और अफसरों की लड़ाई… PWD, हेल्थ, सिंचाई के बाद अब किसकी बारी

128
UP Politics: यूपी में सतह पर आई मंत्रियों और अफसरों की लड़ाई… PWD, हेल्थ, सिंचाई के बाद अब किसकी बारी

UP Politics: यूपी में सतह पर आई मंत्रियों और अफसरों की लड़ाई… PWD, हेल्थ, सिंचाई के बाद अब किसकी बारी

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के मंत्रियों-अफसरों को संवाद-समन्वय की लगातार नसीहतों के बाद भी उनके आंतरिक मतभेद और ‘लड़ाई’ सतह पर दिख रही है। दूसरे कार्यकाल की पहली तिमाही बीतते-बीतते ही चार मंत्रियों ने तो सार्वजनिक तौर पर अफसरों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। कई और विभागों में भी आपसी खींचतान की चर्चा है। कहा जा रहा है कि फैसलों में अफसरों के दबदबे के चलते कई मंत्री असहज महसूस कर रहे हैं।

सरकार के पहले कार्यकाल में भी विधायकों-सांसदों व कुछ मंत्रियों के ओर से अफसरों की मनमानी के आरोप लगे थे। ऊर्जा विभाग में तो तत्कालीन मंत्री श्रीकांत शर्मा ने अपर तत्कालीन अपर मुख्य सचिव अरविंद कुमार पर काम में लापरवाही के सार्वजनिक आरोप लगाए थे। जिलों से भी जनप्रतिनिधियों की ओर से शिकायतें आई थी। संगठन-सरकार की समन्वय बैठकों में यह सुर मुखर हुए थे। इसके बाद इसके समाधान के लिए अफसरों पर नकेल कसने के लिए निर्देश भी जारी हुए, कुछ विभागों में बदलाव भी हुआ।

दूसरी बार शपथ लेने के बाद सीएम ने नौकरशाहों की गलतियों पर सख्त तेवर दिखाए थे। दो जिलों के डीएम सस्पेंड भी हुए। जब यह कार्रवाई हुई थी तो कई और आईएएस अफसरों के खिलाफ भी शिकायतों पर ऐक्शन के कयास थे, लेकिन कुछ ताकतवर आला अफसर उन्हें बचाने में कामयाब हो गए।

खुलकर एक-दूसरे के खिलाफ कर रहे लामबंदी
भ्रष्टाचार या गड़बड़ी के आरोपों में कार्रवाई को लेकर बन रहे परसेप्शन के चलते भी असहज स्थिति बन रही है। अफसरों की खेमेबंदी भी इसको लेकर साफ दिख रही है। उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने अपर मुख्य सचिव अमित मोहन प्रसाद को चिट्ठी लिखकर तबादले पर सवाल उठाए तो अमित मोहन का जवाब आ गया कि तबादले पर उपमुख्यमंत्री के भी दस्तखत हैं। इसी बीच ब्रजेश पाठक प्रयागराज में एक मृत डॉक्टर के परिवारीजनों से मिलने पहुंच गए, जिनका मौत के बाद तबादला आदेश जारी हो गया था।

वहीं, जलशक्ति राज्यमंत्री दिनेश खटीक ने पिछले महीने मेरठ में मुकदमे को लेकर इस्तीफे की धमकी दी थी, जिससे सरकार के लिए असहज स्थिति पैदा हुई। इसके तीन दिन बाद उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य मेरठ पहुंचे तो वह दिनेश खटीक के घर भी गए।

कार्रवाई पर ‘परसेप्शन’ की भी लड़ाई
सूत्रों का कहना है कि मंत्रियों एवं अफसरों में कार्रवाई को लेकर अपने-अपने पाले व ‘परसेप्शन’ की चिंता है। उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने ड्रग कॉरपोरेशन में भी दवा खरीद में गड़बड़ी पकड़ी थी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद ब्रजेश पाठक के तेवर व सवाल सार्वजनिक होने लगे, जिससे उनकी छवि प्रभावित न हो। वहीं, अमित मोहन प्रसाद करीब ढाई साल से स्वास्थ्य विभाग के प्रशासनिक मुखिया हैं, इस दौरान अनियमितताओं पर बाहर से लेकर भीतर तक सवाल उठे, लेकिन वह विभाग में बने हुए हैं।

