UP Nikay Chunav: कहीं बदल रहे टिकट, कहीं चेहरा तय नहीं हो पा रहा… चुनाव प्रबंधन में बार-बार क्यों फेल हो रही समाजवादी पार्टी!

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UP Nikay Chunav: कहीं बदल रहे टिकट, कहीं चेहरा तय नहीं हो पा रहा… चुनाव प्रबंधन में बार-बार क्यों फेल हो रही समाजवादी पार्टी!

UP Nikay Chunav: कहीं बदल रहे टिकट, कहीं चेहरा तय नहीं हो पा रहा… चुनाव प्रबंधन में बार-बार क्यों फेल हो रही समाजवादी पार्टी!

लखनऊ:समाजवादी पार्टी(Samajwadi Party) के रणनीतिकारों के चुनाव प्रबंधन की यह बानगी भर है। शहरी निकाय चुनाव (UP Nagar Nikay Chunav) में भाजपा का वर्चस्व तोड़ने का दावा करने वाली सपा प्रत्याशियों के चेहरे तय करने तक में हांफ जा रही है। आए दिन सूची में बदलाव हो रहा है या नाम वापस लिए जा रहे हैं। सपा की चुनावी रणनीति में इस तरह के छेद नए नहीं है। 2022 के विधानसभा चुनाव में भी पार्टी ने कई सीटों पर चेहरे तय करने के बाद बदल दिए थे।राजधानी में ही मोहनलालगंज से पहले तत्कालीन विधायक अंबरीष पुष्कर को उम्मीदवार बनाया गया था। बाद में उनका टिकट काटकर सुशीला सरोज को दे दिया गया। नतीजा यह रहा कि चुनाव में पार्टी से सीट छिन गई। यह कहानी कई सीटों पर दोहराई गई। इसके बाद विधान परिषद की स्थानीय निकाय कोटे की एक सीट पर सपा ने एक ऐसा उम्मीदवार उतार दिया जो उम्र की न्यूनतम सीमा ही पूरी नहीं करता था। लिहाजा, पर्चा खारिज हो गया। इन गलतियों से सबक लेने की जगह निकाय चुनाव में भी यह सिलसिला कायम है।

समन्वय-संवाद की कमी बन रही मुसीबत
सूत्रों का कहना है कि निर्णयों को लेकर पार्टी में निचले स्तर से उच्च स्तर तक समन्वय व संवाद की कमी के कारण भ्रम पैदा हो रहा है। स्थानीय स्तर पर पार्टी नेताओं के गुट अपने-अपने उम्मीदवारों के लिए दबाव बना रहे हैं। एक गुट सफल होता है तो दूसरा उसे बदलवाने में ताकत झोंक देता है। यहां तक कि गठबंधन सहयोगियों के साथ भी तालमेल में कमी के चलते असहज स्थिति का सामना करना पड़ा है। सपा ने सहयोगी रालोद के गढ़ बड़ौत और बागपत में भी अपने उम्मीदवार उतार दिए थे। जब रालोद ने नजरें टेढ़ी कीं तो प्रत्याशी वापस लेने पड़े।

बनारस में अपना दल (कमेरावादी) ने भी उम्मीदवार उतारे हैं। यह स्थिति तब है, जबकि पार्टी ने पिछले साल अगस्त में ही नगर निगमों में चुनाव के समन्वय के लिए वरिष्ठ नेताओं की टीम उतार दी थी। इसके बाद भी मतभेद और संघर्ष उभर रहे हैं। लखनऊ में तो पार्षद प्रत्याशियों की सूची नामांकन के आखिरी दिन दोपहर बाद जारी की गई थी। इसके पहले महानगर इकाई घर से चुपचाप सिंबल बांटती रही, जिससे विरोध को रोका जा सके।

मथुरा में मेयर के सपा प्रत्याशी का विडियो वॉयरल
सपा ने मथुरा से तुलसीराम शर्मा को उम्मीदवार बनाया है। नामांकन के बाद ही उनका एक आपत्तिजनक विडियो वायरल हो रहा है। इसके बाद पार्टी में उनकी प्रत्याशिता को लेकर संकट खड़ा हो गया है। हालांकि, तुलसीराम ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर विडियो को फर्जी बताते हुए दावा किया है कि यह उनका टिकट कटवाने की विरोधियों की साजिश है। सपा में कोई कुछ भी खुलकर बोलने के लिए तैयार नहीं है लेकिन अंदरखाने यह चर्चा आम है कि पार्टी तुलसीराम से सिंबल वापस ले सकती है। शुक्रवार को प्रतीक आवंटन के बाद स्थिति साफ हो जाएगी। अगर ऐसा होता है तो मथुरा में सपा बिना लड़े ही मेयर के चुनाव से बाहर हो जाएगी।

सपा के राष्ट्रीय सचिव राजेंद्र चौधरी ने कहा कि पार्टी में प्रत्याशी चयन की लोकतांत्रिक प्रक्रिया है। सभी के सुझाव लिए जाते हैं। अगर कहीं सुझाव आता है और लगता है कि बदलाव किया जाना चाहिए तो पार्टी निर्णय लेती है। समन्वय या प्रबंधन में कोई समस्या नहीं है।

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