UP politics: कानपुर-बुंदेलखंड BJP का सबसे मजबूत किला, भेदने की तैयारी में जुटी SP… हाथी की चाल पड़ी धीमी

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UP politics: कानपुर-बुंदेलखंड BJP का सबसे मजबूत किला, भेदने की तैयारी में जुटी SP… हाथी की चाल पड़ी धीमी

समित शर्मा, कानपुर
कानपुर-बुंदेलखंड बीजेपी का सबसे मजबूत किला है। बीजेपी (BJP) विधानसभा चुनाव 2022 से पहले किले की दीवारों को और मजबूत कर रही है। ताकि विपक्षी पार्टियां इसकी घेराबंदी ना कर सकें। वहीं, एसपी कानपुर-बुंदेलखंड के मजबूत किले को भेदने की तैयारी में जुटी गई है, क्योंकि बीजेपी ने एसपी (SP) के गढ़ कनौज और इटावा में भगवा फहरा दिया है। वहीं, बीएसपी (BSP) के हाथी की चाल इतनी धीमी है कि किले की दीवारों तक पहुंच नहीं पा रहा है।

उत्तर प्रदेश में यदि सबसे पिछड़े इलाकों की बात की जाए तो सबसे पहले कानपुर-बुंदेलखंड का नाम आता है। जिसमें हमीरपुर, महोबा, बांदा, ललितपुर, जालौन, जैसे प्रमुख जिले आते हैं, जो आज भी बहुत पिछड़े हैं। आजादी के बाद कई दशकों तक कांग्रेस पार्टी ने कानपुर-बुंदेलखंड पर राज किया है। इसके बाद क्षेत्रीय पार्टी एसपी और बीएसपी ने जातिगत राजनीति कर अपने-अपने हिसाब से वोटरों का बंटवारा कर लिया, लेकिन किसी भी राजनीतिक पार्टी ने इन पिछड़े इलाकों में विकास के नाम पर कुछ नहीं किया। कानपुर-बुंदेलखंड में आज भी पानी और रोजगार की समस्या है।

कानपुर-बुंदेलखंड क्यों है बीजेपी का सबसे मजबूत किला?

कानपुर-बुंदेलखंड में 52 विधानसभा सीटें है। बीजेपी ने 2017 के विधानसभा चुनाव में 52 सीटों में से 47 सीटों पर जीत दर्ज की थी। वहीं, कानपुर-बंदेलखंड लोकसभा की 10 सीटें हैं। बीजेपी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में क्लीन स्वीप किया था। बीजेपी ने 10 में से 10 सीटों पर कमल खिलाया था। बीजेपी ने एसपी का गढ़ कहे जाने वाले कन्नौज में भी शानदार जीत दर्ज की थी। अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल को हार का सामना करना पड़ा था। बीजेपी ने 2014 के लोकसभा चुनाव से ही कानपुर बुंदेलखंड के किले पर अपना कब्जा जमा लिया था। 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 10 में से 09 सीटों पर भगवा लहराया था।

पिता की राह पर चले अखिलेश यादव
एसपी संरक्षक मुलायम सिंह यादव को धरतीपुत्र कहा जाता था। मुलायम सिंह यादव की छवि किसान नेता के रूप में थी। उन्हे सर्वसमाज का भी नेता माना जाता था। मुलायम सिंह किसानों के हक के लिए लड़ें हैं। यूपी 2022 विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव का कुछ ऐसा ही अंदाज दिखने वाला है। अखिलेश यादव ने अपने कार्यकताओं को जमीनी स्तर पर कार्य करने के लिए कहा है। ग्रामीण इलाकों में सपा कार्यकर्ता किसानों को नए किसान कानून की खामियों को समझा रहें हैं। इसे किसान विरोधी कानून बता रहे हैं। एसपी इस बार किसानों के वोट को बंटने नहीं देना चाहती है।

एसपी रनर अप पार्टी
कानपुर-बुंदेलखंड में एसपी की पकड़ अभी ढीली नहीं पड़ी है। यदि 2017 के विधानसभा चुनाव के परिणामों पर नजर डाली जाए तो एसपी सेकेंड रनर अप पार्टी रही है। कानपुर-बुंदेलखंड की 52 विधानसभा सीटों में से लगभग 39 ऐसी सीटें हैं, जहां पर जीत हार का आकड़ा बेहद कम है। एसपी को उम्मीद है कि 2022 विधानसभा चुनाव के परिणाम पिछले चुनाव से अलग होंगे।

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पंचायत चुनाव 2021 में बीजेपी उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर पाई है। वहीं, एसपी की ग्रामीण क्षेत्रों में पकड़ कमजोर नहीं पड़ी है। कानपुर-बुंदेलखंड (Kanpur-Bundelkhand) में एसपी के सर्वाधिक जिला पंचायत सदस्यों ने जीत दर्ज की है। बीजेपी को यही बात सबसे ज्यादा परेशान कर रही है।

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