UP Nikay Chunav के लिए CM योगी ने की 50 सभाएं, Akhilesh 9 शहरों में गए.. मायावती-प्रियंका ने प्रचार से बनाई दूरी

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UP Nikay Chunav के लिए CM योगी ने की 50 सभाएं, Akhilesh 9 शहरों में गए.. मायावती-प्रियंका ने प्रचार से बनाई दूरी

UP Nikay Chunav के लिए CM योगी ने की 50 सभाएं, Akhilesh 9 शहरों में गए.. मायावती-प्रियंका ने प्रचार से बनाई दूरी

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के शहरी निकाय चुनाव के दूसरे चरण का प्रचार भी मंगलवार की शाम से बंद हो गया। दूसरे चरण के लिए 38 जिलों में गुरुवार को मतदान होंगे। 4.32 करोड़ से अधिक मतदाताओं वाले इस चुनाव में जहां सत्ता पक्ष के दिग्गजों ने जीत हासिल करने के लिए खूब पसीना बहाया, वहीं बहुत कुछ दांव पर होने के बाद भी विपक्ष प्रचार में सुस्त दिखा। योगी ने दोनों चरणों में मिलाकर 50 जनसभाएं की। वहीं, एसपी मुखिया अखिलेश यादव ने महज नौ शहरों का ही रुख किया।2017 के शहरी निकाय चुनावों में सत्तारूढ़ बीजेपी ने 16 में 14 मेयर की सीटें जीती थीं। पार्षद के 46%, नगर पालिका अध्यक्ष के 36% और नगर पंचायत अध्यक्ष के करीब 33% सीट बीजेपी के खाते में गई थी जो विपक्ष के मुकाबले काफी ज्यादा थी। इसके बाद भी पार्टी ने इस बार भी प्रचार में पसीना बहाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

सीएम योगी आदित्यनाथ पहले चरण के चुनाव वाले 37 जिलों में से 22 में प्रचार के लिए पहुंचे और सात दिनों में 28 रैलियां कीं। इसमें गोरखपुर में चार, लखनऊ में तीन और वाराणसी में दो रैलियां शामिल थीं। दूसरे चरण के चुनाव में 38 जिले शामिल हैं। इसमें 21 जिलों में योगी ने छह दिनों 22 रैलियां संबोधित की। अयोध्या में योगी ने दो चुनावी कार्यक्रम किए। 24 अप्रैल से शुरू हुआ योगी का यह चुनावी दौरा 43 जिलों तक तब पहुंचा, जब वह तीन दिन चुनाव प्रचार के लिए कर्नाटक भी गए थे। पिछले 16 दिनों में कर्नाटक के दौरे के अलावा योगी हर दिन निकाय चुनाव के प्रचार के लिए प्रदेश के किसी न किसी शहर में मौजूद रहे।

सात नगर निगमों में ही गए अखिलेश
योगी सहित बीजेपी नेतृत्व जहां सभी नगर निगमों में बड़ी पालिकाओं में प्रचार के लिए पहुंचा, वहीं, चुनाव में बीजेपी का सफाया करने का दावा करने वाले एसपी नेतृत्व की सक्रियता काफी कम रही। 2017 में एसपी का मेयर की सीट पर खाता नहीं खुला था। जबकि, पार्षद की 15%, नगर पालिका अध्यक्ष की 22% और नगर पंचायत अध्यक्ष की करीब 19% सीट पर पार्टी को जीत मिली थी।

इस बार, पहले चरण के चुनाव में एसपी मुखिया अखिलेश यादव ने केवल गोरखपुर और लखनऊ में प्रचार किया। दूसरे चरण की सीटों पर सक्रियता अपेक्षाकृत ज्यादा रही। वह गाजियाबाद, सहारनपुर, अलीगढ़, मेरठ और कानपुर सहित पांच नगर निगमों में प्रचार के लिए गए। गाजियाबाद में हालांकि उनका दौरा प्रत्याशी के घर जाने तक ही सीमित रहा, जबकि बाकी चार नगर निगमों में उन्होंने रोड शो और सभाएं कीं।

इसके अलावा अखिलेश औरैया और कन्नौज भी चुनाव प्रचार के लिए गए। इस तरह सात नगर निगमों और दो अन्य शहरों तक ही अखिलेश का प्रचार सीमित रहा। शिवपाल यादव की सक्रियता इटावा, मैनपुरी, कानपुर देहात और कानपुर में रही जबकि डिंपल यादव ने भी कानपुर में रोड शो किया।

बीएसपी-कांग्रेस स्थानीय चेहरों के ही भरोसे
पिछली बार मेयर की दो सीटें जीतने वाली बीएसपी का पूरा प्रचार अभियान प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल के ही भरोसे रहा। कर्नाटक और हैदराबाद में चुनावी सभा करने वाली बीएसपी प्रमुख मायावती लखनऊ में मतदान करने के अलावा निकाय चुनाव में कहीं नहीं निकलीं।

वहीं, कांग्रेस की यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी की अपने प्रभार वाले प्रदेश से दूरी जारी रही। वह कर्नाटक चुनाव में प्रचार के लिए तो पहुंची लेकिन यूपी की तरफ उन्होंने रुख नहीं किया। उनके लखनऊ आए करीब 10 महीने हो चुके हैं। पिछले चुनाव में कांग्रेस को मेयर पद पर खाता नहीं खुला था। पार्षद की 8%, नगर पालिका अध्यक्ष और नगर पंचायत अध्यक्ष की 4-4% सीटें ही पार्टी के हिस्से आई थी।

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