सरकार के दूसरे कार्यकाल में स्वास्थ्य मंत्री जरूर बदल गए। पीडब्लूडी में जांच कमिटी की रिपोर्ट पर कार्रवाई भी ‘परसेप्शन’ पर कसी जा रही है। मंत्री जितिन प्रसाद के ओएसडी को भ्रष्टाचार के आरोपों के साथ पहले हटाया गया। लिहाजा, मंत्री की छवि और भूमिका पर भी सीधे सवाल उठे। उसके अगले दिन विभागाध्यक्ष व अन्य इंजिनियरों पर कार्रवाई हुई।

मंत्री खेमे से जुड़े लोगों का कहना है कि सभी ऐक्शन एक साथ भी जारी हो सकते थे, लेकिन अलग-अलग जारी होने से ऐसा लगा कि अफसरशाही ‘बेकसूर’ है। वहीं, प्रमुख सचिव की भूमिका अब तक नहीं तय की गई है। इससे पहले भी कई बार कार्रवाई के स्पष्ट संकेत एवं निर्देशों के बाद अफसर बच निकले हैं।

और विभागों में भी हैं असंतोष के सुर!
कुछ विभागों में मंत्रियों-अफसरों के मतभेद खुलकर सामने आ गए हैं, लेकिन असंतोष के सुर और जगह भी उभर रहे हैं। एक स्वतंत्र राज्यमंत्री की अपनी महिला प्रमुख सचिव से अनबन की चर्चाएं हैं। कुछ दिनों पहले उच्च स्तर पर दोनों को सामने बिठाकर नसीहत दी गई थीं। पिछले पांच साल से दो महत्वपूर्ण विभाग संभाल रहे एक आईएएस अफसर के कामकाज को लेकर भी उनके मंत्री असहज हैं। अफसर सरकार के पिछले कार्यकाल से ही विभाग में हैं, लेकिन उनके मंत्री बदल गए हैं, हालांकि समीकरण जस के तस हैं।

वहीं, मंत्रियों एवं राज्य मंत्रियों के बीच भी कुछ विभागों में खींचतान है। यह भी अहम है कि प्रदेश अध्यक्ष के रूप में जिसके ऊपर संगठन व सरकार में समन्वय व अपेक्षाओं को समझने की जिम्मेदारी हैं, उनके ही विभाग में राज्यमंत्री काम न मिलने व उपेक्षा से नाराज हैं। यही वजह है कि सीएम ने मंगलवार को मीटिंग में साफ तौर पर कैबिनेट मंत्रियों से कहा कि वे अपने राज्य मंत्रियों के साथ समन्वय रखें और बैठकों का हिस्सा बनाएं।

खुलेआम उठे सवाल

  • उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने तबादलों में मानकों के उल्लंघन व अनियमितता के आरोप लगाकर अपर मुख्य सचिव को चिट्ठी लिखी, जो वायरल हो गई।
  • स्वास्थ्य के ही राज्यमंत्री मयंकेश्वर शरण सिंह ने निदेशालय स्तर पर हुए तबादलों के मानक पर सवाल उठाते हुए उसकी पूरी रिपोर्ट मांग ली।
  • पीडब्लूडी में एई स्तर के तबादलों को लेकर राज्यमंत्री ब्रजेश सिंह ने सवाल उठाए, इसके बाद तबादले निरस्त किए गए।
  • विभाग में तबादलों में गड़बड़ी को लेकर जितिन प्रसाद ने सीएम से शिकायत और उसके बाद जांच बैठा दी गई।
  • जलशक्ति राज्यमंत्री दिनेश खटीक के वायरल पत्र में भी विभागीय प्रमुख सचिवों पर उपेक्षा व मनमानी करने के आरोप लगे हैं।

राजनीति की और खबर देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – राजनीति
News